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Atiq-Ashraf Murder: अतीक अहमद और अशरफ के हत्यारोपियों ने चार दिन की कस्टडी रिमांड में लगातार की गई पूछताछ के बावजूद मास्टरमाइंड का नाम नहीं उगला। इसके बजाए उन्होंने अपना गुनाह कबूल कर लिया। इन तीनों हत्यारों ने पुलिस हिरासत में अतीक-अशरफ की हत्या करके सनसनी फैला दी थी। शूटरों ने सबके सामने माफिया ब्रदर्स को गोली मारी और खुद को सरेंडर कर दिया। नारेबाजी करके इस हत्याकांड को नया मोड़ देने की कोशिश की। दावा किया कि माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या करके वे जरायम की दुनिया में कुख्यात बन जाएंगे।
मीडियाकर्मियों के सामने हत्या करने वाले तीनों आरोपियों के पकड़े जाने के बाद सबके जेहन में यही सवाल था कि किसने और क्यों अतीक की हत्या करा दी? आखिर वह कौन व्यक्ति है जिसने सुपारी दी? इन तीनों शूटरों को किसने बुलाया था? इनको किसने ट्रेनिंग दी थी? इन सवालों के जवाब तलाशने के लिए पुलिस अफसरों ने शाहगंज थाने से विवेचना ट्रांसफर कर एक एसआईटी का गठन किया। एसआईटी ने इन आरोपियों से पूछताछ के लिए चार दिन का कस्टडी रिमांड लिया था। गहन पूछताछ चली। इन प्रमुख सवालों का कुछ यूं मिला एसआईटी को जवाब।
तीनों आरोपियों को प्रतापगढ़ जेल भेजा
माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या करने वाले तीनों शूटरों से चार दिन तक चली पूछताछ के बाद भी किसी साजिशकर्ता का नाम सामने नहीं आया। तीनों हत्यारोपियों ने यही कहा कि डॉन बनने के लिए अतीक और अशरफ की हत्या की थी। रविवार को एसआईटी ने तीनों हत्यारोपियों को प्रतापगढ़ जेल भेज दिया।
उमेश पाल हत्याकांड में धूमनगंज पुलिस ने अतीक और अशरफ को कस्टडी रिमांड पर लेकर 13 अप्रैल से पूछताछ शुरू की थी। 15 अप्रैल को अतीक और अशरफ को मेडिकल चेकअप के लिए धूमनगंज पुलिस कॉल्विन अस्पताल ले गई। वहीं अस्पताल परिसर में मीडियाकर्मी बनकर पहुंचे अरुण मौर्य, सनी सिंह और लवलेश तिवारी ने अतीक और अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी थी। सुरक्षा कारणों से तीनों शूटरों को नैनी जेल से प्रतापगढ़ जेल भेज दिया गया। रिमांड पर तीनों से पूछताछ हुई। पुलिस सूत्रों की मानें तो तीनों शूटरों ने अभी तक किसी साजिशकर्ता के नाम का खुलासा नहीं किया।
अतीक और अशरफ की हत्या क्यों की?
पुलिस सूत्रों ने बताया कि अतीक और अशरफ की हत्या क्यों की, यह सवाल पुलिस और एसआईटी ने तीनों आरोपी अरुण, सनी और लवलेश से किया। तीनों ने एक ही जवाब दिया। सनी का कहना था कि अतीक की हत्या करके वह जरायम की दुनिया में नाम कमाना चाहता था। लॉरेंस विश्नोई की तरह डॉन बनना चाहता था। उमेश पाल हत्याकांड के वीडियो में देखा कि अतीक का बेटा असद कैसे फायरिंग करके नाम कमा रहा है। यही वीडियो देखकर उसने भी अतीक की हत्या की साजिश रची। अतीक को इसलिए मारा, क्योंकि मीडिया में इसी की खबरें सबसे ज्यादा चल रही थीं। अरुण और लवलेश उसके सहयोगी बने।
हत्या के लिए तुर्किए की पिस्टल कहां से आई, किसने दिलाई?
अरुण, सनी और लवलेश ने अलग-अलग पिस्टल से अतीक और अशरफ की हत्या की थी। तीनों के असलहे मौके से ही पुलिस ने बरामद कर लिए थे। इनमें एक देसी तो दो तुर्किए की जिगाना और गिरसान पिस्टल थी। अहम सवाल यही था कि इन मामूली अपराधियों को दस लाख से अधिक कीमत की विदेशी पिस्टल कहां से मिली। इसका सनी ने जवाब दिया। सनी का दावा था कि वह पहले जितेंद्र गोगी गैंग के साथ मिलकर काम कर रहा था। एनसीआर में एक वकील की हत्या की सुपारी मिली थी। उसी वकील की हत्या के लिए जितेंद्र ने दोनों पिस्टल सनी को दी थी। मीडियाकर्मी बनकर कचहरी में हत्या करनी थी, लेकिन वारदात को अंजाम देने से पहले जितेंद्र मार दिया गया। गोगी की मौत के बाद सनी ने उसकी दोनों पिस्टल अपने पास रख ली थी। लवलेश और अरुण को असलहों से लगाव रहा है। लवलेश ने 2018 में देसी पिस्टल लेकर फेसबुक पर फोटो शेयर की थी।
कब और कैसे एक दूसरे के संपर्क में आए?
