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सुखविंदर सिंह सुक्खू फिलहाल हिमाचल प्रदेश में अपनी सरकार बचाने में कामयाब रहे हैं, लेकिन पहले राज्यसभा में करारी हार और बाद में सरकार पर संकट की दोनों घटनाओं ने कांग्रेस आलाकमान को सदमे में डाल दिया है। सूत्रों ने जो पहाड़ी राज्य में पनपे सियासी संकट के बारे में जानकारी दी है, वह चौंकाने वाली है। उन्होंने कहा है कि इस पूरे ऑपरेशन के पीछे पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का हाथ था। उन्होंने उत्तर भारत में कांग्रेस की एकमात्र सरकार को गिराने के लिए भाजपा की तरफ से बैटिंग की थी।
आपको बता दें कि पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और पटियाला के शाही परिवार के सदस्य कैप्टन अमरिंदर सिंह हिमाचल प्रदेश के शाही परिवार से जुड़े हैं। यह परिवार प्रतिभा सिंह और विक्रमादित्य सिंह का है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और मौजूदा कांग्रेस सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपनी ही सरकार के के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और इस्तीफा देने की धमकी दी।
आपको बता दें कि वीरभद्र सिंह की पांच बेटियों में से एक की शादी कैप्टन अमरिंदर सिंह के नाती से हुई है। अपराजिता सिंह की शादी कैप्टन अमरिन्दर सिंह की बेटी जय इंदर कौर के बेटे अंगद सिंह से हुई है। सूत्रों के मुताबिक, हिमाचल राजघराने के साथ उनके संबंधों के कारण कैप्टन अमरिन्दर सिंह को इस ऑपरेशन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
हिमाचल के राजघरानों से संबंध
एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर इंडिया टुडे टीवी को बताया, “पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री होने और हिमाचल राजघरानों के साथ संबंध होने के कारण वह इस ऑपरेशन के लिए भाजपा के लिए एक आदर्श विकल्प बन गए।” सूत्रों ने कहा कि अमरिंदर सिंह ने राज्यसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में मतदान करने वाले छह कांग्रेस विधायकों को बार-बार हेलिकॉप्टर में दौड़ाने में मदद की। कांग्रेस के छह विधायकों को मतदान के दिन तीन निर्दलीय विधायकों के साथ हरियाणा ले जाया गया।
सीएम बनना चाहते हैं विक्रमादित्य
सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा चुनाव से कुछ महीने पहले भाजपा ने कांग्रेस के अंदर असंतोष पनपने की आशंका जताई थी। ऐसा इसलिए कि विक्रमादित्य सिंह और उनका परिवार खुद को दरकिनार महसूस कर रहा था। विक्रमादित्य सिंह कथित तौर पर मुख्यमंत्री पद चाहते थे। वह 22 जनवरी को राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने के लिए अयोध्या भी गए, जिसका कांग्रेस ने बहिष्कार किया था।
कांग्रेस को भी था आभास
इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से को बताया कि तब बीजेपी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हिमाचल प्रदेश का काम सौंपा था। कैप्टन की संलिप्तता का संदेह कांग्रेस को भी था। पार्टी ने करीब दो हफ्ते पहले इसका मुकाबला करने के लिए एक योजना भी तैयार की थी। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।