
हाइलाइट्स
ब्रेड का ज्यादा सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है.
ब्रेड का इतिहास हजारों सालों पुराना माना जाता है.
Swad Ka Safarnama: ब्रेड (Bread) एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो पूरी दुनिया में किसी न किसी रूप में खाया जाता है. इसमें एक अजीब सी कशिश है, जो खाने के लिए प्रेरित करती है. ब्रेड को खाने को लेकर कई तरह के किंतु-परंतु हैं, लेकिन सर्वविदित है कि यह तन-मन को संतुष्ट कर देती है. इसमें पोषक तत्व बहुत कम होते हैं, लेकिन फिर भी यह पूरी दुनिया को आकर्षित करती है. ब्रेड को कंट्रोल में खाएंगे तो यह सब कुछ कंट्रोल में रखेगी, वरना शरीर के लिए परेशानी का सबब बन जाएगी. बेहद आकर्षक है ब्रेड (डबलरोटी) का इतिहास.
अजीब सी कशिश है ब्रेड के कई रूप में
माना जाता है कि ब्रेड एक ऐसा खाद्य पदार्थ है, जिसे इंसान ने सबसे पहले निर्मित किया. जानकारी बताती है कि पूरी दुनिया में लगभग 60 प्रतिशत लोग किसी न किसी रूप में ब्रेड का सेवन करते हैं. अजीब सी कशिश है ब्रेड में. सुबह ब्रेकफास्ट में दो बटर-स्लाइज मिल जाएं तो तन-मन खिल उठेगा. अगर बॉइल्ड एग या ऑमलेट से भरपूर ब्रेड वाला नाश्ता होगा तो फिर कुछ खाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. अजीब कशिश है ब्रेड में, वह इसलिए कि इसके कई रूप हैं. टोस्ट बना लो इसका, या सब्जियां भरकर सैंडविच, सबको ललचाने वाला ब्रेड-पकौड़ा तो इसकी जान है, तो ग्रीन सैंडविच या नॉर्मल मेयोनीज सेंडविच भी खूब ललचाता है. ब्रेड क्रंप के बिना तो कई डिशेज में कुरकुरापन ही नहीं आ पाएगा. पुराने वक्त में ब्रेड के चार टुकड़े कर उसे चाशनी में डालकर ठंडा कर खाने का आनंद ही अलग था. ब्रेड का खाने का न कोई समय और न ही मौसम. जब मन करे, खाओ और तुरंत ऊर्जा और पेट भर लो.
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ब्रेड की वैरायटी में लगातार इजाफा हो रहा है
भारत में ब्रेड को डबलरोटी भी कहा जाता है. उसका कारण है कि यह बनती तो अनाज से ही है, लेकिन चूंकि मोटाई आम रोटी से अधिक होती है, इसलिए इसका नाम डबलरोटी पड़ गया. माना जाता था कि ब्रेड जितनी अधिक सफेद होगी व उतनी ही आर्कषक और खाने में ताजी रहेगी. इसके लिए पुराने वक्त में इसमें चाक मिट्टी तक मिलाई जाती थी. जब यह शरीर को नुकसान पहुंचाने लगी तो. मैदे के अलावा आटे से भी ब्रेड बनाई जाने लगी. उसके बाद ब्रेड की वैरायटी बढ़ी.
कई अफ्रीकी देशों में ब्रेड भोजन का एक महत्वपूर्ण अंग है. Image-Canva
अब तो ब्राउन ब्रेड, मल्टीग्रेन ब्रेड का चलन बढ़ने लगा है तो पश्चिमी भारत में खाया जाने वाला पाव भी ब्रेड का ही एक रूप है. भारत में खाई जाने वाली रोटी भी फ्लेट ब्रेड ही है तो मैक्सिको में मक्के से बनाया जाने वाला टोर्टियाज और इटली का पिज्जा भी फ्लेट ब्रेड का ही एक रूप है. कई अफ्रीकी देशों में भी फ्लेट ब्रेड सालों से भोजन का एक अंग है.
हजारों वर्षों से किसी न किसी रूप में मौजूद है ब्रेड
मोटे तौर पर मानें तो ब्रेड का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. असल में पहले फ्लेट ब्रेड का आविष्कार हुआ और फिर फूली हुई ब्रेड का. फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि पहली ब्रेड पहली रोटी लगभग 12,000 साल पहले नवपाषाण काल में बनाई गई थी. शायद पानी के साथ मिश्रित मोटे कुचले हुए अनाज से. तब आटे को गर्म पत्थरों पर रखा जाता था और गर्म राख से ढककर पकाया जाता था. उनका मानना है कि जब गूंधे हुए आटे को देर तक धूप में रखा गया तो उसमें प्राकृतिक रूप से खमीर पैदा हो गया और वह ब्रेड बन गया. विश्वकोष ब्रिटेनिका का कहना है कि ईसा पूर्व 3000 में मिस्र में खमीरी रोटी (Bread) बनने लगी थी.
