Thursday, December 19, 2024
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35A की वजह से J&K के लोगों के मौलिक अधिकार छिने, Article 370 पर सुप्रीम कोर्ट


नई दिल्ली. संविधान के अनुच्छेद 35ए के कारण लोगों के तीन बुनियादी अधिकार छीन गए. इसके तहत जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को मिले विशेषाधिकार के कारण बाक़ी राज्यों के लोगों का वहां रोज़गार पाने, ज़मीन ख़रीदने और बसने के अधिकार का हनन हुआ. अनुच्छेद 370 और 35ए मामले में दाखिल जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ये अहम टिप्पणी की.

प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान के तहत रोज़गार करने या पाने, ज़मीन ख़रीदने और देश के किसी भी हिस्से में बसने का अधिकार मिलता है, लेकिन 35ए के कारण ये तीनों मौलिक अधिकार छिन गए. साथ ही न्यायिक समीक्षा की शक्ति पर भी असर हुआ. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि कई केंद्रीय क़ानून अनुच्छेद 370 के कारण वहां लागू नहीं हो पाते थे. उन्होंने कहा, ‘देश के संविधान में शिक्षा का अधिकार जोड़ा गया, लेकिन वो वहां लागू नहीं हो पाया. 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी बराबरी पर लाया गया. कई कल्याणकारी क़ानून अब वहां लागू हैं, जो पहले नहीं हो सकते थे. अभी वहां निवेश आ रहा है, पर्यटन में तेज़ी आई है.’

अनुच्छेद 370 और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर, तथा लद्दाख के रूप में बांटने के जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं को 2019 में एक संविधान पीठ को भेजा गया था.

Tags: Article 370, Jammu kashmir, Supreme Court



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