अनूप पासवान/कोरबाः बच्चे के जन्म होते ही पूरा परिवार खुशी मनाता है, और जन्म संस्कार से लेकर और दूसरे संस्कार कराता है. लेकिन 16 संस्कारों में से एक जो कि स्वास्थ्य के लिए कराया जाता है, उसे लोग भूलते जा रहे हैं. वहीं आयुर्वेद आज भी इस जीवंत रखा हुआ है. हम बात कर रहे हैं, स्वर्ण प्राशन संस्कार की जिससे एक नहीं अनेक स्वास्थ्य लाभ बच्चों को होते हैं.
इस विषय में आयुर्वेद चिकित्सक डॉक्टर नागेंद्र और शर्मा ने बताया स्वर्ण प्राशन संस्कार सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक संस्कार है. जो बच्चे के जन्म से लेकर 18 वर्ष की आयु तक कराया जाता है. स्वर्ण प्राशन संस्कार बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य अहम भूमिका निभाता है. स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चों को विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता मिलती है. ऋषि मुनियों के द्वारा हजारों वर्षों पूर्व वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों से लड़ने के लिए एक ऐसा रसायन का निर्माण किया जिसे स्वर्ण प्राशन कहा जाता है. आयुर्वेद के द्वारा आज भी उसे जीवंत रखा गया है. स्वर्ण प्राशन संस्कार स्वर्ण (सोना) के साथ शहर ,ब्रह्माणी, अश्वगंधा, गिलोय,शंखपुष्पी,वचा जैसे जड़ी बुटियों से निर्मित किया जाता है. इसके सेवन से बच्चों का शारीरिक और बौद्धिक विकास बेहतर होता है.
स्वर्ण प्राशन संस्कार के फायदे
1. स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चों की बुद्धि, मन, बल एवं पाचन शाक्ति अच्छी होती है.
2. 6 माह तक इस जड़ी बूटी का सेवन से बच्चे में सोचने समझने की शक्ति में बढ़ोत्तरी होती है और बच्चा जो बातें सुनता है, उसे वह हमेशा याद रहती है.
3. स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, इस लिए अन्य बच्चों के मुकाबले यह बच्चा जल्दी बीमार नही पड़ता है.
4. बेहतर मानसिक विकास होने से बच्चे होशियार और बुद्धिमान बनता है.
5. बच्चे सुन्दर और बलशाली बनते है.
कब कराया जाता है स्वर्ण प्राशन संस्कार
आयुर्वेद चिकित्सक डॉक्टर नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, प्रत्येक माह के पुष्य नक्षत्र के दिन बच्चे को आयुर्वेदिक जड़ी बुटियों से निर्मित रसायन पान कराया जाता है. नवंबर माह में 4 तारीख को पुष्य नक्षत्र पड़ रहा है, इस दिन बच्चों को स्वर्ण बिंदु का सेवन कराया जाएगा.
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FIRST PUBLISHED : November 3, 2023, 17:11 IST