ऐप पर पढ़ें
आईआईटी बीएचयू के लिम्बडी छात्रावास के कमरा नं.-187 में यहीं के छात्र उत्कर्ष राज की लाश लटकी मिली है। उत्कर्ष राज ने डिप्रेशन के कारण फांसी लगाकर जान दे दी है। साथियों ने कमरे का दरवाजा तोड़कर उसे फंदे से उतारा और सर सुंदरलाल अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। सूचना पर परिजन भी अस्पताल पहुंचे। पुलिस ने शव को मोर्चरी में रखवाया है। बीएचयू के निर्माण विभाग में सेक्शन अफसर राजेंद्र प्रसाद का इकलौता बेटा उत्कर्ष आईआईटी से इंटीग्रेटेड ड्युअल डिग्री के तहत पांच वर्षीय बी-आर्क पाठ्यक्रम के अंतिम वर्ष का छात्र था। परिवार सुसुवाहीं के नासिरपुर में रहता है। परिजनों और साथियों के मुताबिक उत्कर्ष को डिप्रेशन की समस्या थी। पिता ने इस बारे में विभाग में भी बताया था जिसके कारण उत्कर्ष की नियमित काउंसिलिंग कराई जाती थी। मां ने बताया कि बुधवार को दिन में 03 बजे उत्कर्ष हॉस्टल गया था।
रूम पार्टनर अभिषेक चौधरी ने बताया कि बुधवार को आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट में ओरिएंटेशन प्रोग्राम था मगर उत्कर्ष नहीं पहुंचा। अभिषेक सहित अन्य छात्र शाम 5 बजे हॉस्टल पहुंचे तो कमरे का दरवाजा अंदर से बंद मिला। आवाज लगाने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। छात्रों ने दरवाजा तोड़ दिया। भीतर पंखे में बंधी बेडशीट के फंदे से उत्कर्ष लटका मिला। साथियों ने तत्काल उसे उतारा और वार्डन सूर्यदेव यादव और प्रॉक्टोरियल बोर्ड को सूचना दी। उत्कर्ष को लेकर अस्पताल पहुंचे मगर बचाया नहीं जा सका।
सूचना पर पिता राजेंद्र प्रसाद के साथ मां व अन्य परिजन इमरजेंसी पहुंचे। इंस्पेक्टर लंका शिवाकांत मिश्र ने साथी छात्रों से पूछताछ कर घटनाक्रम की जानकारी ली। मूलरूप से रुस्तमपुर (चौबेपुर) निवासी राजेंद्र प्रसाद 10 साल से नासिरपुर में रह रहे हैं। उनकी छोटी बेटी आईआईटी रुड़की से पढ़ाई कर रही है। इकलौते बेटे की मौत पर माता-पिता गमगीन थे।
20 घंटे पहले डाली थी इंस्टाग्राम पर स्टोरी
बी-आर्क अंतिम वर्ष की पढ़ाई के साथ ही उत्कर्ष सोशल मीडिया पर भी सक्रिय था। 20 घंटे पहले उसने इंस्टाग्राम पर स्टोरी डाली थी जिसमें लिखा था कि ‘इस समय दुनिया एग्जाम के लिए पढ़ाई करती है और आर्किटेक्चर वाले चिल करते हैं’। छात्र ने तीन दिन पहले ‘घाट चैट’ नामक एक निमंत्रण भी इंस्टाग्राम पर डाला था जिसका आयोजक वह खुद था। इंस्टाग्राम पर दोस्तों के साथ और देश के कई हिस्सों में घूमने के दौरान की कई तस्वीरें भी उसने पोस्ट की हैं।
साथी समझ नहीं पाए ‘दादी से मिलने जाना है’
साथी छात्रों ने बताया कि उत्कर्ष हॉस्टल के कमरे में कम रहता था। पिछले कुछ दिनों से उससे ज्यादा बातचीत नहीं हो पा रही थी। साथी छात्रों को भी उसकी डिप्रेशन के बारे में पता था इसलिए उसे अकेला कम ही छोड़ते थे। कुछ दिन पहले उसने किसी दोस्त से कहा था कि उसे दादी से मिलने जाना है। साथी अंदाजा नहीं लगा सके कि वह आत्मघाती कदम उठाएगा। उत्कर्ष के इस कदम से उसके शिक्षक भी हैरान हैं।