Home National सोलर उपकरण लगाना होगा आसान, मिलेगा रोजगार, अक्षय ऊर्जा आधारित उपकरणों के लिए केंद्र सरकार ला रही नई योजना

सोलर उपकरण लगाना होगा आसान, मिलेगा रोजगार, अक्षय ऊर्जा आधारित उपकरणों के लिए केंद्र सरकार ला रही नई योजना

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सोलर उपकरण लगाना होगा आसान, मिलेगा रोजगार, अक्षय ऊर्जा आधारित उपकरणों के लिए केंद्र सरकार ला रही नई योजना

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Solar Energy: नेशनल समिट ऑन पॉवरिंग सस्टेनेबल लाइवलीहुड्स को संबोधित करते हुए केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने केंद्र सरकार की नई योजना के बारे में जानकारी दी. उन्‍होंने कहा, ‘हमारी सरकार नवीकरणीय ऊर्जा के विकेंद्रीकृत उपकरणों के लिए एक नई योजना लेकर आ रही है. जमीनी स्तर पर पहले से ही काफी काम हो रहा है और हमारी योजना से देश भर के लाखों परिवारों को लाभ मिल सकता है लेकिन हमें डीआरई उपकरणों की कीमतें घटाने और इसका दायरा बढ़ाने के लिए इसके बड़े पैमाने पर निर्माण करने के साथ-साथ इनका मानकीकरण करने की जरूरत होगी.’

उन्‍होंने आगे कहा, ‘जिस तरह हमने ग्रिड-स्केल सौर ऊर्जा को बढ़ावा दिया है, उसी तरह भारत आजीविका के लिए अक्षय ऊर्जा के विकेंद्रीकृत उपकरणों को भी आगे बढ़ाएगा. जैसे रूफटॉप सोलर और सोलर इरिगेशन पर हमारा बड़ा प्रोग्राम है, उसी तरह हम डीआरई आजीविका के लिए भी एक बड़ा प्रोग्राम बनाएंगे.

काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) और विलग्रो इनोवेशन फाउंडेशन की पहल पॉवरिंग लाइवलीहुड्स की ओर से आयोजित इस नेशनल समिट में पहुंचे सिंह ने कहा कि सरकार डीआरई आधारित आजीविका उपकरणों को किफायती बनाना चाहती है. इसको करने का एक तरीका है कि इसको बैंकों को जोड़ना होगा. अगर कोई परिवार सोलर ड्रायर लगाना चाहता है, तो उसे बैंकों से कर्ज लेने में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए. हम इस दिशा में काम करेंगे. आजीविका के लिए डीआरई उपकरणों के निर्माता और इसके उपयोगकर्ता इसे आगे बढ़ाने के मामले में पॉयनियर हैं, अब सरकार इसे अगले स्तर तक ले जाने का काम करेगी.

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केंद्रीय मंत्री ने इस समिट में सीईईडब्ल्यू और विलग्रो की दो नई रिपोर्ट को जारी किया. ये रिपोर्ट बताती हैं कि स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में भारत के कृषि और कपड़ा क्षेत्रों में 37 मिलियन आजीविकाओं का समर्थन करने की क्षमता मौजूद है, जो लगभग 4 लाख करोड़ रुपये (लगभग 50 बिलियन अमेरीकी डॉलर) की बाजार संभावना है. इसके अलावा, स्वच्छ प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली 70 प्रतिशत महिलाओं और किसानों ने आय बढ़ने की, लगभग 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी होने, जानकारी दी. वे अपनी आय को बढ़ाने और विविधता लाने के लिए सोलर सिल्क रीलिंग मशीनें, मल्टी-फूड प्रोसेसर्स, माइक्रो सोलर पंप्स, सोलर वर्टिकल फोडर ग्रो यूनिट्स जैसे स्वच्छ-ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों का उपयोग करते हैं.

इस समिट में केंद्रीय मंत्री सिंह ने सीईईडब्ल्यू और विलग्रो के बनाए सोलर गान (सोलर ऐंथम) सूरज का गोला को भी जारी किया. इसे बैंड माटी बानी और इंडियन आइडल फेम आशीष कुलकर्णी के सहयोग से बनाया गया है. यह गीत बताता है कि कैसे सौर ऊर्जा का उपयोग ग्रामीण भारत में जीवन और आजीविका दोनों को बदल रहा है.

भारत में, सौर-ऊर्जा संचालित पंप को लगाने के लिए अधिकतम क्षमता मौजूद है. इसमें उच्च क्षमता और माइक्रो-पंप शामिल हैं. इसके अलावा, सौर ऊर्जा-संचालित चारा उगाने की वर्टिकल यूनिट्स और सौर ड्रायर के लिए भी अधिकतम संभावनाएं मौजूद हैं. ये चार प्रौद्योगिकियां मिलकर लगभग 27 मिलियन आजीविकाओं को प्रोत्साहित कर सकती हैं. 2015 से सरकारी कार्यक्रमों के तहत सहायता मिलने के कारण सोलर पंप की इन सभी तकनीकों में सर्वाधिक परिपक्व या मजबूत स्थिति है.

