Monday, July 8, 2024
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स्वाद का सफ़रनामा: दुनिया की किशमिश पर पहली बार इस वजह से पड़ी थी नज़र, रोचक इतिहास जानकर रह जाएंगे हैरान


हाइलाइट्स

तुर्की, संयुक्त राज्य अमेरिका में दुनिया की 80 प्रतिशत किशमिश पैदा होती है.
छोटे अंगर सुखाने पर किशमिश और बड़े अंगूरों सुखाएं तो वह मुनक्का कहलाते हैं.
किशमिश ज्यादा खाने पर पेट में गैस पैदा होती है और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है.

Swad Ka Safarnama: किशमिश एक ऐसा सूखा मेवा है, जिसकी पूरी दुनिया में कद्र है. इसे शरीर के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. किशमिश का सेवन शरीर में रोगों से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है. इसे हृदय के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है. किशमिश कोई अलग से पैदा हुई ड्राईफ्रूट नहीं है. एक अजीब सी घटना से यह पैदा हुई और दुनिया ने इसका पूरा सम्मान किया.

अंगूर से ही बनती है किशमिश, मुनक्का

किशमिश (Raisins) असल में सूखे हुए अंगूर हैं. विशेष बात यह है कि सूखने के बाद इसके गुणों में और इजाफा हो जाता है. एक और बात बताते चलें कि छोटे अंगूरों को सुखा लिया जाए तो वह किशमिश बनकर सूखे मेवे में बदल जाता है और अगर बड़े अंगूरों को सुखा लिया जाए तो वह मुनक्का कहलाते हैं, जिसमें औषधीय गुण अधिक होते हैं. किशमिश का महत्व इसी बात से पता चलता है कि इसका उल्लेख बाइबिल में किया गया है. ऐसा भी कहा जाता है कि पुराने समय में यूनानियों और रोमनों ने पूजा स्थलों को किशमिश से सजाया, और किशमिश को खेल आयोजनों में पुरस्कार के रूप में प्रदान किया गया. पुराने समय में ही रोमन काल में किशमिश का मूल्य इतना बढ़ चला था कि इसके दो जार से एक दास को खरीदा जा सकता था. सेहत की बात तो अलग स्वाद के मामले में भी किशमिश आगे है. प्राचीन समय से ही कैंडी के विपरित इसका उपयोग ब्रेड से लेकर सॉस और स्टफिंग तक के व्यंजनों में किया जाता है. इनके निर्माण के प्रमाण प्राचीन मिस्र और फारसियों के लेखों में मिलते हैं.

गर्मी पड़ी, अंगूर सूख गए और मिल गया नया मेवा

आधिकारिक जानकारी के अनुसार आज से हजारों वर्ष पूर्व किशमिश का ‘आविष्कार’ हो चुका था. विश्कोश ब्रिटानिका (Britannica) के अनुसार 2000 ईसा पूर्व फार और मिस्र में किशमिश खाई जाने लगी थी. इसकी ‘खोज’ संयोग से हुई. मिस्रवासियों को पता चला कि जब अंगूर बेलों से गिर जाते हैं और सूखने के लिए छोड़ दिए जाते हैं तो वे और मीठे हो जाते हैं और उनका स्वाद भी बदल जाता है ऐसा इसलिए हुआ कि सुखाने की प्रक्रिया के दौरान चीनी की मात्रा क्रिस्टलीकृत और सिमट गई. हुए. इतिहास की पुस्तकों में उल्लेख किया गया है कि 1490 ईसा पूर्व तक किशमिश को अंगूरों से धूप में सुखाया जाता था. लेकिन यह निर्धारित करने से पहले कई सौ साल बीत गए कि कौन सी अंगूर की किस्म सबसे अच्छी किशमिश बनाएगी. आज के मुख्य किशमिश उत्पादकों में तुर्की और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं, जो दुनिया के किशमिश उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत हिस्सा हैं. अन्य महत्वपूर्ण किशमिश उत्पादक देशों में तुर्की, ईरान, ग्रीस, चिली और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं.

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अमेरिकी किशमिश उद्योग मुख्य रूप से कैलिफोर्निया में स्थित है और कहा जाता है कि वहां (वर्ष 1873 में) पहली किशमिश की फसल प्रकृति द्वारा उगाई गई थी, न कि किसानों द्वारा. असल में अंगूरों की कटाई से पहले भीषण गर्मी की लहर चली, और इससे पहले कि किसान अंगूरों को तोड़ पाते, अधिकांश अंगूर बेल पर सूख गए और किशमिश में बदल गए.

