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हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में इन दिनों बारिश कहर बरपा रही है। बादल फटने की घटनाओं की वजह से नदियां उफान पर हैं। इसके अलावा-जगह लैंडस्लाइड और बाढ़ की वजह से तीन दिन में ही 60 लोगों की जान जा चुकी है। कई ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिसमें देखा जा सका है कि एक-दो घर नहीं बल्कि पूरा मोहल्ला ही पहाड़ से नीचे ढह गया। अब भी कई लोग और वाहन मलबे में दबे हैं जिन्हें निकालने का काम चल रहा है।
अभी नहीं मिलेगी तबाही से राहत
मौसम विभाग ने अपडेट दिया है कि फिलहाल बारिश से पूरी राहत नहीं मिलने वाली है। कई इलाकों में अगले 4-5 दिन तक भारी बारिश का अनुमान है। पहाड़ी इलाकों में हो रही इस बारिश का असर दिल्ली तक दिखाई दे रहा है। यमुना का जल स्तर दो दिनों से लगातार बढ़ रहा जिससे निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। इस बार साल में दूसरी बार है जब यमुना खतरे के निशान को पार कर गई है।
10 हजार करोड़ का नुकसान
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कांगड़ा में कम से कम 100 लोग फंसे हुए हैं। उनको निकालने का काम चल रहा है। बता दें कि मुख्यमंत्री कांगड़ा की स्थिति का जायजा लेने जा रहा थे जहां डैम ओवरफ्लो हो गया है। उन्होंने कहा, राज्य को इस बारिश से करीब 10 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। वहीं राज्य के इन्फ्रास्ट्रक्चर को सुधारने में एक साल का वक्त लग जाएगा।
हिमाचल के कांगड़ा स्थित पोंग डैम के पास के इलाके से अब तक 800 लोगो को निकाला गया है। अब भी यहां लोगों को निकालने का काम जारी है। बुधवार को भी भारी बारिश को देखते हुए स्कूल और कॉलेज में छुट्टी कर दी गई है। जोशीमठ के पास हेलांग में एक इमारतगिरने से कम से कम एक की मौत हो गई और पांच घायल हो गए। एसडीआरएफ की टीमें राहत बचाव का काम कर रही हैं। उत्तर की तरफ बने कम दबाव के क्षेत्र तक फैली ट्रफ मानसून लाइन की वजह से इन दिनों पहाड़ों में जोरदार बारिश हो रही है। हालांकि अब यह धीरे-धीरे साउथ की तरफ शिफ्ट होने वाली है।
हिमाचल प्रदेश के शिमला में मंगलवार को हुए भूस्खलन के बाद मलबे में अभी पांच से 10 लोगों के दबे होने की आशका है। बता दें कि इस मानसून सीजन में हिमाचल में कम से कम 60 तो उत्तराखंड में 52 लोगों की मौत बारिश संबंधी गतिविधियों की वजह से हो गई है। चमोली पुलिस के मुताबिक बद्रीनाथ का रास्ता पीपलकोटी के पास ब्लॉक हो गया है।