Home Life Style हमारी हस्तरेखा में छिपा होता है भविष्य,क्या इसकी मदद से बन सकती है कुंडली?

हमारी हस्तरेखा में छिपा होता है भविष्य,क्या इसकी मदद से बन सकती है कुंडली?

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हमारी हस्तरेखा में छिपा होता है भविष्य,क्या इसकी मदद से बन सकती है कुंडली?

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 परमजीत कुमार/देवघर.कई लोगों की जन्म तारीख और समय पता नहीं रहने के कारण कुंडली नहीं बन पाती है और हमारा भाग्य सीधे हमारी कुंडली से जुड़ी होती है. कुंडली में जितना लिखा होता है भाग्य में उतना ही मिलता है. कई लोग असमंजस में पड़ जाते हैं कि समय तिथि और जगह पता न होने के कारण हमारी कुंडली बनेगी या नहीं. वहीं कई ज्योतिषविदों की माने तो हस्तरेखाओं से भी भविष्य बताई जा सकती है. लेकिन हस्त रेखाओं से कुंडली बनाई जा सकती है या नहीं यह एक बड़ा सवाल उठता हैं. आईए देवघर के ज्योतिषआचार्य से जानते हैं कि हस्त रेखाओं से जातक की कुंडली बनाई जा सकती है या नहीं.

क्या कहते है देवघर के ज्योतिषआचार्य :
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि हमारी हस्त रेखाओं से भी कुंडली बनाई जा सकती है. क्योंकि कुंडली में जितने भाव होते हैं उतने हमारे हस्त रेखाओं में भी होते हैं. इसके साथ ही कुंडली की तरह हस्त रेखाओं से भी भविष्य बताई जा सकती है. वही शरीर की बनावट से आपकी लग्न को दर्शाया जा सकता है. इसके साथ ही भाग्य रेखा से नवम स्थान का पता लग जाता है. इसके साथ ही पुत्र रेखा से पंचम स्थान का पता लगाया जा सकता है. वही हाथों में ही शनि गुरु सूर्य सभी प्रकार की रेखा छुपी होती है. जिसकी गन्ना कर कुंडली बनाई जा सकती है. वहीं जिस भी जातक की समय तिथि नहीं पता हो उसके हाथों की लकीरों की गन्ना कर कुंडली बनाई जा सकती है.

प्रत्येक भाव से है संबंध :
जिस तरह कुंडली में 12 भाव होते हैं. उसी तरह हस्तरेखा में भी 12 भाव होते हैं और यह प्रत्येक भाव के संबंध होते हैं. जैसे की हस्तरेखा का पहला भाव मनुष्य के शरीर की बनावट का पता चलता है. दूसरा भाव धन प्राप्ति की स्थिति को स्पष्ट करती है. तीसरा भाव भाई बहनों का प्रतीक माना जाता है. चौथा भाव मनुष्य के मन शांति और चिंता का विषय का पता चलता है. पंचम भाव संतान और विद्या का पता चलता है. छठा भाव रोग और शत्रु का पता चलता है. सप्तमी भाव विवाह रेखा का पता चलता है. अष्टम भाव से स्वास्थ्य रेखा का पता चलता है. नवमी भाव से भाग्य का पता चलता है. दसवे भाग से व्यापार और राज्य सत्ता का पता चलता है. इगारवे भाव से लाभ एवं वाहन का पता चलता है. अंतिम एवं बारहवी भाव से व्यय स्थान का पता चलता है.

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