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Himachal Pradesh Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस के छह विधायकों समेत कुल नौ विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग करने और बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट करने के बाद वहां सियासी ड्रामा तेज हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता जयराम ठाकुर के नेतृत्व में बीजेपी विधायकों ने आज सुबह राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला से मुलाकात की है और विधानसभा में वोट डिवीजन की मांग की है।
दूसरी तरफ विधानसभा स्पीकर कुलदीप पठानिया ने भी राजभवन जाकर राज्यपाल से मुलाकात की है। इस बीच, कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों से जवाब मांगा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हिमाचल में कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार गिर जाएगी? या क्या क्रॉस वोटिंग करने वाले छह कांग्रेसी विधायकों पर दल-बदल विरोधी नियम के तहत अयोग्यता की कार्रवाई की जाएगी?
क्या कहता है दल-बदल विरोधी कानून?
1985 में संसद द्वारा 52वें संविधान संशोधन के जरिए संविधान की 10वीं अनुसूची में दल-बदल विरोधी कानून का प्रावधान किया गया है। यह 2002 से प्रभावी है। यह कानून संसद या विधान सभाओं में किसी भी सांसद या विधायक को किसी प्रलोभन या लालच से प्रेरित होकर दूसरे दल में शामिल होने या उसके पक्ष में मतदान करने से रोकता है। दल-बदल विरोधी कानून यह सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था कि पार्टी का कोई सदस्य पार्टी के जनादेश का उल्लंघन नहीं कर सकता है और अगर वह ऐसा करता है, तो वह सदन की सदस्यता खो देगा।
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यह कानून संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों पर लागू होता है। इस कानून का उद्देश्य सांसदों या विधायकों को किसी भी व्यक्तिगत उद्देश्य के लिए भी राजनीतिक दल बदल करने से रोकना है। हालांकि, इस नियम के कुछ अपवाद भी हैं। इसमें कहा गया है कि अगर किसी दल के कुल दो तिहाई सदस्य किसी अन्य दल में विलय करने का निर्णय लेते हैं या या पार्टी से अलग स्टैंड रखते हैं या सदन के अंदर दूसरे दल के पक्ष में मतदान करते हैं तो उन पर यह कानून प्रभावी नहीं होगा।
राज्यसभा में क्रॉस वोटिंग के मामले में क्या प्रावधान
दल-बदल रोधी कानून के प्रावधानों के मुताबिक, राज्यसभा चुनावों में क्रॉस वोटिंग के मामले में यह नियम किसी भी विधायक पर लागू नहीं होता है। लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने एक इंटरव्यू में बताया है कि हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के राज्यसभा चुनावों में हुई क्रॉस वोटिंग के मामले में एंटी डिफेक्शन लॉ यानी दल-बदल रोधी कानून लागू नहीं होता, क्योंकि राज्यसभा के चुनाव चुनाव आयोग द्वारा कराए जाते हैं और इसमें विधान सभा की कोई भूमिका नहीं होती है।
उन्होंने बताया कि ये कानून संसद या विधानसभाओं के अंदर होने वाली वोटिंग और उसमें की गई क्रॉस वोटिंग पर ही लागू हो सकती है। आचार्य ने बताया कि ऐसी परिस्थितियों में क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की पार्टी व्यक्तिगत तौर पर उनसे सवाल-जवाब कर सकती है या उन पर पार्टी विरोधी हरकतों में शामिल होने के लिए अनुशासनात्मक एवं दंडात्मक कार्रवाई कर सकती है। यह उस पार्टी का अंदरूनी मामला है लेकिन इस पर कोई कानूनी प्रावधान नहीं हैं।
हुआ क्या था?
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव में मंगलवार को कांग्रेस के 40 में से छह विधायकों ने क्रॉस वोटिंग करते हुए बीजेपी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को वोट दिया था। इनके अलावा कांग्रेस को समर्थन दे रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने भी बीजेपी कैंडिडेट को वोट दिया था, जिससे कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी और बीजेपी के हर्ष महाजन को 34-34 वोट मिले थे। बाद में ड्रॉ के जरिए हर्ष महाजन को विजेता घोषित कर दिया गया।