कैलिफोर्निया: उत्तरपूर्वी सैन डिएगो में कुछ दिनों पहले एक भूकंप का झटका आया जिसने सब कुछ हिलाकर रख दिया. इसके ठीक मिनट बाद फिर से आए भूकंप ने यहां मौजूद 10 मंजिला इमारत को बुरी तरह से झकझोर दिया. लेकिन यह भूकंप थोड़ा अलग था, यह प्राकृतिक नहीं बल्कि कंप्यूटर के जरिए पैदा किया गया था. जिसे 1000 वर्गफुट के क्षेत्र में जहां पर 10 मंजिला इमारत मौजूद थी वहां तक ही सीमित रखा गया था.
वजह वह इमारत ही थी, जो पूरी तरह से लकड़ी का बना हुआ एक मॉडल है. यह अब तक की सबसे ऊंची इमारत है जिस पर यह प्रयोग किया गया और क्षेत्र में भूकंपीय बल को दोहराने का प्रयास किया गया. दरअसल यह सैन डिएगो में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की टॉलवुड परियोजना का एक हिस्सा है, जो बड़े पैमाने पर लकड़ी से बनी ऊंची इमारत की भूकंप को सहने की क्षमता को जांचने की एक पहल है.
लकड़ी से बनी इमारत सामग्री, जो इन दिनों कार्बन युक्त कंक्रीट और स्टील के विकल्प के रूप में चर्चित हो रही है. 3.7 मिलियन डॉलर लागत के इस प्रयोग के लिए तैयार किया गया यह मॉडल पहले ही 100 से अधिक झटके झेल चुका है और अगस्त में परीक्षण के अंत से पहले तक यह और परीक्षण का सामना करेगा.
कैसी है इमारत की संरचना
ब्लूमबर्ग के अनुसार 112 फुट ऊंची इस इमारत की पहली 3 मंजिलें सिल्वर और नारंगी रंग के पैनलों से ढंकी हुई हैं जिसकी खिड़कियों कांच की बनी हुई हैं. बाकी सारी इमारत खुली हुई है, और प्रत्येक मंजिल पर 4 रॉकिंग दीवार (हिलने डुलने वाली दीवार) हैं. इसको इस तरह से बनाया गया है कि भूकंप में कम से कम नुकसान हो. यही नहीं इंजीनियर ने अंदर की जो दीवार और सीढ़ियां बनाई हैं वो गंभीर झटकों से बचाती है. इसके अलावा पूरी इमारत में सेंसर लगाए गए हैं.
कितना गहरा था झटका
इंजीनियर ने शेक टेबल (परियोजना का नाम) को दो भयानक भूकंप के दौरान आए झटकों के हिसाब से प्रोग्राम किया. इसमें पहला 1994 में लॉस एंजेल्स में आया 6.7 तीव्रता वाला भूंकप था. इस भूकंप में महज 20 सेकेंड में 40 बिलियन डॉलर की तबाही हुई थी और करीब 60 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. इसी तरह दूसरा भूकंप जिसमें 2400 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. यह था 1999 में ताइवान के ची ची में आया भूकंप. 7.7 तीव्रता वाले इस भूकंप ने कंक्रीट और स्टील से बनी इमारतों को जमींदोज कर दिया था.
पहले प्रयोग के दौरान एक मिनट लंबे सिम्यूलेशन के दौरान इमारत डोली और फिर नियंत्रण में आ गई. इसके 6 मिनट बाद चीची वाले भूकंप की तीव्रता को दोहराया गया. इस दौरान जो प्रयोग की अवधि रखी गई थी वह चीची भूकंप से दोगुनी थी. जबकि इससे आधी अवधि वाले चीची भूकंप की वजह से 1 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए थे. प्रयोग के आधे घंटे बाद जांचकर्ताओं ने इमारत के अंदर जांच की और पाया कि इमारत को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचा था.
बड़े भूकंप लेकिन नुकसान कम
टॉलवुड परियोजना के प्रमुख रॉबिनसन का कहना है कि इस तरह की इमारत से जो निर्माण कार्य और दूसरी तरह की मरम्मत में खर्च आता है और जो सामाजिक असर पड़ता है उसे बहुत कम किया जा सकता है. जांचकर्ताओं के मुताबिक टॉलवुड इमारत की बाहरी दीवार इतने झटकों के बाद भी ठीक हालत में थी. इतने तीव्र झटकों के बाद इमारत की सीढ़ियों और अगले भाग पर थोड़ा सा असर पड़ा था. यहां तक कि आंतरिक दीवार पर जो असर हुआ था उसकी मरम्मत करना आसान और कम खर्चीला होगा.
क्यों नहीं गिरी इमारत
टालवुड इमारत में एक के बाद एक सिम्युलेटेड भूकंपों को सहन करने की क्षमता लकड़ी के निर्माण की वजह से हैं. जो प्राकृतिक लचीलेपन के साथ संरचना को मजबूत करने के लिए डिजाइन की गई है. इसके अलावा इमारत में लगाई गई रॉकिंग दीवारों (हिलने डुलने वाली दीवार) का निर्माण स्प्रूस, पाइन और देवदार से बने प्लाईवुड पैनलों से किया गया है, जबकि पूर्व-पश्चिम की दीवारें डगलस फ़िर क्रॉस-लेमिनेटेड लकड़ी से तैयार की गई हैं. इमारत में स्टील की छड़ें हैं जो दीवारों को नींव से जोड़ती हैं. जब भूकंप आता है, तो भूकंपीय ऊर्जा को झेलने के लिए दीवारें आगे-पीछे हिलने लगती हैं. और जब कंपन बंद हो जाता है, तो स्टील की छड़ें इमारत को वापस सीधा कर देती हैं.
जब यह प्रयोग पूरा हो जाएगा तो इस इमारत को तोड़कर इसके हिस्सों को रिसाइकल करके दूसरी परीक्षण इमारत तैयार की जाएगी. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि इस परीक्षण से मिले परिणाम को देखते हुए सरकार और अधिक ऊंची इमारतों के परीक्षण की इजाजत देगी ताकि यह समझा जा सके कि कितना ऊंचा जाया जा सकता है.
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Tags: America, Building, California, Earthquakes
FIRST PUBLISHED : June 06, 2023, 11:23 IST