Weather phenomenon El Nino: नए साल 2023 में दुनियाभर को प्रचंड गर्मी का कहर झेलना पड़ सकता है क्योंकि तापमान को प्रभावित करने वाली मौसमी घटना अल नीनो (El Nino) तीन साल बाद वापस आ रही है। NASA ने इस बावत जानकारी दी है। 19वीं सदी के आखिर के वर्षों में साल 2022 में तापमान औसत से लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस अधिक रिकॉर्ड किया गया था। भारत मौसम विभाग (IMD) के अनुसार भी वर्ष 1901 के बाद से 2022 भारत के लिए पांचवां सबसे गर्म वर्ष था।
अल नीनो क्या है?
अल नीनो एक स्पेनिश शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ लिटिल ब्वॉय या क्राइस्ट चाइल्ड होता है। इस घटना को पहली बार दक्षिण अमेरिकी मछुआरों ने 1600 के दशक में प्रशांत महासागर में देखा था। दिसंबर और जनवरी के महीनों के दौरान हर तीन से सात साल में यह जलवायु पैटर्न वापस आ जाता है। यह हवा, महासागरीय धारा,समुद्री और वायुमंडलीय तापमान और जीवमंडल के बीच संतुलन टूटने के कारण होता है। इस बदलाव के कारण समुद्री जल का तापमान बढ़ जाता है।
अमेरिकन जियोसाइंस इंस्टिट्यूट के अनुसार अल नीनो और ला नीना शब्द का संदर्भ प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से है, जिसका दुनिया भर में मौसम पर प्रभाव पड़ता है। अल नीनो की वजह से प्रशांत महासागर का तापमान गर्म होता है और ला नीना के कारण ठंडा। दोनों आमतौर पर 9-12 महीने तक रहते हैं, लेकिन असाधारण मामलों में कई वर्षों तक रह सकते हैं।
क्या है अल नीनो का असर?
अल नीनो की वजह से महासागर का पानी गर्म हो जाता है, जिसका असर मछली पकड़ने और फसलों पर पड़ता है। इसकी वजह से समुद्री इलाकों में औसत से बहुत ज्यादा बारिश भी होती है। अल नीनो की वजह से ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और दक्षिणी एशिया के कुछ हिस्सों में गंभीर सूखे की भी स्थिति पैदा हो सकती है। इसके अलावा प्रशांत क्षेत्र में इससे चक्रवात और टाइफून की आशंका भी बढ़ जाती है।