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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में हनुमंतरायप्पा का निर्वाचन बहाल करते हुए कहा कि मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला खारिज कर दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक आचरण नहीं है.(Image:PTI)
हाइलाइट्स
- सुप्रीम कोर्ट ने ताश खेलना अनैतिक नहीं माना.
- हनुमंतरायप्पा का निर्वाचन बहाल किया गया.
- कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला खारिज.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक में एक सहकारी समिति में एक शख्स के निर्वाचन को बहाल करते हुए कहा कि सट्टेबाजी और जुए के बिना मनोरंजन के लिए ताश खेलना अनैतिक आचरण नहीं है. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने इस बात पर गौर किया कि ‘गवर्नमेंट पोर्सिलेन फैक्टरी एम्प्लाइज हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड’ के निदेशक मंडल में चुने गए हनुमंतरायप्पा वाईसी जब कुछ अन्य लोगों के साथ सड़क किनारे बैठकर ताश खेलते पकड़े गए, तो उनपर बिना किसी सुनवाई के कथित तौर पर 200 रुपये का जुर्माना लगाया गया.
पीठ ने कहा कि ‘हालात को देखते हुए, हमें यह कहना कठिन लगता है कि अपीलकर्ता पर लगाया गया कदाचार का आरोप नैतिक पतन की श्रेणी में आता है. यह सर्वविदित है कि नैतिक पतन शब्द का प्रयोग कानूनी और सामाजिक भाषा में ऐसे आचरण का वर्णन करने के लिए किया जाता है, जो स्वाभाविक रूप से नीच, भ्रष्ट या किसी तरह से भ्रष्टता दिखाने वाला हो. हर वह कार्य जिसके खिलाफ कोई आपत्ति उठा सकता है, जरूरी नहीं कि उसमें नैतिक पतन शामिल हो.’
यह देखते हुए कि हनुमंतरायप्पा आदतन जुआरी नहीं हैं, पीठ ने कहा कि ‘ताश खेलने के कई प्रकार हैं. यह स्वीकार करना कठिन है कि इस तरह के खेल के हर रूप में नैतिक पतन शामिल होगा, खासकर जब इसे मनोरंजन के लिये खेला जाता है. वास्तव में, हमारे देश के अधिकांश भागों में, जुआ या शर्त के बिना, ताश खेलना, गरीब लोगों के मनोरंजन के स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हनुमंतरायप्पा को सहकारी समिति के निदेशक मंडल में सर्वाधिक मतों से चुना गया था और उनके निर्वाचन को रद्द करने की सजा उनके द्वारा किए गए कथित कदाचार की प्रकृति के अनुपात में बेहद असंगत है.
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सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि उपरोक्त कारणों से, हम इस बात से संतुष्ट हैं कि अपीलकर्ता के विरुद्ध की गई कार्रवाई को सही नहीं ठहराया जा सकता. इसलिए अपील स्वीकार की जाती है. न्यायालय ने सहकारी समिति के निदेशक पद से हनुमंतरायप्पा को हटाने के निर्णय को बरकरार रखने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया.
Rakesh Singh is a chief sub editor with 14 years of experience in media and publication. International affairs, Politics and agriculture are area of Interest. Many articles written by Rakesh Singh published in …और पढ़ें
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