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2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूपी के सेमीफाइनल के तौर पर देखे जा रहे निकाय चुनाव का नतीजा सामने आ गया है। शनिवार सुबह 8 बजे जब काउंटिंग शुरू हुई तो पोस्टल बैलेट और ईवीएम से निकलने वाले हर वोट के साथ जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का ग्राफ ऊपर चढ़ता गया तो विपक्ष की उम्मीदें फिर ‘मिट्टी में मिल गईं’। नगर निगम में तो भाजपा ने सूपड़ा साफ कर दिया और मेयर के सभी 17 पदों पर कमल खिला दिया। दोपहर तक आगरा में जरूर हाथी ने कुछ हिम्मत दिखाई, लेकिन बाद में हाफ गया। सपा एक भी सीट पर करीबी टक्कर तक नहीं दे पाई। हालांकि, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कर्नाटक में भाजपा की हार से अपना गम कम करते नजर आए। उन्होंने इसे भाजपा के अंत की शुरुआत बताया, लेकिन ऐसा करने के लिए यूपी में ‘बाबा के बुलडोजर’ को रोकना जरूरी है, जिसमें अब तीन इंजन हो गए हैं।
नगर निगम के अलावा अन्य निकायों का भी नतीजा कुछ खास अलग नहीं था। सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए अधिक चिंता की बात यह भी है कि नगर पंचायत में दूसरे नंबर पर निर्दलीय रहे। शाम करीब 5 बजे तक आए रुझानो/नतीजों के मुताबिक, नगर पंचायतों के 544 वार्ड में सबसे अधिक 205 पर भाजपा ने कब्जा किया। सपा को 89 वार्ड में जीत हासिल हुई तो बसपा को 37 वार्ड में जीत मिली। कांग्रेस ने 33 वार्ड में कामयाबी हासिल की। वहीं, 180 वार्ड में निर्दलीय उम्मीदवारों ने कब्जा किया। वहीं, नगर पालिका की बात करें तो कुल 199 वार्ड में से 98 पर भाजपा ने कमल खिलाया। 38 पर सपा को जीत मिली तो 18 पर बसपा और 06 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। अन्य को 49 वार्ड में कामयाबी मिली।
काम कर गया तीन इंजन वाला फॉर्मूला
निकाय चुनाव के लिए अखिलेश की तुलना में अधिक रैलियां करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं कोई कसर नहीं छोड़ी। 2024 से पहले आखिरी चुनावी दंगल को जीतकर उन्होंने कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है तो भी संदेश देने की कोशिश की है कि ‘बाबा बुलडोजर’ की लोकप्रियता कायम है। योगी ने अपनी कई रैलियों में जनता से यूपी में ‘तीन इंजन’ लगाने की अपील की। केंद्र और राज्य के लिए डबल इंजन का फॉर्मूला तो भाजपा काफी पहले से देती रही है, योगी ने इसे एक नया विस्तार दिया। वह जनता को यह विश्वास दिलाने में कामयाब रहे कि दिल्ली और लखनऊ के अलावा निकाय में भी भाजपा की सरकार होने से उनका विकास अधिक तेजी से होगा।
2024 के लिए क्या है संदेश?
निकाय चुनाव के नतीजों के बाद राजनीतिक विश्लेषक जनादेश में छिपे संदेश को पढ़ने में जुट गए हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में यूपी की अधिकतर सीटों पर जीत हासिल करने वाली भाजपा एक बार फिर 75+ का टारगेट लेकर आगे बढ़ रही है। विपक्ष हर हाल में भाजपा के रथ का पहिया यूपी में खोलना चाहेगा, लेकिन ऐसा करना उसके लिए कितना मुश्किल है इसका संकेत एक बार फिर निकाय चुनाव से भी मिल गया है। भाजपा को रोकने के लिए अगले एक साल में विपक्षी दलों और यूपी की बात करें तो सपा को नए सिरे से काम करना होगा। अखिलेश यादव इसके लिए क्या कुछ करते हैं और किस हद तक करते हैं यह तो आने वाले समय में साफ होगा। फिलहाल इतना साफ है कि यूपी की सियासी पटरी पर बाबा का बुलडोजर बुलेट की स्पीड से दौड़ रहा है।