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हाइलाइट्स
काजू के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल फर्नीचर बनाने में होता है.
काजू का सेवन ब्लड शुगर को भी कंट्रोल कर सकता है.
काजू अधिक मात्रा में खाए जाने पर यह वजन भी बढ़ा देता है.
Swad Ka Safarnama: दुनिया में जितने भी ड्राईफ्रूट्स पाए जाते हैं, उनमें काजू का स्वाद अनमोल है. यह गुणों से भरपूर है और माना जाता है कि इसका सेवन शरीर में मौजूद खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. काजू खाने से दिमाग भी दुरुस्त रहता है. इसका सेवन स्किन को भी चमकदार बनाए रखता है. काजू विदेशी मेवा है लेकिन भारत की मिट्टी और जलवायु इसे खासी रास आई है. इसी का परिणाम है कि भारत में यह खूब पैदा होता है और विदेशों में भेजा जाता है.
शुरुआती दौर में किया गया नज़रअंदाज़
जब हजारों वर्ष पूर्व काजू (Cashew) पृथ्वी पर उपजा तब इसकी बनावट के चलते लोगों ने इसे खाने से परहेज किया. असल में इसके पेड़ का फल छोटे सेब जैसा दिखता है, लेकिन वह काजू नहीं होता है. उसके निचले हिस्से (पूंछ) में काजू उगता है, लेकिन समस्या यह थी कि शरीर पर छूने से इसका छिलका खुजली पैदा करता था, जिस कारण सैंकड़ों सालों तक इससे परहेज किया गया. प्राचीन समय में लोगों ने देखा कि बंदर इसको तोड़कर खा रहे हैं. जब उन्होंने ऐसा किया तो वह खाने में साधारण लगा, लेकिन जब इसे सुखाकर और हलका सा भूनकर खाया गया तो इसका स्वाद खिल उठा और यह आहार के रूप में लोकप्रिय होने लगा. जो छोटा सा सेब काजू के ऊपर उगता है, उसकी शराब (गोवा की फैनी) भी बनने लगी, जिसके चलते यह लोगों को और भाने लगा.

आपके शहर से (दिल्ली-एनसीआर)
काजू के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल बेहतर फर्नीचर बनाने के लिए भी किया जाता है. Image-Canva
आमतौर पर दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशियाई व्यंजनों में स्वाद बढ़ाने के लिए काजू का उपयोग किया जाता है. भारत में तो मिठाई में काजू-कतली मिष्ठान्नों में सालों से धूम मचाए हुए है. भारत के अमीर लोग काजू स्नैक्स के रूप में खाते हैं तो पश्चिमी देशों में भी इसे प्रोटीन फूड मानकर चाव से खाया जाता है. काजू के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल बेहतर फर्नीचर बनाने के लिए भी किया जाता है.
ब्राजील और अमेरिकी क्षेत्र हैं इसके उत्पत्ति केंद्र
माना जाता है कि 7 हजार वर्ष पूर्व काजू की उत्पत्ति एक साथ दो क्षेत्रों में हुई और जब यह भारत पहुंचा तो पूरी दुनिया में इसका तेजी से विस्तार हुआ. भारतीय-अमेरिकी वनस्पति विज्ञानी प्रो. सुषमा नैथानी ने अपनी रिसर्च में काजू के दो उत्पत्ति स्थल बताए हैं. उनका कहना है कि इसका एक उत्पत्ति केंद्र ब्राजील-पैरागुए सेंटर है तो दूसरा मैक्सिको व मिजो-अमेरिकन सेंटर माना जाता है. इसके बाद हजारों वर्षों तक काजू एक सामान्य मेवा ही बना रहा. इसे गति तब मिली जब पुर्तगाली सौदागर इसके पेड़ को ब्राजील से पश्चिम अफ्रीका और फिर 16वीं शताब्दी में भारत लाए.
