नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की खिंचाई की. सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के बिलों को मंजूरी देने में देरी के खिलाफ राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई फिर से शुरू की. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि ‘ये बिल 2020 से लंबित हैं, वह तीन साल से क्या कर रहे थे?’ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी तब सामने आई है, जब राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन (CM MK Stalin) ने शनिवार को राज्य विधानसभा में उन दस विधेयकों पर विचार करने के लिए एक विशेष प्रस्ताव पेश किया था, जो पहले सदन द्वारा पारित किए गए थे लेकिन राज्यपाल रवि द्वारा लौटा दिए गए थे.
तमिलनाडु के स्पीकर ने कहा कि ‘इन बिलों को पारित किया जाएगा और फिर से राज्यपाल आरएन रवि को भेजा जाएगा.’ सत्र के दौरान स्टालिन ने राज्यपाल पर बिल लौटाकर विधानसभा और राज्य के लोगों का ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि राज्यपाल रवि ने बिना कोई कारण बताए बिल वापस कर दिए हैं. कानून, कृषि और उच्च शिक्षा सहित विभिन्न विभागों को कवर करने वाले विधेयकों को शनिवार को राज्य विधानसभा ने फिर से मंजूर कर दिया. इससे पहले 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल रवि द्वारा की गई देरी को ‘गंभीर चिंता का विषय’ बताया था.
सुप्रीम कोर्ट ने राजभवन पर 12 कानूनों को दबाकर रखने का आरोप लगाने वाली राज्य सरकार की याचिका पर केंद्र से भी जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को सुलझाने के लिए अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहायता मांगी. केरल में राज्यपाल के साथ इसी तरह के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज केरल सरकार की एक याचिका पर भी सुनवाई की. इसमें राज्य के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पर विधानसभा द्वारा पारित कई विधेयकों को मंजूरी नहीं देने का आरोप लगाया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में केंद्र और केरल के राज्यपाल के ऑफिस से जवाब मांगा.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने वरिष्ठ वकील केके वेणुगोपाल की दलीलों पर ध्यान दिया, जिसमें आठ विधेयकों को मंजूरी देने में राज्यपाल की ओर से देरी का आरोप लगाया गया था. इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी. केरल सरकार की ओर से पेश केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि राज्यपाल ने कुछ अहम विधेयकों पर अब तक फैसला नहीं किया है. राज्यपाल ने अब तक तीन विधेयकों पर हस्ताक्षर किए हैं, जबकि 7 से 23 महीने पहले विधानसभा द्वारा पास किए 8 विधेयक अभी भी लंबित हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 20, 2023, 13:43 IST