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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े मामलों की जांच के लिए विशेष एजेंसी की जरूरत की बात कही है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि फाइनेंशियल फ्रॉड के सभी मामलों में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) की जरूरत नहीं होती है। शीर्ष न्यायालय में एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें केंद्र और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर कड़ी कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाए गए थे।
सुप्रीम कोर्ट में एक एनजीओ की तरफ से याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया था कि पब्लिक सेक्टर बैंकों से लिए गए कर्ज लौटाने में चूक करने वाले बड़े कॉरपोरेट घराने और उद्योगपतियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। साथ ही इनके खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की गई थी। इसपर जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस बीवी नागरत्न ने कहा कि वित्तीय धोखाधड़ी के सभी मामलों में सीबीआई को लगाने की सलाह नहीं दी जाती है।
क्या बोले वकील?
याचिकार्ता की तरफ से कोर्ट पहुंचे एड्वोकेट प्रशांत भूषण और प्रणब सचदेव ने सीबीआई जांच की मांग पर जोर दिया। उन्होंने इस बात को आधार बनाया कि सरकार गठित समिति ने खुद ही 50 करोड़ रुपये से ज्यादा डिफॉल्ट वाले मामलों में सीबीआई को लाने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा कि सिफारिशों के आधार पर डिफॉल्टर का पासपोर्ट जब्त हो जाना चाहिए और फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलना चाहिए।
कोर्ट ने सरकार को दिया समय
सुनवाई के दौरान आरबीआई ने तर्क दिया कि फास्ट ट्रैक कोर्ट और पासपोर्ट का मामला सरकार के क्षेत्र में आता है और उनकी तरफ से कोई निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। इसपर बेंच ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। बेंच ने उपायों पर सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 6 हफ्तों का समय दिया है।
बेंच ने कहा, ‘कुछ चिंताओं को दूर किए जाने की जरूरत है। आपको इसके बारे में सोचना होगा। अगर आप हर मामले में सीबीआई को छोड़ देंगे, तो इसके परिणाम होंगे…। अगर किसी ने गलत किया है, तो उसे परिणाम भुगतने होंगे। लेकिन क्या सभी मामलों की सीबीआई जांच जरूरी है? सीबीआई को बड़े डिफॉल्ट मामलों पर ध्यान लगाना चाहिए। अगर आप सीबीआई पर सभी मामलों का बोझ दे देंगे, तो कुछ नहीं होगा। सभी असहाय रह जाएंगे। हमने की मामलों में देखा है।’
विशेष एजेंसी का जिक्र
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय धोखाधड़ी और घोटाले एडवांस टेक्नोलॉजी के जरिए हो रहे हैं। साथ ही बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों से निपटने के लिए विशेष एजेंसी की जरूरत है।