Home Health 120 से 130 mg/dl फास्टिंग ब्लड शुगर कितना खतरनाक, डायबिटीज के बॉर्डरलाइन को कैसे लाएं नीचे, डॉक्टर से समझिए

120 से 130 mg/dl फास्टिंग ब्लड शुगर कितना खतरनाक, डायबिटीज के बॉर्डरलाइन को कैसे लाएं नीचे, डॉक्टर से समझिए

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120 से 130 mg/dl फास्टिंग ब्लड शुगर कितना खतरनाक, डायबिटीज के बॉर्डरलाइन को कैसे लाएं नीचे, डॉक्टर से समझिए

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हाइलाइट्स

सामान्यतया 100 mg/dl शुगर हो तो यह सामान्य है लेकिन 120 से 130 के बीच शुगर हो तो यह डायबिटीज का बॉर्डलाइन है.
डायबिटीज के बॉर्डलाइन बॉर्डरलाइन को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है वरना स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ जाती है.

Dr. Paras Agarwal Explain How Control Borderline Diabetes:अगर हमारी शारिरिक गतिविधियों में शिथिलता आएगी, हमारा खान-पान खराब होगा तो पैंक्रियाज से निकलने वाले हार्मोन इंसुलिन की मात्रा में कमी आएगी. जब इंसुलिन की मात्रा में कमी आएगी तो शुगर का पाचन सही से नहीं होगा. जब शुगर या ग्लूकोज का पाचन सही से नहीं होगा तो यह खून में जमा होने लगेगा. इस स्थिति को डायबिटीज कहते हैं. जब शुगर खून में जमा होने लगेगा तो यह खून की सभी नसों की पतली करने लगेगी.

डायबिटीज होने से हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट की बीमारी, किडनी पर असर और आंखों में परेशानी होने लगेगी. इतना खतरनाक होने के बावजूद जिस तरह से हमारा लाइफस्टाइल है, उसमें अधिकांश लोग आसानी से डायबिटीज का शिकार होने लगे हैं.

क्या है डायबिटीज का बॉर्डलाइन
मैक्स हेल्थकेयर गुड़गांव में कंसल्टेंट एंडोक्राइनोलॉजिस्ट और डायबिटीज के एक्सपर्ट डॉ पारस अग्रवाल कहते हैं कि कि एक हेल्दी युवा वयस्क में 90 से 110 mg/dl फास्टिंग ब्लड शुगर हो तो यह नॉर्मल स्थिति है. इसके साथ ही अगर खाने के बाद ब्लड शुगर लेवल 150 से नीचे हैं तो भी इसे सामान्य स्थिति ही माना जाएगा. लेकिन अगर युवाओं का लाइफस्टाइल सही नहीं है और फास्टिंग शुगर का लेवल 120 या 130 से उपर चला जाता है तो यह प्री डायबेटिक कंडीशन है लेकिन इसमें डायबेटिक हो जाने के पूरे संकेत हैं. डॉ. पारस अग्रवाल ने कहा कि 120 से 130 के बीच फास्टिंग ब्लड शुगर डायबिटीज का बॉर्डलाइन है. अगर इस स्टेज में नहीं संभले तो आगे बहुत दिक्कत होने वाली है. उन्होंने कहा कि खाना खाने के बाद अगर शुगर लेवल 200 को पार कर गया है तो इसे कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए. क्योंकि इसे डेंजर लेवल को पार करने में ज्यादा समय नहीं लगता.

यही है संभलने का मौका
डॉ. पारस अग्रवाल ने बताया कि जब कोई डायबिटीज के बॉर्डरलाइन पर होता है तो उसके लिए यही सही मौका है इसमें सुधार करने का. यानी डायबिटीज होने से पहले शरीर मौका देता है कि इस स्टेज में आप खुद के लाइफस्टाइल में सुधार कर लें. अगर लाइफस्टाइल और खान-पान में सुधार नहीं करेंगे तो निश्चित रूप से डायबिटीज आगे आपको बहुत दिक्कत देगी. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में डॉक्टर से तुरंत मिलना चाहिए. फिर डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से दवा और लाइफस्टाइल में सुधार करना चाहिए.

बॉर्डरलाइन डायबिटीज पर कैसे पाएं काबू
डॉ पारस अग्रवाल ने बताया कि अगर आप डायबिटीज के बॉर्डरलाइन पर हैं तो आपको कई काम अपने डेली रूटीन में शामिल करना होगा. यह तय है कि आप फिजिकल वर्क कम करते हैं या गलत खान-पान रखते हैं. चूंकि डायबिटीज की बीमारी खराब लाइफस्टाइल से संबंधित है, इसलिए अपने लाइफस्टाइल में सुधार करना अत्यंत आवश्यक है. लाइफस्टाइल में सुधार के लिए रोजाना एक्सरसाइज करें, वॉकिंग करें, घर का कामकाज करें, सीढ़ियां चढ़ें, एक जगह एक घंटे से ज्यादा देर तक न सोएं, फास्ट फूड, जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, ज्यादा तेल, ज्यादा नमक, ज्यादा चीनी वाली चीजें न खाएं. पैकेटबंद फूड का भी बाय कह दें. आप हर समय खुद किसी न किसी तरह व्यस्त रखें. इस लाइफस्टाइल में सुधार से बॉर्डरलाइन डायबिटीज को कंट्रोल करने में आसानी होगी.

प्री-डायबेटिक में कैसा हो खान-पान
प्री डायबेटिक कंडीशन में खान-पान पर ध्यान देना सबसे ज्यादा जरूरी है. अगर आपका फास्टिंग ब्लड शुगर लेवल बढ़ा है तो आप तली-भुनी चीजें, प्रोसेस्ड फूड, सिगरेट, शराब आदि को छोड़ दें. मीठा खाना कम कर दें. हरी साग सब्जियों का सेवन ज्यादा करें. जो सीजनल फल सब्जियां हो, उसे अपनी आदत में शुमार कर लें. रोजाना एक्सरसाइज करें. करेला, आंवला, जामुन, ड्राई फ्रूट, पालक, आदि का सेवन बढ़ा दे.

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Tags: Diabetes, Health, Health tips, Lifestyle

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