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Chidawa Special Peda Recipe: राजस्थान के चिड़ावा शहर के पेड़े देशभर में अपने खास स्वाद के लिए मशहूर हैं. इन पेड़ों को बनाने की प्रक्रिया पारंपरिक है. नाहर सिंह पिछले 45 सालों से इन पेड़ों को लकड़ी की भट्टी पर ह…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- चिड़ावा के पेड़े देशभर में मशहूर हैं.
- पेड़े बनाने की प्रक्रिया 3 घंटे की होती है.
- 45 साल से पारंपरिक विधि से बनाए जाते हैं पेड़े.
झुंझुनूं. राजस्थान का चिड़ावा शहर आज पेड़े के स्वाद के लिए पूरे देश में मशहूर है. यहां के पेड़ों का नाम सुनते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. इन पेड़ों को खास बनाती है वो पारंपरिक विधि, जिससे ये आज भी बनाए जाते हैं. चिड़ावा के नाहर सिंह बताते हैं कि उनके यहां हर दिन ताजे पेड़े बनाए जाते हैं. इन पेड़ों को बनाने की प्रक्रिया करीब 3 घंटे तक चलती है. इस काम में 15 से 20 मजदूर लगे होते हैं और खुद नाहर सिंह भी इस काम में हाथ बंटाते हैं.
लकड़ी की भट्ठी पर ही बनाते हैं पेड़े
नाहर सिंह बताते हैं कि पिछले 45 सालों से वे इसी विधि से पेड़े बना रहे हैं. पेड़े बनाने में न मशीन, न गैस का प्रयोग होता है, सिर्फ मेहनत, अनुभव और परंपरा के साथ तैयार किए जाते हैं. यही वजह है कि चिड़ावा के पेड़े आज भी लोगों की पहली पसंद बने हुए हैं. चिड़ावा में बनने वाले पेड़े की राजस्थान सहित देश के अलग-अलग हिस्सों में डिमांड रहती है. यहां से पेड़े की सप्लाई भी की जाती है. खास बात यह है कि चिड़ावा का पेड़ा जल्दी खराब भी नहीं हाेता है. इसलिए, लोग इसे खरीदकर कहीं भी ले जा सकते हैं.
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