हाइलाइट्स
स्लीप पैरालिसिस से बचने के लिए 6-8 घंटे की नींद पूरी करें.
स्लीपिंग डिसऑर्डर से बचने के लिए कम से कम स्ट्रेस लें.
सोने के बाद कभी आपने महसूस किया है की, आप होश में हैं और उठने की कोशिश कर रहें लेकिन आपका पूरा शरीर जम गया है. नींद की इस स्थिति को ही स्लीप पैरालिसिस कहते हैं, जब व्यक्ति को लगता है की वो होश में है पर उसका शरीर हिल-डुल नहीं सकता. गहरी नींद आने से पहले या नींद खुलने से कुछ देर पहले ये परेशानी हो सकती है. इसके कारण स्लीप साइकिल डिस्टर्ब होता है और थकान या कमजोरी की शिकायत होने लगती है. स्लीप पैरालिसिस की समस्या किसी लाइफस्टाइल प्रॉब्लम के कारण ही होती है. इसे बुरा सपना समझकर नजरअंदाज ना करें. स्लीप पैरालिसिस के लक्षण दिखने पर तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए, नहीं तो ये शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी परेशानी बन सकती है. आइए जानते हैं,
किन कारणों से हो सकती है, स्लीप पैरालिसिस की समस्या –
वेब एमडी डॉट कॉम के अनुसार नींद की कमी स्लीप पैरालिसिस का सबसे बड़ा कारण है. जरूरी है की बॉडी को प्रॉपर रेस्ट दें और 6-8 घंटे की अच्छी नींद लें.
एडीएचडी जैसी दवाइयों का सेवन करने से स्लीप साइकिल डिस्टर्ब हो सकता है, जिससे नींद संबंधी समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है.
स्ट्रेस या बाइपोलर डिसऑर्डर से परेशान लोगों में अक्सर स्लीप पैरालिसिस की समस्या देखी जाती है.
शराब, सिगरेट या दूसरे प्रकार के नशों से बचें. इनका सेवन नींद के साथ ही बॉडी के दूसरे एस्पेक्ट्स को भी नुकसान पहुंचाता है.
सोते वक्त, खराब पोस्चर होने के कारण या स्लीप शेड्यूल बार-बार बदलने से स्लीपिंग हेल्थ प्रभावित होती है और स्लीप पैरालिसिस की समस्या भी हो सकती है.
स्लीप पैरालिसिस से उपचार के लिए अपनाएं ये उपाय –
नींद के साथ कोई भी समझौता करने से बचें. स्वस्थ्य शरीर के लिए एक दिन में 6-8 घंटे की नींद लेना जरूरी है. कोशिश करें की बिना डिस्टर्बेंस के अपनी नींद पूरी करें.
अपनी स्लीप साइकिल पर ध्यान दें और आवश्यकता पड़ने पर एंटीडिप्रेसेंट का इस्तेमाल भी किया जा सकता है.
लैग क्रैंप्स या नार्कोलेप्सी जैसे स्लीप डिसऑर्डर्स का जल्द से जल्द इलाज करें जिससे नींद में कोई दखल ना पड़ सके.
स्ट्रेस जैसी समस्याओं से निपटने की कोशिश करें और बेहतर नींद के लिए मेडिटेशन या एक्सरसाइज की भी मदद ले सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 08, 2022, 22:32 IST