Heatstroke deaths in Mumbai- 16 अप्रैल को नवी मुंबई के खारघर में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार के दौरान हीटवेव से 11 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक लोगों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। सीएम एकनाथ शिंदे ने अस्पताल पहुंचकर लोगों का हाल जाना। उधर, उद्धव ठाकरे ने शिंदे सरकार को घेरा और मामले में जांच की मांग की। बताया जा रहा है कि भीषण गर्मी के बीच खुले में बैठने से 11 लोगों की मौत हुई और कईयों को अस्पताल भर्ती करना पड़ा। अब इस पूरे प्रकरण पर मौसम विभाग के एक्सपर्ट्स ने कारण बताया है कि तापमान सिर्फ 34 डिग्री था, फिर भी इतनी गर्मी से इतने लोग कैसे मर गए?
महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार कार्यक्रम के दौरान गर्मी से 11 लोगों की मौत मामले में एक बात यह भी है कि मुंबई अभी हीटवेव की स्थिति का सामना भी नहीं कर रहा है। हादसा पनवेल नगर निगम क्षेत्र के खारघर, नवी मुंबई में हुआ। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की सांताक्रूज (मुंबई) वेधशाला ने रविवार को यहां अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया, जो सामान्य से महज 1 डिग्री अधिक था। कोलाबा (मुंबई) में तटीय वेधशाला में अधिकतम तापमान 32.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
अभी कहां है लू की स्थिति
आईएमडी के अनुसार, वर्तमान में पश्चिम बंगाल, तटीय आंध्र प्रदेश और बिहार के कुछ क्षेत्रों में लू की स्थिति बनी हुई है। आईएमडी के पूर्वानुमान के अनुसार, मुंबई के अधिकांश हिस्सों में, रविवार को अधिकतम तापमान 30-35 डिग्री सेल्सियस के बीच था, और सोमवार को भी ऐसा ही रहने की उम्मीद है। साफ है कि आईएमडी के मुताबिक, मुंबई के हिस्सों में अभी हीटवेव का असर नहीं है।
खारघर में ऐसा क्यों हुआ?
मौसम एक्सपर्ट्स का कहना है कि उच्च तापमान अपने आप में अक्सर जानलेवा नहीं होते हैं। उच्च तापमान और उच्च आर्द्रता का संयोजन, जिसे “वेट बल्ब टेम्परेचर” कहा जाता है। यह वही है जो हीटवेव को घातक बनाता है। रविवार को मुंबई में वेट बल्ब टेम्परेचर की जानकारी तत्काल उपलब्ध नहीं थी।
कितना घातक है वेट बल्ब टेम्परेचर
वेट बल्ब टेंपरेचर अधिकतम तापमान और नमी के स्तर को मिलकर बनता है। वैज्ञानिकों के अनुसार व्यक्ति के लिए 32 डिग्री वेट बल्ब टेम्परेचर में रहना असहनीय हो जाता है। वह 45 डिग्री तापमान सह सकता है, लेकिन तब हवा में नमी कम हो। वहीं, दूसरी ओर यदि 35 डिग्री तापमान में नमी का स्तर 50 से 55 डिग्री तक हो तो ऐसा मौसम वेट बल्ब टेम्परेचर कहलाता है और इसमें रहना असहनीय हो जाता है।
लू से होने वाली मौतें
पिछले कुछ वर्षों में हीटवेव की निगरानी और प्रबंधन में बड़े सुधार हुए हैं। लगभग हर राज्य मौसम विभाग की चेतावनी के साथ हीटवेव एक्शन प्लान के साथ आ रहा है जिसमें प्रारंभिक चेतावनी, सार्वजनिक स्थानों पर पानी की उपलब्धता और कार्यालयों और शिक्षा संस्थानों में काम के घंटों में बदलाव शामिल हैं। नतीजतन, हीटवेव से संबंधित मौतों ने 2010 और 2020 के बीच तेजी से गिरावट देखी गई है।
2015 में हीटवेव से मौत ज्यादा
2015 में हीटवेव मौत चरम पर थी, जब 2,000 से अधिक मौतें दर्ज की गईं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2020 में केवल चार लू से मौत की सूचना मिली थी। हालांकि, यह डेटा बहुत विश्वसनीय नहीं है, और विभिन्न सरकारी एजेंसियां इसे अलग-अलग तरीके से रिकॉर्ड करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में, इन नंबरों में वृद्धि देखी गई है, जिसका मुख्य कारण मौतों की रिपोर्टिंग और रिकॉर्डिंग में सुधार है। जून 2019 में, अकेले बिहार के चार जिलों से लू से संबंधित 100 से अधिक मौतों की सूचना मिली थी।
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ेगी, हालात और बिगड़ेंगे
मौसम विभाग ने भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में ला नीना के अंत के कारण इस साल गर्मियों में अत्यधिक गर्म होने की भविष्यवाणी की है। नए पूर्वानुमानों से पता चलता है कि अल नीनो, जिसका ला नीना के विपरीत प्रभाव पड़ता है, मई-जुलाई की अवधि से ही उम्मीद से पहले शुरू होने की संभावना है।