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हाइलाइट्स
आज दिवाली सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र में मनाई जा रही है.
दिवाली लक्ष्मी पूजा का शाम का मुहूर्त: शाम 05:39 बजे से शाम 07:35 बजे तक.
दिवाली पर माता लक्ष्मी को खील-बताशे, खीर या दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए.
आज 12 नवंबर रविवार को पूरे देश में शुभ दिवाली मनाई जा रही है. इस साल की दिवाली सौभाग्य योग और स्वाति नक्षत्र में है. इस सुंदर संयोग में दिवाली की लक्ष्मी पूजा होगी, जो आपके लिए शुभ और उन्नतिदायक होगी. आज पूजा का मुहूर्त शाम के समय में है. कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल में दिवाली की पूजा करना शुभ होता है. इसके अलावा निशिता काल में भी लक्ष्मी पूजा की जा सकती है. दिवाली पर लक्ष्मी मंत्रों का जाप करने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं दिवाली के शुभ मुहूर्त, लक्ष्मी पूजा विधि, पूजन सामग्री, मंत्र, भोग, आरती आदि के बारे में.
दिवाली 2023 शुभ मुहूर्त
कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरूआत: आज, दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से
कार्तिक अमावस्या तिथि की समाप्ति: कल, दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर
दिवाली लक्ष्मी पूजा का शाम का मुहूर्त: शाम 05:39 बजे से शाम 07:35 बजे तक
दिवाली लक्ष्मी पूजा रात का मुहूर्त: रात 11:39 बजे से देर रात 12:32 बजे तक
स्वाति नक्षत्र: आज, प्रात:काल से कल 02:51 एएम तक.
सौभाग्य योग: आज शाम 04 बजकर 25 मिनट से कल दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक
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दिवाली 2023 पूजा सामग्री
माता लक्ष्मी, गणेश जी की नई मूर्ति, अक्षत्, सिंदूर, कुमकुम, रोली, चंदन, लाल फूल, कमल और गुलाब के फूल, माला, केसर, फल, पान का पत्ता, सुपारी, कमलगट्टा, धान का लावा, बताशा, मिठाई, पीली कौड़ियां, शहद, इत्र, गंगाजल, दूध, दही, तेल, शुद्ध घी, खीर, मोदक, लड्डू, पंच मेवा, कलावा, पंच पल्लव, सप्तधान्य, एक कलश, पीतल का दीपक, मिट्टी का दीपक, रुई की बत्ती, लौंग, इलायची, दूर्वा, लकड़ी की चौकी, आम के पत्ते, साफ आटा, आसन के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, एक नारियल, लक्ष्मी और गणेश के सोने या चांदी के सिक्के, धनिया आदि.
मां लक्ष्मी का मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नम:॥
गणेश जी का मंत्र
गजाननम्भूतगभू गणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्।
उमासुतं सु शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।
लक्ष्मी-गणेश का प्रिय भोग
दिवाली पर माता लक्ष्मी को खील-बताशे, मखाने की खीर या दूध, चावल और चीनी से बनी खीर या फिर दूध से बनी सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए. गणेश जी को मोदक या बूंदी के लड्डू का भोग लगाना चाहिए.
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दिवाली 2023 पूजा विधि
दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लकड़ी के एक एक चौकी पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति स्थापना करें. फिर कलश स्थापना के बाद सबसे पहले गणेश पूजा करें. प्रथम पूज्य गणेश जी को अक्षत्, सिंदूर, दूर्वा, फूल, फल, गंध, धूप, दीप, जनेऊ, मोदक, पान, सुपारी आदि चढ़ांए. ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें.
इसके बाद माता लक्ष्मी को अक्षत्, कुमकुम, कमल का फूल, लाल गुलाब, कमलगट्टा, कौड़ी, शंख, नारियल, धूप, दीप, खील, बताशे, वस्त्र, फल, सफेद मिठाई आदि अर्पित करें. उनके मंत्र का जाप करें. गणेश जी और माता लक्ष्मी के लिए घी के दीपक जलाएं.
तेल का एक बड़ा अखंड दीपक जलाएं, जो पूरी रात तक जलता रहना चाहिए. धन और संपत्ति की प्राप्ति के लिए श्री सूक्तम् या कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. कपूर या घी के दीपके से गणेश जी और माता लक्ष्मी की आरती करें. फिर मां लक्ष्मी से धन, सुख, समृद्धि और वैभव प्रदान करने की प्रार्थना करें. उसके बाद प्रसाद वितरण करें. घर में प्रमुख स्थानों पर तेल के दीप जलाकर रखें.
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दिवाली का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने त्रेतायुग में लंका के असुरराज रावण का वध किया था. उसके बाद वे माता सीता, भाई लक्ष्मण, सुग्रीव, विभिषण आदि के साथ अयोध्या पहुंचे थे. 14 वर्षों के वनवास के बाद उनके अयोध्या आगमन पर कार्तिक अमावस्या को पूरे नगर को दीपों से सजाया गया था. हर घर में खुशी के दीप जले थे. इस वजह से हर साल कार्तिक अमावस्या को प्रदोष काल में दीप जलाकर दिवाली का उत्सव मनाते हैं. दिवाली पर माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन, संपत्ति आदि में बढ़ोत्तरी होती है.
मां लक्ष्मी की आरती
ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता…
दुर्गा रूप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता…
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता…
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता…
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता…
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता…
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता…
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Diwali, Diwali festival, Lord ganapati
FIRST PUBLISHED : November 12, 2023, 06:31 IST
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