अतीक की हत्या में शामिल तीनों आरोपी तीन अलग-अलग जिलों के रहने वाले हैं। हमीरपुर के सनी, बांदा के लवलेश और कासगंज के अरुण की दोस्ती कैसे हुई। अरुण के खिलाफ यूपी में कोई मुकदमा दर्ज नहीं था। तीनों ने बताया कि बांदा जेल में लवलेश और सनी बंद थे। दोनों की जेल में दोस्ती हुई थी। पेशी पर आने जाने के दौरान अरुण से मुलाकात हुई थी। अरुण ने अपने घरवालों से दूरी बना ली थी। जमानत पर छूटने के बाद तीनों एनसीआर में मिलते थे। वहीं पर मिलकर तीनों ने अतीक की हत्या की साजिश रची थी। सनी के समझाने पर एक बड़ा काम करने के लिए एकजुट हुए थे।
हत्या के बाद क्यों सरेंडर किया?
तीनों शूटरों से एसआईटी ने पूछा कि अतीक और अशरफ की हत्या के बाद सरेंडर क्यों कर दिया। तीनों ने यही बताया कि उन लोगों ने पहले ही प्लानिंग कर ली थी कि अतीक और अशरफ की हत्या के वक्त किसी पुलिसकर्मी को गोली नहीं लगनी चाहिए। अतीक की हत्या के वक्त अनुमान से ज्यादा मीडियाकर्मी थे। उन्हें पता था कि मीडियाकर्मियों के सामने पुलिस उनको गोली नहीं मारेगी। पुलिस से बचने के लिए ही हत्या के बाद तत्काल असलहा फेंक कर खुद को सरेंडर कर दिया। उस वक्त डर गए थे इसलिए नारेबाजी शुरू की, ताकि सभी को पता चल जाए कि वे किस धर्म के हैं।
मीडियाकर्मी क्यों बने कहां से आया कैमरा?
सनी ने पुलिस को बताया कि उसके गुरु रहे जितेंद्र गोगी को एनसीआर में एक हत्या की सुपारी मिली थी। उसी वक्त मीडियाकर्मी बनकर कचहरी में हत्या की साजिश रची गई थी। वही आइडिया सटीक लगा। उसने दिल्ली से ही जुगाड़ से कैमरा लिया और आईडी बनवा ली। उसे लेकर आया था।
मोबाइल कहां गायब कर दिए?
अतीक और अशरफ की हत्या के बाद पकड़े गए तीनों शूटरों के पास से मोबाइल बरामद नहीं हुआ था। तीनों से पूछताछ के बाद पुलिस ने होटल से दो मोबाइल बरामद किए जिसमें सिम कार्ड नहीं था। आरोपियों ने बयान दिया कि प्रयागराज पहुंचने से पहले तीनों लखनऊ के एक होटल में रुके थे। वहीं पर मोबाइल और सिम कार्ड नष्ट कर दिए। इसके बाद दो नए मोबाइल खरीदे थे। सनी ने कहा था कि उसे मोबाइल की जरूरत नहीं थी। प्रयागराज पहुंचने के बाद भी दोनों सिम कार्ड तोड़ दिए थे। इसलिए पुलिस को बिना सिमकार्ड का मोबाइल मिला था।
अतीक और अशरफ की लोकेशन कैसे मिली?
अतीक और अशरफ को धूमनगंज पुलिस कस्टडी में लेकर पूछताछ कर रही थी। पुलिस दोनों भाइयों को कब कहां ले जा रही थी, ये बात किसी को पता नहीं चलती थी। ऐसे में सवाल उठा कि तीनों शूटरों को कैसे पता चला कि अतीक और अशरफ रात साढ़े दस बजे कॉल्विन अस्पताल पहुंच रहे हैं। इस सवाल पर तीनों ने कहा कि स्टेशन के पास होटल में रुकने के दौरान अतीक के बारे में हर खबर पर नजर रख रहे थे। 14 अप्रैल को मेडिकल ले जाने की खबर मिली तो तीनों कॉल्विन अस्पताल पहुंचे थे। उन्हें पता था कि 15 अप्रैल को भी पुलिस दोनों भाइयों का मेडिकल चेकअप के लिए लाएगी। इसलिए वहां पहले से पहुंच गए थे।
अतीक की हत्या की साजिश किसने रची?
सबसे अहम सवाल अतीक की हत्या की साजिश किसने रची थी। इस सवाल पर तीनों हत्यारोपियों ने कहा कि उन्हें किसी नेता, बिल्डर या माफिया से सुपारी नहीं मिली थी। किसी बाहरी व्यक्ति ने उनको हत्या का ठेका नहीं दिया था। अतीक की हत्या की साजिश खुद सनी ने रची थी। इस हत्याकांड में अभी तक किसी चौथे व्यक्ति का नाम सामने नहीं आया है। एसआईटी ने घटना स्थल और आसपास की जगहों से 40 फुटेज एकत्र किए थे। इन फुटेज की पड़ताल में भी कोई नया व्यक्ति सामने नहीं आया।
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