हाइलाइट्स
ज्येष्ठ अमावस्या पर शोभन योग सुबह से लेकर शाम 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा.
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था.
धार्मिक दृष्टि से ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन स्नान-दान के साथ पितरों और शनि देव की पूजा की जाती है. ज्येष्ठ अमावस्या 19 मई 2023 को शोभन योग में पड़ रही है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कृमार भार्गव बताते हैं कि इस साल ज्येष्ठ अमावस्या की तिथि 18 मई को रात 09:42 बजे से लेकर 19 मई को रात 09:22 बजे तक है. ज्येष्ठ अमावस्या पर शोभन योग सुबह से लेकर शाम 06 बजकर 17 मिनट तक रहेगा. इस योग को पूजा पाठ के लिए शुभ माना जाता है. ऐसे में आप ज्येष्ठ अमावस्या को शनि देव और अपने पितरों को प्रसन्न कर सकते हैं. उनकी कृपा से आपका जीवन सुखमय होगा और धन-दौलत, वंश आदि में वृद्धि होगी. ज्येष्ठ अमावस्या को शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए उस दिन शनि जयंती मनाई जाती है.
ज्येष्ठ अमावस्या 2023: शनि देव और पितरों को प्रसन्न करने के उपाय
1. ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर शनि देव का जन्म हुआ था, इसलिए आप 19 मई को व्रत रखकर शनि देव की पूजा करें. उनको काला तिल, नीले या काले वस्त्र, काली उड़द, सरसों या फिर तिल का तेल आदि अर्पित करें. प्रिय वस्तुएं चढ़ाने से वे अत्यंत प्रसन्न होंगे.
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इसके अलावा आप शनि चालीसा, शनि स्तोत्र, शनि रक्षा कवच आदि का पाठ कर सकते हैं. इससे आपके दुख दूर होंगे. शनि कृपा से जीवन सुखमय होगा और काम भी सफल होंगे. साढ़ेसाती और ढैय्या का दुष्प्रभाव खत्म होगा.
2. ज्येष्ठ अमावस्या यानि शनि जयंती के दिन आप अपने घर पर शमी के पौधे को लगाएं. उसको जल दें और पूजा करें. शाम के समय में सरसों के तेल या तिल के तेल का दीपक जलाएं. शमी का पौधा शनि देव को प्रिय है. इससे आप पर शनि देव की कृपा होगी. शमी के पौधे की रोज सेवा करें और शनिवार को पूजा करें.
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3. ज्येष्ठ अमावस्या पर प्रात:काल में दैनिक क्रिया से निवृत होकर पवित्र नदी में स्नान करें या फिर घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें. उसके बाद पितरों को जल से तर्पण दें. तर्पण के समय आप कुश की पवित्री धारण करें. जल के तर्पण से आपके पितर प्रसन्न होंगे क्योंकि पितृ लोक में जल की कमी रहती है.
4. ज्येष्ठ अमावस्या को पितृ दोष से मुक्ति के लिए आप अपने पितरों की प्रिय वस्तुओं का दान किसी गरीब ब्राह्मण को करें. उनको भोजन खिलाएं और दक्षिणा से संतुष्ट कर विदा करें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस प्रकार से किया गया दान पितरों को प्राप्त होता है और वे तृप्त होते हैं.
5. ज्येष्ठ अमावस्या पर अपने पितरों के लिए पिंडदान और श्राद्ध भी किया जाता है. इसके अलावा आप अपने पितरों के लिए पंचबली कर्म कर सकते हैं. इसके लिए भोजन बनाकर उसे गाय, कुत्ता, कौआ और चींटी को खिला दें. भोजन का एक हिस्सा पत्ते पर रखकर जल में प्रवाहित कर दें या गाय को दे दें. मान्यताओं के अनुसार इससे तृप्त होकर पितर आशीर्वाद देते हैं.
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Tags: Astrology, Dharma Aastha, Shani Jayanti, Shanidev
FIRST PUBLISHED : May 17, 2023, 09:30 IST