The Cashew Export Promotion Council of India ने भी इस बात की तस्दीक की है. उसका कहना है कि काजू का पेड़ उत्तरी ब्राजील का मूल निवासी है, जिसे 1560 और 1565 के बीच पुर्तगाली नाविकों द्वारा भारत लाया गया था. वे भारत में इसे गोवा में लेकर उतरे. शुरुआती दौर में इसके पेड़ का उपयोग पानी के कटाव को रोकने के लिए किया गया. लेकिन जब भारतीयों ने काजू को संसाधित कर खाना और बेचना शुरू किया तो इसने नाम कमाना शुरू कर दिया. कई देश तो मानते हैं कि काजू भारत का ही मेवा है. उसका कारण यह है कि भारत काजू का प्रमख उत्पादक देश है. इसके बाद काजू का प्रसार दक्षिण पूर्व एशिया जैसे वियतनाम, इंडोनेशिया, कंबोडिया आदि में फैल गया. असल में काजू में पाए जाने वाले पोषक तत्वों ने इसे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया.
स्ट्रोक का खतरा कम करता है काजू
अगर काजू के पोषक तत्वों की बात करें तो 100 ग्राम काजू में कैलोरी 553, कुल फैट 44 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 30 ग्राम, प्रोटीन 18 ग्राम, फाइबर 3.3 ग्राम, सोडियम 12 मिलीग्राम, आयरन 6.68 मिलीग्राम, कैल्शियम 37.00 मिलीग्राम व अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं. फूड एक्सपर्ट व न्यूट्रिशियन कंसलटेंट नीलांजना सिंह के अनुसार यह ड्राईफ्रूट स्वाद में तो बेजोड़ है. चबाने के बाद जब यह मुंह में घुलता है तो इसका स्वाद लाजवाब बन जाता है. गुणों में भी शानदार है.

काजू में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई भी होता है. Image-Canva
इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि काजू शरीर में बनने वाले बेड कोलेस्ट्रॉल को कम और अच्छे कोलेस्ट्रॉल में इजाफा करता है. इसका लाभ यह रहता है कि इसका सेवन स्ट्रोक व संभावित हृदय रोग के जोखिम को काम कर देता है. जो लोग अपने दिल को लेकर चिंता करते हैं, उन्हें काजू का नियमित सेवन करना चाहिए. चूंकि काजू में चीनी की मात्रा कम होती है और इसमें फाइबर भी पाया जाता है, इसलिए यह ब्लड शुगर को भी कंट्रोल कर सकता है. उन्होंने बताया कि काजू में ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन ई भी होता है जो आंखों की रोशनी को बनाए रखने में मदद करते हैं.
अधिक खाने से हो सकती है कब्ज
काजू में मौजूद मौजूद कैल्शियम, कॉपर, विटामिन के और मैग्नीशियम हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बेहतर माने जाते हैं. इसका सेवन हड्डियों को तो मजबूत बनाता ही है, साथ ही हड्डियों से जुड़ी बीमारियों (ऑस्टियोपोरोसिस) को भी दूर रखता है. इसकी अन्य विशेषता यह भी है कि इसे खाते ही शरीर को तुरंत एनर्जी मिलती है. काजू में आयरन, फास्फोरस और अन्य खनिज भी होते हैं जो त्वचा को स्वस्थ और चमकदार बनाते हैं. काजू खाने से बाल भी मजबूत व चमकदार बन जाते हैं. काजू में पाए जाने वाले विटामिन्स व विशेष मिनरल्स दिमाग की ताकत बढ़ाते हैं और याददाश्त को मजबूत करते हैं. यह मस्तिष्क की नाजुक नसों और ऊतकों (Tissue) की रक्षा भी करता है. सामान्य तौर पर काजू को खाने का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, लेकिन अधिक मात्रा में खाए जाने पर यह कब्ज की समस्या पैदा कर सकता है. इसका अधिक सेवन किडनी पर भी विपरित प्रभाव डाल सकता है. अधिक मात्रा में खाए जाने पर यह वजन भी बढ़ा देता है.
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FIRST PUBLISHED : January 01, 2023, 07:01 IST
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