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Virasat Galiyara in CM City: सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा पुराने शहर को विरासत गलियारा के रूप में विकसित करने की है। इसका केंद्र घंटाघर होगा, जहां अमर शहीद बिस्मिल को फांसी के बाद उनकी मां ने लोगों को संबोधित किया था। यहीं से होली पर नृसिंह शोभायात्रा निकलती है तो दशहरे पर राघव-शक्ति मिलन का भी साक्षी यही पुराना शहर बनता है।
पिछले दिनों गोरखपुर के दौरे पर आए मुख्यमंत्री ने बैठक में अफसरों को इस बाबत निर्देश दिए थे। इस पर काम शुरू हो गया है। सबसे पहले बिजली के काम होंगे। सड़क से ट्रांसफार्मर-खंभे हटाए जांगे। तारों का जाल हटाकर भूमिगत केबल से बिजली आपूर्ति होगी। इसको लेकर बिजली निगम ने प्रस्ताव तैयार कर नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल को सौंप दिया है। विरासत गलियारा की सड़कें चौड़ी की जाएंगी। आकर्षक लाइटें लगाई जाएंगी। नगर आयुक्त कार्यालय फिलहाल ‘हेरिटेज गलियारा’ को लेकर डीपीआर तैयार कर रहा है।
दो चरण में 55.5 करोड़ होंगे खर्च बिजली निगम ने 55.50 करोड़ रुपये का प्रस्ताव बनाया है। इसके मुताबिक घंटाघर चौक से रेती चौक, घंटाघर चौक से दुर्गा मिलन चौक, मदरसा चौक, पाण्डेय हाता पुलिस चौकी, रेती चौक से मदीना मस्जिद और गीता वस्त्रत्त् विभाग तक 35.50 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जबकि चरणलाल चौक से रेती चौक तक 18 करोड़ रुपये की धनराशि खर्च होगी।
सांस्कृतिक पहचान बन चुका है मार्ग होलिका दहन वाले दिन पाण्डेय हाता से शोभायात्रा जबकि रंग पंचमी पर घंटाघर से भगवान नृसिंह शोभायात्रा निकालती है। दोनों शोभायात्राओं में गोरक्षपीठाधीश्वर शामिल होते हैं। यही मार्ग दशहरा पर राघव-शक्ति मिलन का भी साक्षी बनता है। सांसद रवि किशन शुक्ला कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के विकास व पर्यटन को लेकर गंभीर हैं।
शहादत का साक्षी है घंटाघर
यह मार्ग अमर शहीद बंधू सिंह के बलिदान का भी गवाह है। अंग्रेजों के खिलाफ बगावत करने पर 12 अगस्त 1858 को अलीनगर चौराहे पर उन्हें फांसी दी गई थी। प्रथम स्वतंत्रता संगाम के दौरान 1857 में घंटाघर के पास स्थित पाकड़ के पेड़ से अली हसन के साथ दर्जनों स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गई थी। अमर शहीद राम प्रसाद बिस्मिल को 19 दिसंबर 1927 को जिला कारागार में फांसी के बाद शहर में निकली उनकी शवयात्रा घंटाघर में आकर रुकी थी। यहां उनकी मां ने प्रेरणादायी भाषण भी दिया। रायगंज के सेठ राम खेलावन और सेठ ठाकुर प्रसाद ने 1930 में अपने पिता सेठ चिगान साहू की याद में मीनार की तरह इमारत का निर्माण कर शहीदों के नाम समर्पित किया। इसे चिगान टॉवर भी कहते। यहां घंटे वाली घड़ी लगी थी जिसके कारण घंटाघर नाम पड़ गया।
ये काम भी कराए जाएंगे
बताया जा रहा है कि पहले चरण में बिजली का काम होने के बाद रूट पर पड़े वाले मोहल्लों का सुन्दरीकरण होगा। यहां स्वतंत्रता संग्राम के साथ सांस्कृतिक पहचान से जुड़े स्थलों को संवारा जाएगा। घंटाघर को तकरीबन 6 करोड़ रुपये से सवारा जाएगा। यहां फसाड लाइटें लगाई जाएंगी। चौक का चौड़ीकरण होगा, यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे।