Tuesday, December 17, 2024
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स्वाद के लिए फेमस है परमाणु नगरी की यह खास मिठाई, मिसाइलमैन अब्दुल कलाम तक थे इसके दीवाने


 प्रतापा राम/ जैसलमेर. विश्व के मानचित्र पर स्थित एक छोटा सा कस्बा जिससे शायद ही कोई अनजान होगा क्योंकि उस कस्बे की उपलब्धियों ने भारत का सिर गर्व से ऊंचा किया है और वो कस्बा है परमाणु परीक्षण स्थली और परमाणु नगरी से विख्यात पोखरण. यहां परमाणु परीक्षण से पहले एक और परीक्षण हुआ था और वो परीक्षण था दूध से बनी मिठाई का जो चमचम के नाम से प्रख्यात है.

जैसलमेर ऐतिहासिक स्थलों, इमारतों और रेतीले धोरों के के बीच बसा मनोरम दृश्य वाला क्षेत्र है. जैसलमेर फिल्म शूटिंग, डॉक्यूमेंट्री शूटिंग के लिए निर्माता निर्देशकों की पहली पसंद है और उसमें पोखरण चुनिंदा जगहों में से एक है.सुपरहिट बॉर्डर फिल्म हो या जॉन अब्राहम की परमाणु: द स्टोरी ऑफ पोखरण इन फिल्मों के दृश्य यहीं फिल्माए गए हैं. जो भी स्टार, नेता, अफसर या पर्यटक यहां आता है तो पोखरण की चमचम का स्वाद लिए बिना नहीं रह पाता है.

लोगों को अच्छा लगता है नाम
कहा जाता है कि लोगों के अवचेतन मन मे किसी भी चीज़ का यूनिक नाम अपनी छाप जल्दी छोडता है. ऐसा ही चमचम के साथ हुआ है. 1974 में परमाणु परीक्षण के लिए आए वैज्ञानिकों, सैन्य अफसरों के साथ मशहूर मिसाइलमैन अब्दुल कलाम से लेकर बॉलीवुड कलाकारों ने ये स्थानीय मिठाई खाईं तो इसका स्वाद उनको भा गया. स्वाद के साथ-साथ इसका नाम भी उन्हें मज़ेदार लगा. उसे अपने साथ पैक कराकर भी ले गए. बस तब से चमचम दुनिया भर की दुलारी हो गई. परमाणु द स्टोरी ऑफ पोखरण फिल्म में निर्देशक अभिषेक शर्मा ने चमचम के सीन का भी फिल्म में चित्रांकन किया गया था.

श्याम चमचम भंडार के मैनेजर चिराग ने बताया कि सर्वप्रथम चमचम का अविष्कार आसकरण हस्तीमल‌ सेवग ने किया. उसके बाद चमचम पोखरण का ब्रांड बन गई. आज पोखरण के मिष्ठान भंडारों की अर्थव्यवस्था और पोखरण की पहचान चमचम पर टिकी हुई है. यहां पर दो प्रकार की चमचम बनती है जिसमें केसर फ्लेवर व केसर रहित चमचम मिलती है. इनकी कीमत 400 से 450 रूपये प्रति किलोग्राम है.

Tags: Food 18, Hindi news, Local18



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