Home Life Style स्वाद का सफ़रनामा: पाचन सिस्टम को दुरुस्त रखती है कबाब चीनी, खाने का भी बढ़ाती है स्वाद, रोचक है इतिहास

स्वाद का सफ़रनामा: पाचन सिस्टम को दुरुस्त रखती है कबाब चीनी, खाने का भी बढ़ाती है स्वाद, रोचक है इतिहास

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स्वाद का सफ़रनामा: पाचन सिस्टम को दुरुस्त रखती है कबाब चीनी, खाने का भी बढ़ाती है स्वाद, रोचक है इतिहास

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हाइलाइट्स

कबाब चीनी को शरीर के लिए बेहद लाभकारी माना गया है.
कबाब चीनी में हड्डियों को मजबूत करने की भी क्षमता है.
कबाब चीनी में खुशबू अधिक होती है और तीखापन कम होता है.

Swad Ka Safarnama: कबाब चीनी भोजन के लिए एक मसाला है जिसका औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. यह असल में काली (गोल) मिर्च जैसी ही है, लेकिन इसमें सुगंध ज्यादा है और तीखापन कम. यह भोजन में बेहतर स्वाद भर देती है. इसका सेवन पाचन सिस्टम को दुरुस्त रखता है और श्वसन सिस्टम को भी बेहतर बनाए रखता है. यह एक विदेशी मसाला है, जिसे अब भारत में भी पसंद किया जा रहा है.

इसलिए कहलाई यह कबाब चीनी

कबाब चीनी (Cubeb) है तो काली मिर्च के करीब, लेकिन भारत में इसका नाम एकदम अजीब सा क्यों है? उसका कारण है कि इंग्लिश के बिगड़े उच्चारण के कारण इसका नाम कबाब हो गया और कहा जाता है कि यह भारत में चीन से आई इसलिए इसके साथ देश का नाम भी जुड़ गया, इसलिए यह कबाब चीनी कहलाई. यह दिखने में काली मिर्च जैसी ही है, बस इसके साथ सुगंध से भरपूर पूंछ जुड़ी होती है, जो इसे अलग दिखाती और बनाती है. विशेष बात यह है कि काली मिर्च की उत्पत्ति भारत में हुई, लेकिन कबाब चीनी की उत्पत्ति का भारत से कोई नाता नहीं है.

Kabab Chini

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कबाब चीनी का इस्तेमाल नॉनवेज रेसिपी में काफी किया जाता है. Image-canva

भूरे और काले रंग के इस मसाले में खुशबू बहुत अधिक होती है लेकिन स्वाद में इसमें तीखापन कुछ कम होता है. कुछ क्षेत्रों में कबाब चीनी का स्वाद तीखा भी पाया जाता है. इसकी विशेषता है कि यह भोजन खासकर नॉनवेज में अलग ही गंध और स्वाद भरती है. इसके प्रयोग से भोजन लजीज बन जाता है. कुछ देशों में सिगरेट में स्वाद भरने के लिए भी कबाब चीनी का प्रयोग किया जाता है.

जावा-सुमात्रा से निकलकर पूरी दुनिया में फैली

कबाब चीनी की उत्पत्ति के दो-तीन रूट माने जाते हैं. यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की फसल है. फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि यह समुद्री द्वीपीय उपज है और हजारों वर्ष पूर्व इसकी उत्पत्ति जावा-सुमात्रा में हुई, इसलिए इसे जावा पेपर भी कहा जाता है. चौथी शताब्दी ईसा पूर्व में जन्मे ग्रीस के वनस्पति विज्ञानी थियोफ्रेस्टस ने इसका उल्लेख किया है और इसे सुगंधित कन्फेक्शन में एक घटक के रूप में दालचीनी और कैसिया (अमलतास) के साथ जोड़ा है. यह भी माना जाता है कि भारत में यह चीन के जरिए ही पहुंची. सालों पूर्व यह अरब देशों में भी अपनी पहचान बना चुकी थी और वहां नॉनवेज डिश विशेषकर कबाब आदि में सुगंध व अलग तरह का मसालेदार बनाने के लिए इसका उपयोग किया गया.

इंडोनेशिया और अफ्रीका में भोजन के लिए एक मसाले के रूप में इसका उपयोग किया जाता है. भारत में यह बहुत मशहूर नहीं है, क्योंकि काली मिर्च को इसके विकल्प के रूप में देखा जाता है. लेकिन दक्षिण भारत में इसका खूब उपयोग होता है. माना यह भी जाता है जब अवध के शासनकाल में भी इसका खूब उपयोग किया जा रहा था. विशेष बात यह है कि यूरोप में कबाब चीनी का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता रहा है.

कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन को पचाने में मदद करती है

कबाब चीनी को शरीर के लिए बेहद लाभकारी माना गया है. इसमें विशेष प्रकार का तेल निकलता है, जिसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. जाने-माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. आरपी पराशर मानते हैं कि यह भोजन में सुगंध व स्वाद तो भरती है, साथ ही शरीर को भी लाभ पहुंचाती है. यह पेट के लिए बेहद गुणकारी है, क्योंकि इसमें पाचन सिस्टम (Gastritis) को दुरुस्त रखने की विशेष क्षमता है. यह कोलेस्ट्रॉल वाले भोजन को पचाने में मदद करती है.

Kabab Chini

कबाब चीनी में औषधीय गुण पाएं जाते हैं. Image-canva

आयुर्वेद ने इसे एंटिसेप्टिक गुणों के रूप में भी स्वीकार किया है और माना है कि इसके सेवन से श्वसन संबंधी विकार कम होते हैं. यह खासी व ब्रोंकाइटिस (फेफड़ों के वायुमार्ग में सूजन) के प्रभाव को कम कर देती है. इसमें पाया जाने वाला विशेष तरह का ऑयल यूरिनल रूट के संक्रमण को रोकता है. कबाब चीनी की तासीर गर्म मानी गई है इसलिए यह ठंड की स्थितियों उपयोगी मानी जाती है. चूंकि इसमें ज्वरनाशक गुण होते हैं.

मुंह में पैदा होने वाली दुर्गंध को भी रोक देती है

कबाब चीनी में प्राकृतिक रूप से थकान को दूर करने वाले अवयव भी पाए जाते हैं. यह यह सुगंध से भरी है और एंटीसेप्टिक गुणों वाली मानी जाती है, इसलिए दांत और मसूढ़ों से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी है, साथ ही मुंह की दुर्गंध (Halitosis) को भी रोकने में मदद करती है. इसका उपयोग चक्कर, सिरदर्द व माईग्रेन में भी राहत पहुंचाता है. इसमे पाए जाने वाले इंफ्लेमेटरी गुण सूजन से पैदा होने वाले दर्द को कम करते हैं. पुराने समय में इसे कामोत्तेजक (Aphrodisiacs) जड़ी-बूटी के रूप में भी प्रयोग में लाया जाता था. कबाब चीनी में हड्डियों को मजबूत करने की भी क्षमता है. कबाब चीनी का भोजन के रूप में मीठे और तीखे दोनों तरह के व्यंजनों का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जैसे गरम मसालों में जावित्री, इलायची आदि का उपयोग होता है, उसमें भी कबाब चीनी को जोड़ा जाता है. सामान्य रूप से इसके सेवन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन किया गया तो यह मुंह का स्वाद अकबका कर देती है और सिरदर्द व चिड़चिडापन भी पैदा कर सकती है. पेट को भी गड़बड़ कर सकती है.

Tags: Food, Lifestyle

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