निखिल स्वामी/बीकानेर. कभी आपने सुना है बिना मुनाफे का व्यवसाय. अगर नहीं सुना है तो आज हम आपको एक ऐसे व्यवसाय के बारे में बताते है जिससे लोग मुनाफा नहीं कमाते है बल्कि सेवा का भाव रखते है. हम बात कर रहे है बीकानेर में 14 दिन तक श्राद्ध पक्ष में लगने वाली मिठाई की दुकानों की. श्राद्ध में बीकानेर के हर मोहल्ले में अस्थाई मिठाई की दुकानें लगती है. इन दुकानों में लोग मुनाफा नहीं कमाकर सेवा के भाव से मिठाई बेचते है. इस शहर में करीब सैकड़ो अस्थाई मिठाई की दुकानें लगी है. इन दुकानों पर मिठाई के भाव आम मिठाई की तुलना में आधी होती है. ऐसे में यह मिठाईयां देशी घी में बनी आधी कीमत में मिलती है. इन दुकानों से शहरवासी बड़ी संख्या में मिठाई की खरीदारी करके ले जाते है.
दुकानदार सुरेंद्र व्यास ने बताया कि बड़ी-बड़ी मिठाई की दुकानों से आधी कीमत और वाजिब दामों में मिलती है. वह बताते है कि बड़ी दुकानों से मिठाई खरीदते है तो वह सभी खर्चे निकालकर भाव रखते है, जबकि इन मिठाई का भाव यहीं है जो हम बेच रहे है. वह बताते है कि अस्थाई दुकानों पर मोतीपाक 240 से 260 रुपए किलो बेच रहे है तो वहीं बड़ी मिठाई की दुकानों में 400 से 440 रुपए किलो बेच रहे है और काजू कतली 550 रुपए किलो है. तो बड़ी मिठाई की दुकान में 700 रुपए किलो मिल रही है. मिठाई की एडवांस बुकिंग भी होती है यह दुकानें नानी श्राद्ध तक चलती है. श्राद्ध पक्ष में करीब 200 दुकानों से 8 हजार किलोग्राम से भी अधिक मिठाइयां रोज बिकती हैं, यानी 15 दिन में 100 टन से ज्यादा मिठाइयों की बिक्री हो जाती है.
इन मिठाइयों की रहती है डिमांड
श्राद्ध पक्ष में इन मिठाइयों की डिमांड रहती है. इनमें घाल के लड्डू, मोतीपाक, दिलखुसाल, पंधारी, केसर के गुलाबजामुन, जलेबी, काजू की कतली होती है. इन दुकानों पर घाल के लड्डू 280 रुपए किलो, पंधारी 260 रुपए किलो, मोतीपाक 260 रुपए किलो, काजू कतली 550, केसर के गुलाब जामुन 280 रुपए किलो बेच रहे है. जलेबी 140 रुपए किलो बेच रहे है.
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FIRST PUBLISHED : October 9, 2023, 17:33 IST