Home Life Style स्वाद का सफ़रनामा: बॉडी डिटॉक्स कर देती है लेमन ग्रास, दिमाग बनाती है कूल

स्वाद का सफ़रनामा: बॉडी डिटॉक्स कर देती है लेमन ग्रास, दिमाग बनाती है कूल

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स्वाद का सफ़रनामा: बॉडी डिटॉक्स कर देती है लेमन ग्रास, दिमाग बनाती है कूल

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हाइलाइट्स

लेमन ग्रास शरीर को डिटाक्सीफाई कर देती है.
डायबिटीज के मरीजों के लिए भी फायदेमंद है लेमन ग्रास.

Swad Ka Safarnama: आज हम आपको एक ऐसी घास के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका उपयोग चाय बनाने के लिए किया जाता है. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ चाय के लिए काम आती है. असल में यह एक मसाला भी है, जो भोजन में स्वाद व अलग ही तरह की खुशबू भर देती है. इस लेमन ग्रास की विशेषता यह है कि इसमें नींबू की तीखी गंध है, लेकिन गुण कुछ अलग प्रकार हैं. आज के आधुनिक युग में इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है. उसका कारण है कि यह शरीर को डिटाक्सीफाई कर देती है और दिमाग को कूल भी बनाती है.

इसकी गंध नींबू से अधिक लेकिन एसिड न के बराबर

नींबू घास (Lemon Grass) की उपयोगिता इतनी अधिक बढ़ चुकी है कि इसकी खेती तो की ही जा रही है, साथ ही लोग अपने गमलों में भी इसे उगा रहे हैं, ताकि चाय बनाते वक्त इसका ताजा उपयोग किया जा सके. अब कमर्शियल यूज के चलते पूरे भारत में इसे उगाया जा रहा है, लेकिन महाराष्ट्र, गुजरात व पंजाब में इसकी सबसे अधिक खेती की जाती है.

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लेमन ग्रास में अम्लता बेहद कम होती है. Image-canva

अब तो घरों तक ऑनलाइन खाद्य पदार्थ पहुंचाने वाली ई कंपनियों भी इसे बेच रही हैं, क्योंकि इसकी विशेषताएं खास है. इसकी सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें से निकलने वाली गंध नींबू वंश (Citrus) से अधिक होती है, जबकि अम्लता न के बराबर मानी जाती है.

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चाय के अलावा भोजन में मसाले का उपयोग

फूड हिस्टोरियन मानते हैं कि लेमन ग्रास भी हजारों वर्षों से अन्य घास की तरह ही जंगलों में उगती रही है. वे इसका मूल निवास दक्षिण पूर्व एशियाई देशों को मानते हैं. इसकी खेती का पहला रिकॉर्ड फिलीपींस के 17वीं शताब्दी के ग्रंथों से मिलता है. भारत में लेमन ग्रास की बड़े पैमाने पर खेती लगभग एक सदी पहले ही शुरू हो चुकी थी. वर्तमान में इसकी खेती अमेरिका और एशिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापक रूप से हो रही है.

विश्वकोश ब्रिटेनिका (Britannica) का मानना है कि तीखी गंध ने इसे पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में रसोई का मुख्य हिस्सा बना दिया है. थाईलैंड, लाओस और वियतनाम में मसाले में लेमनग्रास और उसके बल्ब (जड़ीले डंठल) को मसाले के साथ पीसा जाता है. साउथ इंडिया में भी मसाले के रूप में इसका उपयोग होता है. इस घास और उससे निकले रस का चाय के अलावा औषधीय प्रयोग भी होता है.

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शरीर से विषैले तत्वों को निकाल बाहर करती है

आयुर्वेद ने इस घास को विशेष माना है. भारतीय जड़ी-बूटियों, फलों व सब्जियों पर व्यापक रिसर्च करने वाले जाने-माने आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य बालकिशन के अनुसार इसके पत्तो से बनी चाय अत्यन्त रुचिकर, सुगन्धित व बलकारक होती है. लेमन ग्रास के गुण-कर्म व प्रभाव देखें तो यह कटु, तिक्त, उष्ण, रूक्ष, तीक्ष्ण, कफवातशामक, रेचक, मुखशोधक होती है यह घास विष, कृमि, व दाद शामक भी है.

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लेमनग्रास की चाय शरीर में रक्तशर्करा के स्तर को कम कर देती है. Image-Canva

जाने-माने आयुर्वेदाचार्य डॉ. आरपी पराशर के अनुसार लेमन ग्रास शरीर के लिए विषहरण (Detoxify) है. यह इसका विशेष और कुदरती गुण है. चाय में घास डालकर बनाए, उसके पीने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल आएंगे. यह दिमाग के तनाव को भी दूर कर देती है और आप सहज महसूस करने लगेंगे. इसकी एक अन्य विशेषता है कि इसके सेवन के बाद गहरी नींद में सहायता मिलती है. ऐसा भी माना जाता है कि लेमनग्रास की चाय शरीर में रक्तशर्करा के स्तर को कम कर देती है. यानी शुगर कंट्रोल कर सकती है. इसके मसाले से बनाई गई सब्जी से कब्ज की समस्या नहीं आती.

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