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हाइलाइट्स
पेट के लिए बेहद फायदेमंद होता है सूखा आलूबुखारा.
आलूबुखारा के सेवन से शरीर में ऊर्जा बनी रहती है.
Swad ka Safarnama: आलूबुखारा एक खट्टा-मीठा मौसमी फल है, जबकि सूखा आलूबुखारा बारह महीने उपलब्ध होने वाला ड्राई फ्रूट है और यह मीठा होता है. इसके सेवन से कैलोरी भी अधिक मिलती है. यह ड्राई फ्रूट डाइजेशन सिस्टम को दुरुस्त रखता है और लिवर के सिस्टम को भी सामान्य बनाए रखता है. यह एशियाई फल है और भारत के लोग हजारों वर्षों से इसके स्वाद का आनंद उठा रहे हैं.
मीठा और चिपचिपा स्वाद जुबान को भाता है
जिस तरह अंगूर को सुखा दें तो वह किशमिश बन जाता है, उसी तरह खजूर भी सुखकर छुहारे में तब्दील हो जाता है. उसी तरह आलूबुखारे को सुखा दिया जाए तो वह ड्राई फ्रूट में तब्दील होकर सूखा आलूबुखारा (prunes/dried plums) बन जाता है. आलूबुखारा तो सीजनल फ्रूट है और आजकल इसका सीजन चल रहा है. मोटे तौर पर यह जून-जुलाई में मार्केट में आ जाता है, लेकिन ड्राई आलूबुखारे पर मौसम की कोई मार नहीं है और यह पूरे साल उपलब्ध रहता है. अगर हम शरबती और सूखे आलूबुखारे की तुलना करें तो सामान्य आलूबुखारा मुलायम गूदे से भरा खट्टा-मीठा निकलेगा. इसमें दोनों की मात्रा कम-ज्यादा हो सकती है, लेकिन सूखा आलूबुखारा हमेशा मीठा ही होता है और वह खाने में चिपचिपा होता है.

सूखे आलू बुखारे का स्वाद मीठा होता है और ये काफी गुणकारी होता है. Image-Canva
अगर नमी या पानी की बात करें तो आलूबुखारा फल में पानी की मात्रा प्रति 100 ग्राम में करीब 87.23 होती है तो सूखे आलूबुखारे में घटकर 30.92 ग्राम के आसपास हो जाती है. अगर पौष्टिकता की बात करें तो सूखे आलूबुखारा में कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा ताजा आलूबुखारे से ज्यादा होती हैं. लेकिन आलूबुखारे में विटामिन- सी की मात्रा अधिक होती है, जबकि सूखे आलूबुखारे में विटामिन-सी घट जाता है. सामान्य आलूबुखारे को तो फल की तरह ही खाया जाता है, जबकि सूखे आलूबुखारे का मजा स्नैक्स के तौर पर लिया जा सकता है. इसके अलावा केक व आइसक्रीम में इसकी टॉपिंग भी की जा सकती है.
चरकसंहिता में आलूबुखारे के गुण-दोष की जानकारी
आलूबुखारा बहुत प्राचीन फल है और इसकी उत्पत्ति एशियाई क्षेत्र में मानी जाती है. भारत में हजारों वर्षों से इसके स्वाद का आनंद लिया जा रहा है. माना जाता है कि चीन और जापान में इसके पेड़ सबसे पहले उगे, लेकिन यूरोपीय देशों में भी समानान्तर रूप से इसकी उत्पत्ति हुई. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के कृषि विज्ञानी प्रो़ रंजीत सिंह व प्रो़ एसके सक्सेना ने अपनी पुस्तक ‘Fruits’ में आलूबुखारे की विस्तृत जानकारी दी और बताया है कि भारत में सालों से उग रहे आलूबुखारे की यूरोपीय और जापानी किस्में उगाई जा रही हैं. जानकार यह भी बताते हैं कि मिस्र के पिरामिडों में पाई गई ममी में सूखे आलूबुखारे के अवशेष पाए गए हैं. विशेष बात यह है कि भारत में 2500 वर्ष पूर्व लिखे गए आयुर्वेदिक ग्रंथ ‘चरकसंहिता’ में आलूबुखारे (आरुकम) के गुण-दोष की जानकारी दी गई है और बताया गया है कि यह पाचक, स्वाद में मधुर और शीतल होता है.
