नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने बुधवार को कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ (Teesta Setalvad) और उनके पति जावेद आनंद (javed anand) को धन के कथित दुरुपयोग को लेकर उनके खिलाफ दायर मामले में गुजरात पुलिस के साथ सहयोग करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही उन्हें दी गई अग्रिम जमानत में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने न्यायालय को बताया कि दोनों जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिसके बाद न्यायमूर्ति एस. के. कौल की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने आदेश पारित किया. इस मामले में दी गई अग्रिम जमानत को चुनौती देने वाली गुजरात सरकार की एक याचिका को निस्तारित करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘अभी तक आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया है. एएसजी का मानना है कि सहयोग की कमी का एक तत्व है. (जमानत के संदर्भ में) जैसा है वैसा रहने दें, प्रतिवादी आवश्यकता पड़ने पर जांच में सहयोग करेंगे.’’ पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया और न्यायमूर्ति पी. के. मिश्रा भी शामिल हैं.
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कपिल सिब्बल ने किया एएसजी के प्रतिवेदन का विरोध
तीस्ता सीतलवाड़ की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एएसजी के प्रतिवेदन का विरोध करते हुए कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता मामले में सहयोग कर रही हैं. शीर्ष अदालत ने सीतलवाड़ की उस याचिका का भी निस्तारण कर दिया जिसमें गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा आठ फरवरी, 2019 के फैसले में अग्रिम जमानत देते समय की गई टिप्पणियों को हटाने का अनुरोध किया गया था.
पीठ ने उनकी अग्रिम जमानत सुनिश्चित करते हुए कहा, ‘‘यह कहना बेतुका है कि जमानत के चरण में की गई कोई भी टिप्पणी मामले की सुनवाई पर शायद ही कोई प्रभाव डाल सकती है. हमें और कुछ कहने की जरूरत नहीं.”
सीतलवाड़ और आनंद पर ‘धोखाधड़ी’ का मामला
धन की कथित हेराफेरी का मामला अहमदाबाद अपराध शाखा ने एक शिकायत पर दर्ज किया था, जिसमें सीतलवाड़ और आनंद पर 2008 और 2013 के बीच अपने एनजीओ ‘सबरंग ट्रस्ट’ के माध्यम से केंद्र सरकार से ‘धोखाधड़ी’ के जरिए 1.4 करोड़ रुपये का अनुदान हासिल करने का आरोप लगाया गया था. गुजरात पुलिस के अनुसार, यह धन जाहिर तौर पर 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के पीड़ितों की मदद के लिए प्राप्त किया गया था, लेकिन इसका दुरुपयोग किया गया या अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया.
पूर्व करीबी सहयोगी ने दर्ज कराई शिकायत
शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 403 (संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग), 406 (विश्वास का आपराधिक उल्लंघन) और 409 (लोक सेवक, या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन) के तहत दर्ज की गई थी. सीतलवाड़ और सबरंग के न्यासियों के खिलाफ अपराध शाखा द्वारा उनके पूर्व करीबी सहयोगी रईस खान पठान की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था. पठान ने आरोप लगाया है कि अनुदान का दुरुपयोग किया गया और ऐसी सामग्री मुद्रित और वितरित की गई जिससे सांप्रदायिक वैमनस्य पैदा हो सकता है.
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FIRST PUBLISHED : November 1, 2023, 16:27 IST