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हाइलाइट्स
सावन पूर्णिमा को भगवान हयग्रीव की पूजा करते हैं तो बुद्धि और बल प्राप्त होता है.
हयग्रीव जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 04:25 पी एम से 06:55 पी एम तक है.
सावन पूर्णिमा की तिथि आज सुबह 10:58 बजे से प्रारंभ होगी.
सावन पूर्णिमा के दिन हयग्रीव जयंती मनाते हैं. इस तिथि को भगवान विष्णु ने हयग्रीव स्वरूप धारण किया था. आज 30 अगस्त को हयग्रीव जयंती है. आज भगवान हयग्रीव की पूजा करते हैं. उनके आशीर्वाद से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र होती है, इसके बल पर आप कार्य में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और अपने दुश्मनों पर विजय हासिल कर सकते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं हयग्रीव जयंती के पूजा मुहूर्त, भगवान हयग्रीव की उत्पत्ति की कथा क्या है?
हयग्रीव जयंती 2023 तिथि मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा की तिथि आज सुबह 10:58 बजे से प्रारंभ होगी और यह तिथि कल सुबह 07:05 बजे तक रहेगी. उदयातिथि के आधार पर सावन पूर्णिमा कल है, लेकिन सावन पूर्णिमा तिथि में सायंकालीन पूजा का मुहूर्त आज ही प्राप्त हो रहा है, इसलिए आज हयग्रीव जयंती है.
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हयग्रीव जयंती 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त
आज 30 अगस्त को हयग्रीव जयंती की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 04:25 पी एम से 06:55 पी एम तक है. भगवान हयग्रीव की पूजा के लिए आज ढाई घंटे का शुभ समय है.
कैसे हुई भगवान हयग्रीव की उत्पति?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु माता लक्ष्मी को देखकर हंसने लगे. माता लक्ष्मी को लगा कि भगवान श्रीहरि उनके सौंदर्य का उपहास कर रहे हैं. देवी लक्ष्मी अत्यंत क्रोधित हो गईं और उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि आपका सिर धड़ से अलग हो जाए. उनके श्राप के कारण भगवान विष्णु का सिर धड़ से नीचे गिर पड़ा.
तब ब्रह्म देव के सुझाव पर देवशिल्पी विश्वकर्मा ने भगवान विष्णु के धड़ पर घोड़े का मुख लगाया. इस तरह से भगवान विष्णु के हयग्रीव स्वरूप की उत्पत्ति हुई. भगवान हयग्रीव का सिर घोड़े का और धड़ मनुष्य का है.
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भगवान हयग्रीव ने की वेदों की रक्षा
एक हयग्रीव नामक राक्षस ने आदिशक्ति को प्रसन्न करके वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसकी मृत्यु हयग्रीव के हाथों ही हो. वह समझ रहा था कि वह अमर हो गया क्योंकि उसके सिवाय कोई दूसरा हयग्रीव नहीं है. वरदान के बाद वह देव, मुनि, ऋषियों को सताने लगा. ब्रह्म देव से वेदों को चुरा लिया, जिससे धर्म कार्य जैसे पूजा, हवन, यज्ञ आदि बंद हो गए. भगवान हयग्रीव ने असुर हयग्रीव का वध कर दिया और वेदों को उससे मुक्त कर ब्रह्म देव को सौंप दिया. फिर से धर्म की स्थापना हुई.
भगवान हयग्रीव की दूसरी कथा
कहा जाता है कि मधु और कैटभ दो असुर भाइयों ने ब्रह्म देव से वेदों का हरण कर लिया. तब वे इस संकट के समाधान के लिए भगवान विष्णु के पास गए. श्रीहरि ने भगवान हयग्रीव का स्वरूप धारण किया. वे मधु और कैटभ से वेदों को मुक्त कराने के लिए पाताल लोक गए. वहां पर भगवान हयग्रीव ने उन दोनों असुरों का वध कर दिया और वेदों को मुक्त कराकर ब्रह्म देव को दे दिया.
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Tags: Dharma Aastha, Lord vishnu, Sawan
FIRST PUBLISHED : August 30, 2023, 09:55 IST
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