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सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच जारी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर यह ‘विवाद’ अब पुराना होता जा रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शनिवार को कहा कि उन्होंने एक रिपोर्ट देखी है कि सुप्रीम कोर्ट ने ‘चेतावनी’ दी है। उन्होंने कहा, “जनता इस देश की मालिक है और हम सेवक हैं। हम सब यहां सेवा के लिए हैं। हमारा मार्गदर्शक संविधान है। संविधान के मार्गदर्शन और जनता की इच्छा के अनुसार देश का शासन चलेगा। कोई भी किसी को चेतावनी नहीं दे सकता।” मंत्री ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इलाहाबाद उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के समारोह में ये टिप्पणी की।
रिजिजू ने कहा कि इस देश का मालिक यहां की जनता है और ‘गाइड’ (मार्गदर्शक) इस देश का संविधान है। हम सब लोग (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) जनता के सेवक हैं। मंत्री ने कहा, “देश में कभी-कभी कुछ मामलों को लेकर चर्चा चलती है और लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का हक है। लेकिन जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को कुछ कहने से पहले यह सोचना होगा कि इससे देश को फायदा होगा या नहीं।” रिजिजू ने कहा, “इस समय पूरे देश में चार करोड़ 90 लाख मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। हम इस समस्या का समाधान निकाल रहे हैं। सबसे बड़ा उपाय प्रौद्योगिकी समाधान है। हाल ही में बजट में ई- कोर्ट फेज 3 के लिए 7000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।”
उन्होंने कहा, “देश का सबसे बड़ा उच्च न्यायालय होने के नाते मेरी इच्छा है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ई-कोर्ट परियोजना लागू करने में अग्रणी भूमिका निभाए। सरकार ने 1486 पुराने और चलन से बाहर के कानून समाप्त किए हैं वर्तमान संसद सत्र में ऐसे 65 कानून हटाने की प्रक्रिया चल रही है।” मंत्री ने कहा, “सरकार ने भारी संख्या में लंबित मामलों को देखते हुए लीगल इन्फार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम (कानूनी सूचना प्रबंधन प्रणाली)लागू करने की तैयारी की है जिससे व्यक्ति किसी भी उच्च न्यायालय में मामला किस स्तर पर है, इसकी जानकारी एक क्लिक पर हासिल कर सकेगा।”
रिजिजू ने कहा कि मध्यस्थता विधेयक तैयारी के अंतिम चरण में है और इसके पारित होने के बाद देश में समानांतर न्याय व्यवस्था स्थापित होगी। उन्होंने कहा कि मध्यस्थता की व्यवस्था पूर्ण न्यायिक व्यवस्था होगी; इससे छोटे-छोटे मामले अदालत के बाहर ही निपट जाएंगे और अदालतों पर बोझ घटेगा। समारोह में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति प्रितिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा, महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र और हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राधाकांत ओझा शामिल हुए।