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जन्म के बाद मुन्ने को डेढ़ माह में कौन सा टीका लगना है और बच्चे को पूरे एक साल तक कब-कब वैक्सीन लगवानी है, यह कई बार पढ़े-लिखे माता-पिता के लिए भी याद रखना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में आशा कार्यकत्रियों के लिए तो पूरे गांव के बच्चों के टीकाकरण की तारीख बताना खासा मुश्किल होता है। अंगुलियों पर बच्चे की उम्र का हिसाब लगाना आसान नहीं होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
अब तो आशा कार्यकत्रियां चाय का पहिया (वैक्सीन व्हील) घुमाकर चुटकियों में बता रहीं कि मुन्ने को अगला टीका कब लगेगा। यह वैक्सीन व्हील आशा कार्यकत्रियों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है। उनको न केवल टीकों के नाम याद रखना आसान हो गया है बल्कि डेढ़ माह, ढाई माह, साढे तीन माह और 9 माह पर बच्चों के टीका लगने की तारीख निकालना भी मुश्किल नहीं रह गया। वैक्सीन व्हील को स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था चाय (सीएचएआई) ने बनाया है और टीकाकरण चक्र नाम दिया है।
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ऐसे काम करता है पहिया
पहिये पर पांच सुइयां (इंडिकेटर) हैं। एक बड़ी सुई और चार छोटी सुइयां। टीकाकरण की तारीख पता करने के लिए बड़ी सुई को बच्चे के जन्म की तारीख पर सेट किया जाता है। उसके बाद बाकी चार सुइयां क्रमश: डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह और 9 माह पर खुद ही सेट हो जाती हैं। सुई जिस तारीख पर रहती है, बच्चे को उसी दिन टीका लगवाना होता है। टीकाकरण चक्र में 16 से 24 माह और 5वें वर्ष में लगने वाले टीकों का भी ब्योरा है। इसके साथ ही गर्भवतियों को लगने वाले टीके का भी जिक्र है।
स्लोगन के साथ जागरूकता का संदेश
टीकाकरण चक्र में लोगों को जागरूक करने के लिए स्लोगन लिखा है, टीकाकरण के समय पर ध्यान, सुरक्षित हमारे बच्चों की जान। साथ ही दूसरा स्लोगन लिखा है, 5 साल में 7 बार, छूटे न टीका एक भी बार। तीसरा स्लोगन है, समझदारी दिखाएं, संपूर्ण टीकाकरण कराएं। आशा कार्यकत्रियों को निर्देश दिया गया है कि घर-घर बच्चों को टीकाकरण की ड्यू लिस्ट बनाते समय घरवालों को यह स्लोगन पढ़कर जरूर सुनाएं।
टीकाकरण चक्र टूटना बड़ी समस्या
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. प्रशांत रंजन ने कहा कि बच्चों का टीकाकरण चक्र टूटना बड़ी समस्या है। जन्म के समय तो बच्चों को टीका लग जाता है लेकिन जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाता है, वैक्सीनेशन को लेकर कई बार लापरवाही देखने में आ रही है। इसके चलते संपूर्ण टीकाकरण अभियान प्रभावित हो रहा है।
आशा कार्यकत्रियों के लिए टीकाकरण चक्र काफी मददगार साबित हो रहा है। इससे आशा बहनों को बच्चों की ड्यू लिस्ट तैयार करना आसान हो गया है। जिले में सभी आशा कार्यकत्रियों को वैक्सीन व्हील दी गई है और बच्चों के टीकाकरण की तारीख पता करने का तरीका भी सिखाया गया है।
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