Home Life Style स्वाद के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं पिनालु के पत्तों के पकौड़े, औषधीय गुणों से होते हैं भरपूर

स्वाद के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं पिनालु के पत्तों के पकौड़े, औषधीय गुणों से होते हैं भरपूर

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स्वाद के साथ सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं पिनालु के पत्तों के पकौड़े, औषधीय गुणों से होते हैं भरपूर

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कमल पिमोली/ श्रीनगर गढ़वाल: उत्तराखंड आध्यात्म, पर्यटन के अलावा यहां की लोक संस्कृति व उसमें रचि बसी यहां की परंपराओं, खान-पान के लिए विश्वख्यिात है. यहां के पारंपरिक भोजनों में स्वाद के अलावा गंभीर बिमारियों से लड़ने की क्षमता भी रहती है. कोदे की रोटी, झंगोरे की खीर या कंडाली की सब्जी के बारे में आपने सुना या खाया होगा, लेकिन क्या पिनालु के पटोडे/पकौड़े आपने कभी खाये हैं. शुभ कार्याे, संक्रात, त्यौहारों के साथ-साथ कई जगह शादी समारोह में भी इस पकवान को बनाया जाता है. पिनालु के पकोड़े जितने स्वादिष्ठ है उतना ही गुणकारी भी.

पिनालु को वैसे अरबी भी कहा जाता है, देश के विभिन्न हिस्सों में उगने वाले अरबी की एक वराएटी पहाड़ों में भी होती है, जिसे पिनालु अथवा गडेरी के रूप से जाना जाता है. यहां बड़े ही चाव से इसकी सब्जी, पकोड़े आदि पकवान बनाये जाते हैं.इस पौधे के जड़ वाले हिस्से में लगे फल पिनालु को सब्जी के तौर पर प्रयोग में लाया जाता है, वहीं उपरी हिस्से में लगे बड़े चौड़ी पत्तियों से पटोड़े/पैत्युर या पकोड़े तैयार किये जाते हैं.

पहाड़ आये तो जरूर ट्राई करें पकोड़े 

पहाड़ के लोक जीवन में प्रयोग में लायी जाने वाले पिंडालु के पटोड़े इतने स्वाइिष्ट हैं कि एक बार जो इसे खाता है, दुबारा खाने की इच्छा जरूर जाहीर करता है. त्यौहारों या विशेष आयोजनों के अलावा, बाहर से आने वाले पर्यटकों को खासतौर पर जो होम स्टे में रूकते हैं उन्हें होमस्टे संचालक जरूर पिनालु के पटोड़े स्नैक्स में परोसते हैं. आसानी से उपलब्ध हो जाने वाले पिनालु के बावजूद पिनालु बहुत अधिक लोकप्रिय नहीं है, लेकिन अब बदलते दौर के साथ व आर्गेनिक व हेल्थ बेनिफिटस के पकवानों की डिमांड बढ़ने से कई रेस्टोरेंट, आउटलेट में भी पिनालु के पटोड़े आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं. जिसे लोग पंसद भी कर रहे हैं.

इस तरह बनाये जाते हैं पटोड़े/पत्यूर

पिनालु के पटोड़े बनाने की विधि सामान्य पकोड़े बनाने की ही तरह है. सबसे पहले पिनालु के बड़े-बड़े पत्तों को बेलन से सीधा कर मुलायम किया जात है. इसके बाद बेसन, विभिन्न पहाड़ी मसालों, के मिश्रण (कई जगहों पर इसमें पहाड़ी  दालों का भी प्रयोग होता है) के लेप को पत्तों पर लगाया जाता है. एक के बाद एक ऐसे ही पत्तों के तीन से चार लेयर बनाई जाती है, इसके बाद इन पत्तों का रोल बनाया जाता है. अच्छी तरह बेसन लगाने के बाद भाप में इसे अच्छे से स्टीम किया जाता है. अच्छे से स्टीम होने के बाद ठंडा कर अब इस बड़े रोल को छोटे छोटे आकार में काटा जाता है. जिसके बाद इन्हें गर्म तेल में तला जाता है. कुछ देर तेल में तलने के बाद जब पटोड़ो का रंग सुनहरा हो जाता है तो इन्हें बाहर निकाल लिया जाता है. इसे चाय के साथ खाना लोग पंसद करते हैं. वहीं एक बार बनाने पर दो से तीन दिन तक इन्हें खाया जा सकता है.

बेहद गुणकारी है पिनालु
पिनालु में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन सी, कैल्शियम, पोटैशियम, विटामिन ए और आयरन से भरपूर मात्रा में मौजूद रहती है. इसके अलावा इसमें भरपूर मात्रा में एंटी.ऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं. वैसे तो ये गर्म व सर्द दोनों क्षेत्रों में पैदा हो जाता है, लेकिन वातावरण के अनुरूप इसके स्वाद पर फर्क देखने को मिलता है. पिनालू के मुख्य कारण खानेयोग्य मीठे और स्टार्ची फल है. इसके साथ ही इसके पत्ते जिनका रंग हल्का हरा और लम्बे और दिल के आकार के होते है. यह भी सेहत के लिए लाभदायक होती है, यहीं कारण है कि इसके पत्तियों से बने पटोड़े/पकोड़े लोग खाना पसंद करते है. क्योंकि इससे कैंसर, ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारियां, शुगर, पाचन क्रिया, त्वचा और तेज़ नज़र करने के लिए दवाईयां तैयार की जाती है. हालांकि अधिक मात्रा में खाना भी सही नहीं है क्योंकि इसकी तासिर गर्म होती है.

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