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Health Tips: रामपुर का 80 साल पुराना ‘पॉकेट पेड़’ औषधीय गुणों से भरपूर है. इसके फल और पत्तियां पाचन और लिवर संबंधी रोगों में उपयोगी मानी जाती हैं. स्थानीय लोग इसे जादुई पेड़ मानते हैं और घरेलू इलाज में इस्तेमाल…और पढ़ें

रामपुर का जादुई पेड़, 100 साल से भी पुराना, विदेश से लाए थे रामपुर नवाब, एक फल स
हाइलाइट्स
- रामपुर का 80 साल पुराना पॉकेट पेड़ औषधीय गुणों से भरपूर है.
- पॉकेट पेड़ के फल और पत्तियां पाचन और लिवर रोगों में उपयोगी हैं.
- स्थानीय लोग पॉकेट पेड़ को घरेलू इलाज में इस्तेमाल करते हैं.
अंजू प्रजापति/रामपुर- रामपुर की एक खास पहचान है. यहां का एक बेहद अनोखा पेड़, जिसे स्थानीय लोग प्यार से ‘पॉकेट पेड़’ कहते हैं. इस पेड़ को कुछ लोग ‘जादुई पेड़’ भी कहते हैं. बुज़ुर्गों की मानें तो यह पेड़ करीब 80 से 90 साल पुराना है. बताया जाता है कि रामपुर के नवाब इसे बाहर से लेकर आए थे और उस समय यह पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना था. आज भी यह पेड़ उतना ही खास और चर्चित है.
पीढ़ियों से स्वास्थ्य रक्षक
स्थानीय बुज़ुर्गों के अनुसार, जब वे छोटे थे, तब उनके दादा और पिता इस पेड़ की पत्तियों और फलों का इस्तेमाल औषधीय रूप में करते थे. समय बीत गया, लेकिन यह पेड़ आज भी उसी शान से खड़ा है और लोगों की सेहत का रखवाला बना हुआ है. इसके फल और पत्ते दोनों ही बेहद फायदेमंद माने जाते हैं.
छोटा फल, बड़े फायदे
पॉकेट पेड़ का फल आकार में छोटा होता है, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभ बेहद बड़े और असरदार हैं. जब मौसम में फल नहीं मिलता, तो लोग इसकी पत्तियों को उबालकर उसका पानी पीते हैं. माना जाता है कि इससे पेट की सफाई होती है और लीवर तथा तिल्ली से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं.
सिरके में डाला जाता है फल
कुछ लोग इसके फलों को सिरके में डालकर खाते हैं और इसे एक स्वस्थ तौफे के रूप में अपने रिश्तेदारों को भी भेजते हैं. रामपुर के पुराने हकीमों ने भी इस पेड़ की खूबियों को पहचाना और इसकी मदद से कई दवाइयां बनाई थी.
घरेलू इलाज में भी असरदार
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर किसी बच्चे का पेट फूला हो या किसी को बदहजमी की शिकायत हो, तो पॉकेट पेड़ का सेवन तुरंत असर करता है. लोकल 18 से बात करते हुए एक बुज़ुर्ग ने बताया कि उन्होंने खुद बीमार लोगों को इसके फल खिलाए और वे जल्द ही ठीक हो गए.
रामपुर का अनमोल वरदान
इस पेड़ की सबसे खास बात यह है कि यह रामपुर के बाहर कहीं नहीं पाया जाता. यह पेड़ जैसे रामपुर के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. जो भी इसका इस्तेमाल करता है, वह इसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता.
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