Home National सिंदूर से राइजिंग लॉयन तक… एक जैसा मोदी- नेतन्याहू का स्टाइल, कांप गया दुश्मन!

सिंदूर से राइजिंग लॉयन तक… एक जैसा मोदी- नेतन्याहू का स्टाइल, कांप गया दुश्मन!

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सिंदूर से राइजिंग लॉयन तक… एक जैसा मोदी- नेतन्याहू का स्टाइल, कांप गया दुश्मन!

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नई दिल्‍ली. भारत ने हाल ही में पाकिस्‍तान में घुसकर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया. ठीक उसी तर्ज पर इजरायल ने आज ईरान के प्रमाणु ठिकानों और सेना प्रमुख को ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत निशाना बनाया. इजरायल दशकों से इसी तर्ज पर अपने आक्रामक रवैये के लिए दुनिया में चर्चित है. ऐसे में पीएम नरेंद्र मोदी और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू के बीच तुलना होना तय है. दोनों ही नेता अपने देश के राष्‍ट्रीय हितों के लिए किसी भी हद तक एक्‍शन लेने से नहीं चूकते. एक मौके पर नहीं बल्कि कई बार दोनों के बीच समानता के उदाहरण सामने आए हैं.

जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वैश्विक मंच से कहा कि तानाशाह ईरान पूरी दुनिया के लिए खतरा है, तो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुछ साल पुरानी बात ताजा हो गई. पीए मोदी ने पाकिस्तान की जनता से सीधे संवाद करते हुए कहा था कि उन्‍हें ऐसे लोगों से सतर्क रहना चाहिए जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं. इन दोनों नेताओं के बयानों में जो तल्खी और चेतावनी थी वह सिर्फ अल्फाज नहीं थे, बल्कि उन देशों की रणनीतिक सोच और आतंक के खिलाफ जीरों टॉलरेंस नीति का प्रतीक थे.

भारत और इजरायल दोनों ही देश लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं. भारत का ताजा सैन्य कदम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इसका एक शक्तिशाली उदाहरण है, तो इजरायल की ओर से ईरान समर्थित आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई भी उसी सांचे में ढलती दिखती है. नेतन्याहू हों या मोदी, दोनों ही नेता घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं. चाहे वह आतंकियों के ठिकानों पर हमला हो या अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने देश की बात रखना, दोनों ही अपने-अपने तरीकों से एक ही एजेंडे पर चलते दिखते हैं और वो है  राष्ट्र की सुरक्षा पहले.

मोदी ने पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयरस्ट्राइक कर यह साफ कर दिया था कि भारत आतंक के खिलाफ किसी भी स्तर पर जवाब देने से पीछे नहीं हटेगा. ठीक उसी तरह नेतन्याहू भी हमास, हिजबुल्ला और ईरान के खिलाफ सैन्य और कूटनीतिक मोर्चे पर आक्रामक रहते हैं.

‘ऑपरेशन सिंदूर’ बनाम ऑपरेशन राइजिंग लॉयन

भारत का ‘ऑपरेशन सिंदूर’ हाल ही में हुए एक आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किया गया. इसमें सीमापार आतंकी शिविरों को नष्ट किया गया, कई उग्रवादियों को ढेर किया गया. भारतीय सेना की कार्रवाई इतनी सटीक थी कि दुश्मन को कोई जवाब देने का मौका तक नहीं मिला. दूसरी तरफ इजरायल ने भी जब ईरान समर्थित समूहों ने हमला किया, तो उसने रिहायशी क्षेत्रों में छुपे आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए सर्जिकल प्रिसीजन के साथ जवाबी कार्रवाई की. इजरायली ऑपरेशन की खासियत है कि वो कम से कम नागरिक हानि, तेज और निर्णायक वार के लिए जाने जाते हैं.

क्या इजरायल और भारत का साथ भविष्य के लिए तय है?

दोनों देश पहले से एक-दूसरे के सहयोगी रहे हैं. 1970-80 के दशक में इजरायल ने भारत को गुप्त रूप से हथियार तक मुहैया कराए थे. आज दोनों देशों के बीच रक्षा, तकनीक, कृषि और कूटनीति के क्षेत्र में गहरा सहयोग है. अगर भारत और इजरायल का यह रिश्ता और भी मजबूत होता है तो यह पूरे दक्षिण एशिया और मिडिल ईस्ट के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम होगा. जहां एक ओर नेतन्याहू अपने दुश्‍मनों को सीधी चेतावनी दे रहे हैं, वहीं मोदी भी आतंक के खिलाफ ‘अब बहुत हो गया’ वाली नीति पर अडिग हैं. यह समान सोच दोनों देशों को सुरक्षा के मामले में एक-दूसरे का प्राकृतिक साझेदार बनाती है.

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