पानी में भीगी किशमिश शरीर के लिए लाजवाब

भारत में अंगूरों का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. ईसा पूर्व सातवीं-आठवीं सदी में लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में अंगूरों की विशेषताओं का भरपूर वर्णन है. इस ग्रंथ में सीधे तौर पर किशमिश का वर्णन नहीं है, लेकिन अंगूर से कई प्रकार के आसव (स्वास्थ्यवर्धक सुरा/मदिरा) बनाने का विस्तार से वर्णन है. अब किशमिश के गुणों की बात करें यह शरीर के लिए बेहद उपयोगी है. अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) के किशमिश के पौष्टिक गुणों की जानकारी दी है और बताया है कि 50 ग्राम किशमिश में कैलोरी 129, प्रोटीन 1.42 ग्राम, वसा 0.11 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 34.11 ग्राम, चीनी 28.03 ग्राम, आहार फाइबर 1.9 ग्राम के अलावा मिनरल्स व विटामिन्स में विटामिन सी 1 मिलीग्राम, कैल्शियम 27 मिलीग्राम, आयरन 0.77, मिलीग्राम, मैग्नीशियम 15 मिलीग्राम, पोटेशियम 320 मिलीग्राम, फास्फोरस 42 मिलीग्राम, सोडियम 11 मिलीग्राम व अन्य अवयव पाए जाते हैं.

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किशमिश इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही शरीर को भरपूर एनर्जी भी देती है. Image-Canva

किशमिश के सेवन से यही तत्व शरीर में रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं और दिल की गतिविधियों को सामान्य बनाए रखते हैं. मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व डीन व वैद्यराज दीनानाथ उपाध्याय के अनुसार रात को पानी में भीगी हुई कुछ किशमिश का सुबह सेवन किया जाए तो वह शरीर के लिए रामबाण है. यह पाचन सिस्टम को फुलप्रूफ बना देगी, तुरंत ऊर्जा भी प्रदान कर देगी, साथ ही वजन को भी कंट्रोल कर देगी.

स्किन को चमकदार बनाने में मदद करती है

वैद्यराज के अनुसार किशमिश इम्यूनिटी बूस्ट करने में मदद कर सकती है. इसमें विटामिन सी और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को स्वस्थ रख सकते हैं और शरीर को बीमारियों से लड़ने में मदद कर सकते हैं. किशमिश में एंटीबैक्टीरियल गुण भी होते हैं जो हानिकारक बैक्टीरिया को आपके शरीर से दूर रखते हैं. किशमिश हृदय के लिए इसलिए लाभकारी है क्योंकि इसमें सोडियम की मात्रा रक्त वाहिकाओं के संकुचन को रोकता है. यह कोलेस्ट्रॉल भी सुधार देती है. किशमिश खाने से रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद मिल सकती है. किशमिश में उच्च मात्रा में फाइबर होता है और इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह शुगर को नियंत्रित करने का एक बेहतरीन विकल्प है.

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किशमिश स्किन के लिए फायदेमंद होने के साथ ही हड्डियों के लिए भी लाभकारी है. Image-Canva

किशमिश स्किन में विशेष चमक दे सकती है. यह मुंहासों और फुंसियों के खिलाफ भी काम करती है. किशमिश में आवश्यक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो आंखों के स्वास्थ्य में योगदान करते हैं. आयरन की कमी को दूर करने के लिए किशमिश प्रसिद्ध है. यह अच्छी नींद लेने में मदद करती है. ऐसा इसलिए क्‍योंकि किशमिश में आयरन और अन्य खनिज होते हैं जो ब्लड सर्कुलेशन में मदद करते हैं और रेड ब्लड सेल्स बनाते हैं. इसमें मौजूद कैल्शियम हड्डियों के लिए लाभकारी है. किशमिश को सामान्य तौर पर खाने में कोई साइड इफेक्ट नहीं है. लेकिन अधिक खाने पर यह पेट में गैस पैदा कर सकती है. इसका अधिक सेवन कभी-कभी ब्लड प्रेशर भी बढ़ा देता है.

Tags: Food, Lifestyle



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