असल में फ्लेट ब्रेड के फूली हुई ब्रेड बनने के कई ऐतिहासिक मार्ग है, लेकिन यह कन्फर्म है कि हजारों वर्ष पूर्व ब्रेड का आविष्कार हो चुका था. भारत में तो सिंधु घाटी की सभ्यता से रोटी का सेवन माना जाता है, क्योंकि उस काल में गेहूं उगाया जाने लगा था. लेकिन ब्रेड का आगमन पुर्तगालियों के आगमन से हुआ. लेकिन वह ब्रेड का एक रूप पाव था, जो आज भी गोवा ओर महाराष्ट्र में खूब खाया जाता है. असली ब्रेड का प्रचलन तो भारत में अंग्रेजों के आगमन के साथ ही हुआ. पहले होलब्रेड ही मिलती थी. वर्ष 1928 में अमेरिका में पहली बार मशीन से स्लाइस ब्रेड काटकर बेची गई थी.
ब्रेड का सेवन मन व शरीर को तृप्त करता है
ब्रेड के सेवन को लेकर कई प्रकार के किंतु-परंतु हैं. इसके बावजूद ब्रेड का सेवन बढ़ रहा है. मैदा या गेहूं के आटे से पानी, नमक और यीस्ट के घोल से बनी ब्रेड की एक विशेषता है कि यह रोटी की तरह जल्दी खराब या बासी नहीं होती. ब्रेड के अगर पोषक तत्वों की बात करें तो दो स्लाइज में कैलोरी 161, कार्बोहाइड्रेट 27.3 ग्राम, प्रोटीन 8 ग्राम व बहुत की हम विटामिन्स व मिनरल्स होते हैं. इसके बावजूद ब्रेड का सेवन पेट को तो तृप्त करता ही है, साथ ही भरपूर संतुष्टि ही देता है. फूड एक्सपर्ट व होमशेफ सिम्मी बब्बर के अनुसार असल में ब्रेड का फूला व मुलायम रूप ही आकर्षण का कारण है.

मल्टीग्रेन ब्रेड शरीर के लिए सेहतमंद मानी जाती है. Image-Canva
कुरकुरा टोस्ट भी ब्रेड से ही बनता है, जो बटर के साथ बेहद स्वादिष्ट होता है. भारत में अभी भी मैदे की ब्रेड प्रचलन में है, जबकि दुनिया में सबसे अधिक गेहूं वाली ब्रेड इसलिए खाई जा रही है, ताकि वह शरीर के लिए हेल्दी रहे. अगर ब्रेड खाने के लाभ की बात करें तो अगर कंट्रोल में खाया जाए तो यह शरीर को तुरंत एनर्जी प्रदान करती है. इसमें फेट व चीनी भी न के बराबर होती है, इसलिए शरीर के लिए लाभकारी है. मल्टीग्रेन ब्रेड तो शरीर के लिए सेहतमंद मानी जाती है. सबसे बड़ी बात है कि यह तन-मन को संतुष्टि देती है और तुरंत पेट भी भर देती है.
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अधिक सेवन से हैं कई तरह के नुकसान
लेकिन ब्रेड को लगातार और सामान्य मात्रा से अधिक सेवन किया जाए तो यह शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है. असल में ब्रेड अधिक खाने की लालसा पैदा करती है, लेकिन इसमें फाइबर आदि न के बराबर होते है, जिसके चलते ब्रेड लगातार भूख जगाती रहती है जो वजन बढ़ाने का कारण बन सकता है. ब्रेड का अधिक सेवन कब्ज पैदा करता है. यही कब्ज पूरे सिस्टम का पाचन सिस्टम गड़बड़ा देगा, जिससे कई प्रकार की परेशानियां पैदा हो सकती हैं. असल में व्हाइट ब्रेड एक परिष्कृत अनाज है, साबुत अनाज नहीं. इसमें उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो शुगर का स्तर बढ़ा सकता है. इसमें अधिक मात्रा में पाया जाने वाला रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट मोटापे का कारण बन जाता है. इसका अधिक सेवन लीवर को भी इफेक्ट करता है. ब्रेड का अधिक सेवन बॉडी में ब्लड के क्लॉट पैदा करने लगता है, जो हार्ट के लिए नुकसानदायक है. सीधी सी बात यह है कि ब्रेड का सेवन कंट्रोल में करेंगे तो यह किसी प्रकार का नुकसान पैदा करने नहीं करेगी.
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FIRST PUBLISHED : July 26, 2023, 06:58 IST