अभिषेक जैन, फेलो और निदेशक-पॉवरिंग लाइवलीहुड्स, सीईईडब्ल्यू ने कहा, ‘भारत, स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देशों में से एक है. पॉवरिंग लाइवलीहुड्स जैसे कार्यक्रम के साथ, हम इस स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन को आम जनता तक पहुंचा रहे हैं और उनकी आय व आजीविका को बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं. महामारी के बाद से पूरे भारत में ऐसी 11,000 से अधिक प्रौद्योगिकी को लगाते हुए, हम लोगों ने आय बढ़ाने और विविधता लाने के मामले में स्वच्छ-ऊर्जा-संचालित आजीविका प्रौद्योगिकियों के प्रभाव को सामने रखा है. एक ऐसे देश में जहां हर महीने दस लाख युवा कामकाजी उम्र की आबादी तक पहुंच जाते हैं, हमें सक्रियता के साथ नौकरियों और आजीविका को समर्थन देने की आवश्यकता है.

रिपोर्ट में पाया गया है कि स्वच्छ ऊर्जा-संचालित प्रौद्योगिकियों के लिए उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा अवसर मौजूद है। इसके बाद पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और कर्नाटक का स्थान आता है. लेकिन सभी राज्यों में प्रत्येक आजीविका प्रौद्योगिकी के लिए सापेक्ष बाजार अलग-अलग है. उदाहरण के लिए, माइक्रो सोलर पंप के लिए पश्चिम बंगाल में, जबकि सोलर ड्रायर के लिए महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा बाजार मौजूद है.

इसके अलावा, सीईईडब्ल्यू-विलग्रो विश्लेषण ने यह भी रेखांकित किया है कि वर्तमान में इन स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के उपयोगकर्ताओं में ज्यादातर महिलाएं हैं. 19 राज्यों में 767 उपयोगकर्ताओं के बीच किए गए सर्वेक्षण में 74 प्रतिशत उत्तरदाता महिलाएं रहीं. उपयोग हो रही इन स्वच्छ प्रौद्योगिकियों ने कई सामाजिक प्रभाव भी पैदा किए हैं.

अनंथ अरवमुदन, सेक्टर लीड – क्लाइमेट एक्शन, विलग्रो ने कहा, ‘पॉवरिंग लाइवलीहुड्स के माध्यम से, हमने सामाजिक उद्यमियों को सहायता दी है, जो अक्षय ऊर्जा के दोहन, बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने और दोहराने योग्य व्यवसाय मॉडलों का उपयोग करते हुए ग्रामीण भारत में लाखों आजीविकाओं को पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं. 15 साल के निवेश विस्तार के साथ, स्वच्छ प्रौद्योगिकी उत्पादों के विभिन्न संस्करण उनके ग्रिड विकल्पों की तुलना में ज्यादा आकर्षक हो जाते हैं। हमें उम्मीद है कि इस कार्यक्रम से सामने आये प्रमाण नीति निर्माताओं, फाइनेंसरों और प्रौद्योगिकी निर्माताओं को ऐसे आजीविकाओं को बढ़ाने वाले उत्पादों को मुख्यधारा में लाने के लिए सहायता देने के लिए प्रेरित करेंगे.’

ग्रामीण भारत में स्वच्छ प्रौद्योगिकी की पूरी क्षमता को सामने लाने के लिए जमीनी स्तर पर मौजूद चुनौतियों का समाधान करने की जरूरत होगी. अक्सर कच्चे माल की अनुपलब्धता, बाजार से कमजोर जुड़ाव के कारण सीमित आय, और ग्रामीण क्षेत्रों में सर्विस सहायत की कमी जैसे कारणों से ग्रामीण इलाकों में प्रौद्योगिकी का उपयोग बाधित होता है. इन तकनीकों का व्यावसायीकरण करने के लिए हितधारकों की ओर से विनिर्माताओं को ज्यादा पूंजीगत सहायता और अंतिम उपयोगकर्ताओं को किफायती ऋण के माध्यम से एक ठोस प्रयास करने की जरूरत है.

सोलर रेफ्रिजरेटर सहित सोलर पंप त‍क मौजूद 

इस समिट में सिल्क रीलिंग और स्पिनिंग मशीन, सोलर रेफ्रीजेरेटर, सोलर पॉवर हाइड्रोफोनिक फोडर ग्रो स्टेशन, सोलर ड्रायर, मल्टी-पर्पज फूड प्रोसेसिंग मशीन और सोलर पंप जैसी विभिन्न डीआरई तकनीक की प्रदर्शनी भी लगाई गई. यहां पर इनके निर्माता और इन्हें इस्तेमाल करने वाले उपयोगकर्ताओं ने लोगों को इसके लाभों की जानकारी दी.

Tags: Energy minister, Solar system

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