
[ad_1]
Menstrual Hygiene Day 2023: पीरियड्स लड़कियों के शरीर के मासिक चक्र का एक प्राकृतिक हिस्सा होता है, जिसमें हर महीने महिला की योनि से रक्तस्राव होता है। मासिक धर्म को पीरियड्स,रजोधर्म या माहवारी के नाम से भी पहचाना जाता है। दुनियाभर में हर साल 28 मई विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह खास दिन हर साल माहवारी के दौरान स्वच्छता रखने और उससे जुड़ी भ्रांतियां मिटाने के लिए मनाया जाता है। इस दौरान हर महिला दर्द के साथ-साथ पीरियड्स से जुड़ी कुछ भ्रांतियों का भी शिकार बनती है। पीरियड्स से जुड़ी ये भ्रांतियां उन किशोरियों को ज्यादा परेशान करती हैं, जो मेनार्की (मासिक धर्म की शुरुआत) से होकर गुजर रही होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुड़गांव की डॉ. मुक्ता कपिला, (ऑब्सटेट्रिक्स एंड मिनिमल इन्वेसिव गायनी) से मेनार्की से जुड़ी वो 10 बातें, जिनके बारे में हर टीनएज लड़की को पता होना जरूरी है।
क्या होता है मेनार्की –
मेनार्की का मतलब, किसी लड़की का पहला पीरियड। मेनार्की के साथ ही, लड़कियों में मासिक धर्म की शुरुआत हो जाती है। मेनार्की की औसत उम्र 11 से 14 वर्ष के बीच होती है। यह प्यूबर्टी की दहलीज पर कदम रखने वाली पहली सीढ़ी होती है। इसे किसी लड़की के जीवन में आने वाला फर्टिलिटी (प्रजनन क्षमता) का आरंभ बिंदु माना जाता है।
मेनार्की से जुड़ी खास बातें-
मेनार्की के साथ ही, लड़की के शारीरिक विकास में तेजी आने के साथ उसके स्तनों का विकास, तैलीय त्वचा और बगल तथा जननांगों के आसपास बालों का उगना भी शुरू होता है।
पीरियड क्यों होते हैं?
यह शरीर में ओवरीज (डिंबग्रंथि) की कार्यप्रणाली शुरू होने की निशानी होते हैं जिसके चलते डिंबस्राव होने से पहले गर्भाशय की भीतरी दीवार मोटी होने लगती है और हर महीने इसी अतिरिक्त परत का टूटना रक्तस्राव का कारण बनता है।
मेनार्की की औसत आयु-
मेनार्की की औसत आयु 11 से 14 वर्ष तक होती है, लेकिन कई बार यह 9 वर्ष की उम्र में भी हो सकता है और कुछ मामलों में देरी से यानि 15 से 16 वर्ष में भी हो सकता है। अगर 9 वर्ष से पहले मेनार्की हो तो इसे प्रीकॉशस प्यूबर्टी कहा जाता है और ऐसे में एंडोक्राइनोलॉजिस्ट को दिखाना सही रहता है।
अनियमित हो सकते हैं पीरियड्स-
शुरुआत में पहले दो वर्षों लड़कियों के पीरियड्स अनियमित हो सकते हैं और कई बार तो मेनार्की के बाद इन्हें नियमित होने में 4 वर्षों तक का समय लग सकता है। अमूमन किसी लड़की का मासिक चक्र 21 से 35 दिनों तक का होता है और पीरियड्स 2 से 7 दिन तक चलते हैं। अगर रक्तस्राव अत्यधिक है, दिन में 5 से ज्यादा बाद पैड बदलने पड़ते हैं, 7 दिनों से ज्यादा ब्लीडिंग होती है तो किसी अच्छी गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर को दिखाएं।
हाइजीन-
पीरियड्स के दौरान खुद की साफ-सफाई के साथ ड्राई रखना भी जरूरी होता है। इसके लिए हर 4 से 6 घंटे में पैड बदलें। यदि संभव हो तो सिलिकॅन कप्स का भी इस्तेमाल किया जा सकता है जो कि इको-फ्रैंडली होने के साथ-साथ किफायती भी होते हैं।
डिसमेनोरिया-
डिसमेनोरिया या मेंस्ट्रुअल क्रैम्प्स निचले पेट के निचले हिस्से में होने वाला तेज दर्द या ऐंठन होती है, जो कई लड़कियों को अपने मेंस्ट्रुअल पीरियड्स से पहले या उसके दौरान अनुभव होता है। मासिक धर्म के दौरान होने वाली ऐंठन और दर्द आमतौर पर एक या दो दिन तक बनी रह सकती है। इस तकलीफ से राहत पाने के लिए हॉट वॉटर बाथ लें। हॉट वॉटर बॉटल का इस्तेमाल करने से भी फायदा मिलता है। अगर ऐसा करने पर भी दर्द में राहत न मिले तो डॉक्टर से पूछकर पेन किलर का सेवन किया जा सकता है, जिसे 8 घंटे बाद रिपीट किया जा सकता है। पेन किलर लेने के बाद भी दर्द कम न हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें।
लंबाई नहीं बढ़ती-
पीरियड्स को लेकर महिलाओं के बीच यह भ्रांति आम बनी हुई है कि पीरियड शुरू होने के बाद लड़कियों का कद नहीं बढ़ता। जबकि सच्चाई यह है कि पीरियड्स के बाद भी लड़कियों का कद बढ़ता रहता है, हालांकि इसकी रफ्तार धीमी हो सकती है लेकिन पीरियड्स के बाद भी लड़कियों का कद करीब दो इंच तक बढ़ सकता है।
नियमित व्यायाम-
पीरियड्स को लेकर यह गलत धारणा है कि इन दिनों नियमित व्यायाम करने से कमजोरी महसूस होती है या फिर आउटडोर गतिविधियों की वजह से रक्तस्राव ज्यादा होता है। आप पीरियड्स के दौरान भी किसी भी तरह का व्यायाम जारी रख सकती हैं। इन खास दिनों को भी अन्य किसी सामान्य दिन की ही तरह लें।
पोषण-
इस दौरान प्रोटीन और कैल्शियम युक्त संतुलित खुराक लेना बेहद जरूरी होता है। इस उम्र में शरीर में काफी तेजी से विकास होता है, जिसमें पोषक तत्व मदद कर सकते हैं। इसके लिए समय पर भोजन लें और जंक फूड और मिठाइयों के सेवन से बचें।
शर्मिंदगी न करें महसूस-
पीरियड्स की वजह से अपने मन में किसी तरह का कोई डर न पालें और न ही खुद को लेकर किसी तरह की कोई शर्मिंदगी महसूस करें। आप इस बात को इस तरह समझें कि यह शरीर की सामान्य विकास प्रक्रिया का हिस्सा है और इससे यही साबित होता है कि आप एक स्त्री शरीर के रूप में पूर्ण तथा सामान्य हैं।
मम्मी से करें बात-
हर लड़की की पहली दोस्त उसकी खुद की मां होती है। अपने मन में उठने वाले सवालों, शंकाओं को शांत करने के लिए अपनी मम्मी से खुलकर बात करें। वह आपको सही ढंग से गाइड करेंगी। मां से कुछ भी न छिपाएं।
[ad_2]
Source link