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Who is Lekshmana Chandra Victoria Gowri: एडवोकेट लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में जज बनाए जाने की सिफारिश पर बवाल मच गया है। हाई कोर्ट के कुछ बार वकीलों ने गौरी की सिफारिश का विरोध किया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को संबोधित अलग-अलग लेटर्स में अधिवक्ताओं के समूह ने कॉलेजियम की सिफारिश पर यह कहते हुए आपत्ति जताई कि उनकी नियुक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करेगी। गौरी खुद को बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव बताती हैं। इन पत्रों पर 22 वकीलों ने हस्ताक्षर किए हैं। इनमें वरिष्ठ अधिवक्ता एनजीआर प्रसाद, आर वैगई, अन्ना मैथ्यू, डी नागासैला और सुधा रामलिंगम भी शामिल हैं।
पत्रों में कहा गया कि हम इन्हें मुश्किल वक्त में पूर्वाभास की भावना के साथ लिख रहे हैं। न्यायपालिका को कार्यपालिका की ओर से अभूतपूर्व और अनुचित आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। हम आशंकित हैं कि इस तरह की नियुक्तियां न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं। इस समय यह महत्वपूर्ण है कि संस्थान को अपनी प्रशासनिक कार्रवाई से कमजोर होने से बचाया जाए। दरअसल, जनवरी में सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाई कोर्ट की जज के रूप में 49 वर्षीय लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी के नाम की सिफारिश की थी। अगर सरकार मंजूरी देती है, तो उनका कार्यकाल 13 साल का होगा। वह सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन के लिए भी पात्र होंगी।
जानिए कौन हैं वकील लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया
वकील लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी का विरोध इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि वह खुद को बीजेपी महिला मोर्चा का राष्ट्रीय महासचिव बता चुकी हैं। आठ अक्टूबर, 2010 को उन्हें केरल बीजेपी महिला मोर्चा का इनचार्ज बनाया गया था। इसके अलावा, उन्होंने साल 2014 के आम चुनाव में तमिलनाडु में बीजेपी के लिए प्रचार किया था। ‘द क्विंट’ की रिपोर्ट के अनुसार, चूंकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है, इसलिए यह आरोप लगा है कि मद्रास हाई कोर्ट में उनकी नियुक्ति का राजनीतिक झुकाव हो सकता है। वहीं, गौरी की अल्पसंख्यकों यानी मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ उनके कथित ‘हेट स्पीच’ के लिए व्यापक रूप से आलोचना की जाती है।
विक्टोरिया गौरी दे चुकी हैं ये विवादित बयान
विक्टोरिया गौरी पर कई विवादित बयान देने के आरोप हैं। ‘आर्टिकल-14’ वेबसाइट के अनुसार, उन्होंने एक बार बयान दिया कि यदि इस्लामिक आतंक हरा आतंक है तो ईसाई आतंक सफेद आतंक है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा था कि दोनों (ईसाई समूह और इस्लामी समूह) धर्मांतरण, विशेष रूप से लव जिहाद के संदर्भ में समान रूप से खतरनाक हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भरतनाट्यम को ईसाई गीतों के लिए नहीं करना चाहिए। भगवान नटराज के आसन की तुलना ईसा मसीह के नाम से कैसे की जा सकती है? यह सब बयान उनके साल 2012 से लेकर साल 2018 के बीच दिए गए, जिसपर काफी विवाद भी हुआ।
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