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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: क्या NGOs को धन वितरण के विनियमन के लिए योजना बनाने का इरादा है

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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: क्या NGOs को धन वितरण के विनियमन के लिए योजना बनाने का इरादा है

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हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से किया सवाल
NGOs को धन वितरण के विनियमन के लिए योजना बनाने का इरादा है
सरकार के रुख से कोर्ट अवगत कराने के दिए निर्देश

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को केंद्र सरकार (Central Government) से पूछा कि क्या देश में 32 लाख से अधिक गैर- सरकारी संगठनों (एनजीओ) और स्वयंसेवी संगठनों को सार्वजनिक धन के वितरण के विनियमन के लिए एक ‘व्यापक’ योजना बनाने का उसका कोई इरादा है. प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से इस बाबत सरकार से निर्देश लेने और न्यायालय को अवगत कराने को कहा.

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा, ‘क्या इस पर कोई विनियमन तंत्र है?’ पीठ ने कहा, ‘आप (केंद्र) विनिनयम के लिए व्यापक विधायी या प्रशासनिक योजना के साथ आएं.’ पीठ ने विधि अधिकारी को इस बारे में सरकार के रुख से उसे अवगत कराने को कहा. शीर्ष अदालत ने पहले भी केंद्र से गैर-सरकारी संगठनों और स्वैच्छिक संगठनों को सार्वजनिक धन के वितरण को विनियमित करने के लिए एक कानून बनाने पर विचार करने और दुरुपयोग या हेराफेरी के मामले में मुकदमा चलाने के लिए कहा था.

30 लाख एनजीओ में से 10% से भी कम ने जमा किए वित्‍तीय विवरण
पीठ वकील एम. एल. शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सीबीआई ने सितंबर 2015 में शीर्ष अदालत को बताया था कि देश भर में कार्यरत 30 लाख से अधिक एनजीओ में से 10 प्रतिशत से भी कम ने अपने रिटर्न या बैलेंस शीट और अन्य वित्तीय विवरण अधिकारियों को सौंपे हैं. जनहित याचिका में गैर-सरकारी संगठनों द्वारा धन के कथित गबन की जांच की मांग की गई है.

Tags: Central government, Supreme Court

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