भारत में आलूबुखारा अधिकतर पहाड़ी इलाकों में ही पाया जाता है, जिनमें हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर शामिल है. भारत में तो यह डार्क रेड कलर का पाया जाता है, जबकि कई देशों में इसका रंग काला, पीला और हरा भी होता है. आलूबुखारे को चेरी, रसभरी, खुबानी परिवार का माना जाता है.
कुछ खास ही होता है इसका फाइबर
अब जहां रसभरा आलूबुखारा है, वहां ड्राई आलूबुखारा भी पाया जाता है. इसकी विशेषताएं कुछ अलग है. पहली बात तो यही है कि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है, इसलिए इसे पाचन के लिए बेहद कारगर माना जाता है. यह एक प्राकृतिक रेचक है और फूड एक्सपर्ट मानते हैं कि सूखे आलूबुखारे में बड़ी आंत में अनुकूल बैक्टीरिया के विकास को भी बढ़ावा देने के गुण हैं, जो डायजेशन में मदद करते हैं.

फाइबर से भरपूर सूखा आलूबुखारा डाइजेशन को बेहतर बनाता है. Image-Canva
सीनियर डायटिशियन अनीता लांबा के अनुसार यह ड्राई फ्रूट विटामिन, खनिज, फाइबर के साथ-साथ एंटीऑक्सिडेंट से भी समृद्ध है, इसलिए कई बीमारियों के प्रकोप को कम करने में यह मदद करता है. माना जाता है कि इसका छिलका सूखकर अलग ही विशेषता पैदा करता है, जिसे लिवर इन्फेक्शन में खासा लाभकारी माना जाता है. रिसर्च बताते हैं कि इसके सेवन से लिवर की क्षतिग्रस्त कोशिकाएं दुरुस्त होने लग जाती हैं. इसीलिए हेपेटाइटिस जैसी बीमारी में इसे खाने का सुझाव दिया जाता है.
इसके सेवन से मोटापे को रोका जा सकता है
सूखे आलूबुखारे का सेवन दिल की धमनियों में प्लास्टर करता रहता है, जिस कारण दिल के रोग होने का खतरा कम हो जाता है. इसका फाइबर भी दिल के लिए लाभकारी है. यह भी कन्फर्म फेक्ट है कि जो लोग मोटापे से परेशान हैं, अगर व रोज कम से कम एक सूखे आलूबुखारे का सेवन करें तो कुछ समय बाद उनका वजन कम होना शुरू हो जाएगा. चूंकि इसमें फाइबर की मात्रा भी अधिक होती है, इसलिए यह पेट को भरा-भरा महसूस करवाता है, जिसका परिणाम यह होगा कि भूख जल्दी नहीं लगेगी. ऐसा हुआ तो मोटापा दूर ही रहेगा. यह कोलेस्ट्रॉल को भी शरीर में बढ़ने से रोकता है. जो लोग शुगर से पीड़ित हैं, वह सामान्य तौर पर इसका सेवन कर सकते हैं. यह ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को तेजी से नहीं बढ़ने देता है. सामान्य तौर पर इसका सेवन करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं है, लेकिन अधिक मात्रा में खाए जाने से यह दांत तो खट्टे कर ही देगा साथ ही पेट में गैस बनाने का कारण भी बन जाएगा. इसका अधिक सेवन लूजमोशन भी ला सकता है.
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FIRST PUBLISHED : July 05, 2023, 06:59 IST
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