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राजकुमार सिंह/वैशाली. हाजीपुर का केला देश और दुनिया में प्रसिद्ध है. एक समय ऐसा भी था जब हाजीपुर के हर घर के लोग केले की खेती किया करते थे. लेकिन एक तो केले में लगने वाली बीमारी, ऊपर से वाजिब कीमत नहीं मिलने के कारण लोगों ने केले की खेती से मुंह मोड़ना शुरू कर दिया था. स्थिति ऐसी बन गई थी कि पर्व त्योहारों में भी लोग बाहर का केला खरीदते थे. हालांकि अब एक बार फिर से हाजीपुर में केले की खेती ने जोर पकड़ लिया है. अब यहां आधुनिक तकनीक के सहारे केले की खेती शुरू की गई है. इससे किसानों को अच्छी कमाई होने लगी है. सदर प्रखंड क्षेत्र के चांदी गांव में रविंद्र सिंह ऐसे ही किसान हैं जिन्होंने 17 एकड़ में केले की खेती की है.
सब्जी के रूप में भी होता है इस्तेमाल
रविंद्र सिंह ने बताया कि बरसाईन केला का फलन साल में चार बार होता है. जिसका इस्तेमाल फल के साथ-साथ सब्जी के रूप में भी किया जाता है. उन्होंने बताया कि केले का भुजिया भी बहुत ही स्वादिष्ट होता है. आमतौर पर लोग चावल-दाल के साथ केले का भुजिया खाना पसंद करते हैं. एकमात्र बरसाईन प्रभेद के केले की ही सब्जी बनती है.
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वे बताते हैं कि केला से एक साल में पांच लाख तक की कमाई हो जाती है. उन्होंने बताया कि वैसे तो केले की डिमांड सालों भर रहती है, लेकिन छठ पर्व में केले की अहमियत और अधिक बढ़ जाती है. इसलिए उस समय ना सिर्फ बिहार बल्कि झारखंड तक केले की सप्लाई होती है.
जल्द मिलने वाला है जीआई टैग
उन्होंने बताया कि आज के युवा सरकारी नौकरी के पीछे भागते हैं. लेकिन अगर युवा केले की खेती करें तो घर बैठे लाखों कमा सकते हैं. जानकर बताते हैं कि जिले के ग्रामीण इलाके में आज भी कई प्रकार के केले की खेती की जाती है. जिसमें चिनिया, बरसाईन, अल्पान, बतीसा, मुठरा प्रभेद शामिल है. बता दें कि विश्वप्रसिद्ध हाजीपुर के केले को जीआई टैग भी मिलने वाला है. इसके बाद केले को एक नई पहचान मिलेगी. जिस केले की खेती से किसानों ने मुंह मोड़ लिया था, उसे फिर से किसान कर सकेंगे.
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Tags: Bihar News, Local18, Vaishali news
FIRST PUBLISHED : August 17, 2023, 21:36 IST
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