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खाने में प्रयोग करने वाली वस्तु कितनी शुद्ध है, इसकी जांच के लिए प्रकृति ने व्यक्ति को इंद्रियां दी हुई हैं। यदि व्यक्ति सजग रहे तो अपनी सेहत पर होने वाले हमले से बचा जा सकता है। न सिर्फ बचा जा सकता है, समाज को नुकसान पहुंचा रहे मिलावटखोरों को बेनकाब भी किया जा सकता है। जानकार कहते हैं कि मिलावटी दूध को सूंघने भर से पकड़ की जा सकती है। यदि सूंघने की इंद्रियां सही काम कर रही हैं तो व्यक्ति को साबुन जैसी गंध आ ही जाएगी।
यदि इस दूध को उंगलियों पर रगड़ा जाएगा तो इसमें झाग बन सकते हैं। चिकने फर्श पर ऐसे दूध को बूंदें गिराने से भी असली नकली की पहचान संभव है। असली दूध अपने निशान छोड़ देगा। इतने पर भी पता नहीं चले तो दूध को फाड़ दिया जाए। सिंथेटिक होगा तो आसानी से फटेगा नहीं। ज्यादा नींबू से फट जाएगा तो इसमें छैना बहुत कम मिलेगा। जबकि शुद्ध दूध एक लीटर दूध में 200 ग्राम छैना निकलना चाहिए। पीएच स्ट्रिप से भी दूध जांचा जा सकता है।
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ऐसे कर सकते हैं मिलावट की जांच
– संशय की स्थिति में दूध को चखा जाए, यदि यह नमकीन लगता है तो उसमें सोडा की मिलावट संभव है।
– उबालने के बाद दूध की मलाई का स्वाद कसैला लगे और चिपचिपा प्रतीत हो तो रिफाइंड की मिलावट है
– 50 मिली दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाया जाए। रंग हल्का गुलाबी आए तो डिटर्जेंट मिला है।
ये है दूध का गणित
– जनपद के शहरी क्षेत्र की आबादी 25 लाख
– शहर में दूध औसत जरूरत प्रतिदिन छह लाख लीटर
– त्योहारों के समय दूध की दैनिक जरूरत आठ लाख लीटर
– पैक्ड दूध की उपलब्धता प्रतिदिन लगभग दो लाख लीटर
– अन्य माध्यमों से उपलब्धता प्रतिदिन लगभग चार लाख लीटर
– त्योहारों के समय दूध की उपलब्धता विविध माध्यम