नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इलेक्टोरल बॉन्ड्स यानी चुनावी बॉन्ड्स योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक करार दिया और अपने फैसले में कहा कि अनाम चुनावी बॉन्ड संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. सीजेआई ने एकमत वाले अपने फैसले में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सूचना के अधिकार का उल्लंघन है और मतदाताओं को पार्टियों की फंडिंग के बारे में जानने का हक है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के अंदर प्रशांत भूषण और सॉलिसिटर जनरल के बीच हल्के मजाकिया अंदाज में एक बातचीत भी हुई, जिसकी खूब चर्चा हो रही है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट रूप के भीतर ही कहा कि यह एक सराहनीय फैसला है, जो हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बढ़ावा देगा. जैसे ही प्रशांत भूषण ने यह कहा, उधर से कोर्ट रूम में ही मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चुटकी भरे अंदाज में कहा, ‘यह बयान तो बाहर के लिए है… जाइए बाहर फोटोग्राफर्स आपका इंतजार कर रहे हैं.’ इसके बाद कोर्ट रूम में हंसी के ठहाके लगने लगे.
Electoral Bond: चुनावी बॉन्ड योजना पर लगी रोक, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- यह असंवैधानिक
फैसले पर प्रशांत भूषण ने क्या कहा
चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रशांत भूषण ने मीडिया से कहा, ‘एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैसले में, जिसका हमारे चुनावी लोकतंत्र पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा, सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना और कंपनियों में आयकर अधिनियम में इसे लागू करने के लिए किए गए सभी प्रावधानों को रद्द कर दिया है. अधिनियम आदि सब कुछ रद्द कर दिया गया है. उन्होंने माना है कि यह नागरिकों के यह जानने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है कि राजनीतिक दलों को इतना पैसा कौन दे रहा है.’ उन्होंने कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को दिए जा रहे असीमित योगदान को भी खत्म कर दिया है.’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या-क्या कहा
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया और कहा कि यह संविधान प्रदत्त सूचना के अधिकार और बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करती है. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दो अलग-अलग लेकिन सर्वसम्मत फैसले सुनाए. प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत बोलने तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है. पीठ ने कहा कि नागरिकों की निजता के मौलिक अधिकार में राजनीतिक गोपनीयता, संबद्धता का अधिकार भी शामिल है.
क्या है चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया था. इसे राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दान के विकल्प के रूप में पेश किया गया था. योजना के प्रावधानों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में निगमित या स्थापित इकाई द्वारा खरीदा जा सकता है. कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है.
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Tags: Electoral Bond, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : February 15, 2024, 12:16 IST