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श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के मुताबिक इस साल अक्टूबर तक गर्भगृह का निर्माण पूरा हो जाएगा। निर्माण पूरा होने के बाद 21 दिसंबर के बाद कोई शुभ मुहूर्त निकलवाकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी। यह तारीख कोई भी हो सकती है। दिसंबर में भी हो सकता है, पहली जनवरी को भी और मकर संक्रांति पर भी यह शुभ कार्य हो सकता है। रामलला के विराजमान होने के बाद भक्तों के लिए गर्भगृह खोल दिया जाएगा। बाकी के दोनों तल पर निर्माण जारी रहेगा। शुक्रवार को मंदिर निर्माण की प्रगति साझा करते हुए उन्होंने कहा कि हम निर्माण की प्रगति से संतुष्ट हैं। गर्भगृह के अंदर स्तंभों को छोड़ दें तो दीवार, फर्श पर मकराना के सफेद मार्बल खूबसूरती बिखेरेंगे। शुक्रवार की दोपहर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ने मीडिया से मंदिर निर्माण की प्रगति साझा की।
मार्च के अंत तक पड़ जाएगी छत
श्रीरामजन्मभूमि पर निर्माणाधीन भव्य मंदिर का गर्भगृह अब मूर्तरूप लेने लगा है। दिन रात काम होने की वजह से मार्च के अंत तक गर्भगृह पर छत पड़ जाएगी। दस दस फिट ऊंचे पत्थर के स्तंभ रखे जा चुके हैं। गर्भगृह के चारों ओर की दीवार खड़ी हो चुकी है। गर्भगृह के मुख्य भवन में कुल 166 स्तंभ लगाए गए हैं। इसकी ऊंचाई बीस फिट की होगी। दस दस फिट ऊंचे सभी स्तंभ लगाए जा चुके हैं। इसी के ऊपर दस दस फिट के दूसरे स्तंभ लगाए जाने के बाद एक साथ सभी स्तंभों पर छत पड़ेगी। परकोटे का निर्माण भी तेजी से किया जा रहा है। परकोटे की नीव भरने का काम चल रहा है। परकोटे पर भी 6 उपमंदिरों का निर्माण किया जाना है।
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रामलला के सूर्य तिलक पर ट्रायल सफल
रामलला की मूर्ति पत्थर की होगी, वह किस पत्थर की होगी इस पर विचार विमर्श के लिए कमेटी बना दी गई है। गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति बालरूप में ही होगी। इसकी ऊंचाई पर अभी चर्चा जारी है, अब तक गर्भगृह की फर्श से रामलला की ललाट तक की ऊंचाई 7.8 फिट होनी तय है। दरअसल रामनवमी के दिन रामलला के सूर्य तिलक की योजना पर काम हो रहा है। सीबीआरआई रुड़की में इसका पहला सफल ट्रायल हो चुका है। उनकी ललाट तक सूर्य की किरणें पड़ें इसके लिए इतनी ऊंचाई जरूरी है। इसके बाद पहले तल पर रामदरबार में उनके राजा राम वाली छवि का श्रद्धालु दर्शन कर पाएंगे।
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