Home Health 30 के बाद क्यों जरूरी है किडनी फंक्शन टेस्ट, रिस्क वाले लोगों के लिए हर साल कराना फायदेमंद, कई जानकारियां मिलेंगी

30 के बाद क्यों जरूरी है किडनी फंक्शन टेस्ट, रिस्क वाले लोगों के लिए हर साल कराना फायदेमंद, कई जानकारियां मिलेंगी

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30 के बाद क्यों जरूरी है किडनी फंक्शन टेस्ट, रिस्क वाले लोगों के लिए हर साल कराना फायदेमंद, कई जानकारियां मिलेंगी

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हाइलाइट्स

किडनी जब पेशाब से सैंपल लिया जाता है तो इसे डिप्सटिक यूरिन टेस्ट कहते हैं.
ब्लड सैंपल से सीरम क्रिएटिनिन का पता चलता है.

Kidney Function Test Chart: किडनी हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है. इसे शरीर की पावरफुल केमिकल फैक्ट्री भी कहा जाता है. किडनी शरीर से केमिकल वेस्ट मैटेरियल को बाहर करती है. इसके साथ ही यह शरीर में फ्लूड का बैलेंस रखती है. किडनी हार्मोन भी रिलीज करती है जिससे ब्लड प्रेशर रेगुलेट रहता है. इसके अलावा विटामिन डी को सक्रिय करता है जिससे हड्डियां मजबूत होती है. वहीं आरबीसी प्रोडक्शन को भी किडनी कंट्रोल करती है. किडनी की इस महत्व को देखते हुए इसकी उपयोगिता को समझा जा सकता है. इसलिए किडनी का हेल्दी रहना हमारे जीवन के लिए बहुत जरूरी है. आजकल लोग जंक फूड, फास्ट फूड, अल्कोहल आदि का सेवन ज्यादा करने लगे हैं, इस कारण किडनी पर अतिरिक्त असर पड़ने लगा है. एक्सपर्ट के मुताबिक इन सभी वजहों से 30 साल के बाद हर इंसान को साल में एक बार किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर कराना चाहिए.

क्या-क्या किडनी फंक्शन टेस्ट

किडनी फंक्शन टेस्ट से यह पता चलता है कि किडनी अपना स्वभाविक काम कर रही है या नहीं. अगर नहीं कर रही है तो इसमें किस तरह की दिक्कतें हैं. अगर पेशाब करने में दिक्कत हो, दर्द हो या ब्लड आए तो डॉक्टर किडनी फंक्शन टेस्ट की सलाह देते हैं. किडनी फंक्शन टेस्ट के कई तरीके हैं. इसमें पेशाब से भी सैंपल लिया जा सकता है और ब्लड से भी.

यूरिन टेस्ट-अमेरिकी सेंटर फॉर कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट के मुताबिक किडनी जब पेशाब से सैंपल लिया जाता है तो इसे डिप्सटिक यूरिन टेस्ट कहते हैं. इसमें पेशाब का केमिकल विश्लेषण किया जाता है. इससे यह पता चलता है कि किडनी प्रोटीन को छानने में सफल है या नहीं. इससे एल्ब्यूमिन प्रोटीन का पता लगाया जाता है. इसी से एसीआर की गणना की जाती है. एसीआर का नॉर्मल रेंज 30 से कम होना चाहिए. यूरिन से ही क्रिएटिनिन क्लीयरेंस टेस्ट किया जाता है. इससे पता चलता है कि किडनी कितने विषाक्त पदार्थों को छान सकती है. इसके साथ ही पेशाब में ब्लड, पस, बैक्टीरिया, शुगर आदि का पता लगाया जाता है.

ब्लड टेस्ट-ब्लड सैंपल से सीरम क्रिएटिनिन का पता चलता है. सीरम क्रिएटिनिन अंदरुनी टूट-फूट से बने अपशिष्ट पदार्थों से बनता है. यूरिन में मौजूद एल्ब्यूमिन की मात्रा को यूरिन में मौजूद क्रिएटिनिन की मात्रा से विभाजित करके एसीआर मान की गणना की जाती है. इसके साथ ही ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट GFR निकाला जाता है. यह 90 से उपर होना चाहिए. इससे पता चलता है कि किडनी का फंक्शन कितना सही है. ब्लड सैंपल से सोडियम, पोटैशियम, क्लोराइड, फॉस्फोरस, कैल्शियम, ग्लूकोज, ब्लड यूरिया नाइट्रोजन, क्रिएटिनिन आदि की जांच की जाती है.

  •                           KFT का नॉर्मल रेंज
  • टेस्ट ——————————————————-नॉर्मल रेंज
  • सोडियम ————————————————–135-145 mEq/L
  • पोटैशियम ————————————————3.0-5.0 mEq/L
  • क्लोराइड————————————————- 90-107 mEq/L
  • बायकार्बोनेट ———————————————20-29 mEq/L
  • फॉस्फोरस———————————————— 2.5-4.5 mg/dL
  • कैल्शियम ————————————————-8.5-10.2 mg/dL
  • ग्लूकोज —————————————————70.100 mg/dL फास्टिंग में
  • ब्लड यूरिया नाइट्रोजन——————————— 7-20 mg/dL
  • किएटीनाइन ——————————————– 06-1.2 mg/dL
  • एलब्यूमिन ———————————————- 3.4-5.0 mg/dL
  • ईजीएफआर——————————————-  60 से ज्यादा
  • ब्लड यूरिया नाइट्रोजन——————————– 6.22

Tags: Health, Health tips, Lifestyle

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