Tuesday, February 4, 2025
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370 ड्राफ्ट करनेवाले से थी नेहरू की थी दांत कटी दोस्ती, फिर रातों-रात PM पद से बर्खास्त कर क्यों भेजा था जेल?


अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधानिकता पर सुनवाई करते हुए देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर रियासत के निर्वाचित प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला का भी उल्लेख किया और उनके एक भाषण का जिक्र करते हुए उनकी तारीफ में कहा कि उन्होंने जो सपना 1951 में देखा था, आज पूरी दुनिया उसकी बात कर रही है। बता दें कि संविधान सभा में अनुच्छेद 370 पर चर्चा के दौरान शेख अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर को हिन्दुओं और मुस्लिमों दोनों का प्रदेश बनाने की वकालत की थी। शेख अब्दुल्ला जवाहर लाल नेहरू के घनिष्ठ मित्र थे। आजादी से पहले ही दोनों की दोस्ती बहुत मशहूर थी।

आजादी से पहले जम्मू-कश्मीर एक अलग रियासत था। वहां महाराजा हरि सिंह का शासन था। सूबे की अधिकांश आबादी मुस्लिमों की थी लेकिन शासन हिन्दू राजा का था। शेख अब्दुल्ला जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से साइंस ग्रैज्युएट होकर लौटे तो उन्हें अपने प्रदेश में नौकरी नहीं मिली। काफी कोशिशों के बाद वह एक स्कूल में पढ़ाने लगे लेकिन उनके जेहन में यह कौंधने लगी कि सूबे में बहुसंख्यक होने के बावजूद मुसलमानों का शोषण हो रहा है। 

महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह

तब उन्होंने राजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह का बिगूल फूंक दिया। शेख अब्दुल्ला धीरे-धीरे मुस्लिमों की आवाज बन गए। उन्होंने 1932 में ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर मुस्लिम कांफ्रेंस’ का गठन किया लेकिन छह साल बाद पार्टी का नाम बदलकर ‘ऑल जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस’ कर दिया। इससे मुस्लिम नाराज हो गए। शेख अब्दुल्ला सिर्फ मुसलमानों को लेकर आगे नहीं बढ़ना चाहते थे, वह हिन्दुओं को भी अपनी लड़ाई में शामिल करना चाहते थे। इस विचार की वजह से नेहरू और शेख अब्दुल्ला काफी करीब आ गए। दोनों हिन्दू-मुस्लिम एकता और समाजवादी विचार के पैरोकार बन गए।

तीन साल के लिए जेल

1946 में जब शेख अब्दुल्ला ने राजा हरि सिंह के खिलाफ ‘कश्मीर छोड़ो’का आंदोलन चलाया। उस आंदोलन में 20 लोग मारे गए। महाराजा हरि सिंह ने शेख अब्दुल्ला को राजद्रोह के जुर्म में तीन साल के लिए जेल में डाल दिया। इस खबर से नेहरू बहुत आहत हुए थे और अपने दोस्त को रिहा करवाने कश्मीर जा पहुंचे थे लेकिन हरि सिंह ने नेहरू के सूबे में प्रेवेश पर पाबंदी लगा दी थी।

नेहरू ने कराया था जेल से रिहा

जब 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ। तब ब्रिटिश सरकार ने सभी रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय करने को कहा था लेकिन हरि सिंह ने खुद को अलग रखा। वह ना तो पाकिस्तान और ना ही भारत में अपने सूबे का विलय करना चाहते थे बल्कि जम्मू-कश्मीर को स्विटजरलैंड की तरह विकसित कर एक अलग देश बनाना चाहते थे। इस बीच जवाहरलाल नेहरू हिन्दुस्तान के प्रधानमंत्री बन चुके थे। उन्होंने हरि सिंह पर शेख अब्दुल्ला को जेल से रिहा करना के दबाव डाला। उधर, हरि सिंह पाकिस्तानी सेना का समर्थन हासिल कर काबायली हमलों में उलझ गए। तब उन्होंने ना सिर्फ अब्दुल्ला को रिहा किया बल्कि अक्टूबर 1947 में जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में कर दिया। 11 नवंबर 1947 को पंडित नेहरू ने हरि सिंह को चिट्ठी लिखकर शेख अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर का प्रधानमंत्री बनाने को कहा था। इसके बाद 1948 में हरि सिंह ने अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।

शेख अब्दुल्ला ने ड्राफ्ट किया था अनुच्छेद 370

उधर, जुलाई 1949 में शेख अब्दुल्ला, मिर्जा अफसल बेग, मोती राम बागड़ा और मसूदी को संविधान सभा का हिस्सा बनाया गया था। अनुच्छेद-370 को शेख अब्दुल्ला ने ही ड्राफ्ट किया था, जिसे 1949 में संविधान में अस्थाई तौर पर जोड़ा गया था। इसी के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। 1950 में जब भारत का संविधान लागू हुआ था, तब अनुच्छेद-1 के तहत जम्मू-कश्मीर को भारत का एक राज्य घोषित किया गया था। हालांकि, उसे अपना प्रधानमंत्री और संविधान चुनने का अधिकार था। बाद में 1951 में जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का गठन हुआ था। इस सभा ने जम्मू-कश्मीर का संविधान बनाया था। इसके बाद 1957 में जम्मू-कश्मीर का संविधान लागू हुआ और संविधान सभा भंग कर दी गई।

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कश्मीर मुद्दे पर भारत की बड़ी गलती

इस बीच, भारत ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में यह सोचकर उठाया कि इस वैश्विक संस्था का साथ उसे मिलेगा लेकिन यूएन ने उसे एक अंतरराष्ट्रीय विवाद करार दे दिया और समाधान के लिए जनमत संग्रह की बात होने लगी। यह भारत के लिए बड़ा झटका था। भारत अपने प्रस्ताव पर कदम वापस लेना चाहता था लेकिन ऐसा कर नहीं कर सका। तब भारत ने शेख अब्दुल्ला की मदद से मामले को संभाला और जम्मू-कश्मीर को भारत के अभिन्न अंग के रूप में बनाए रखा। इसके बदले अब्दुल्ला भारी विरोध के बावजूद संविधान में अनुच्छेद 370 जुड़वा पाने में कामयाब रहे। वह अक्सर संधि तोड़ने की धमकी देते रहते थे जिसे नेहरू ने कश्मीर को स्वायत्तता देकर मना लिया था। कुल मिलाकर, 1950-52 तक शेख अब्दुल्ला का मन-मिजाज बदलने लगा था। 

जब अब्दुल्ला पर शक करने लगे नेहरू

इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ में लिखा है कि प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने 1950 में अपनी बहन विजयलक्ष्मी पंडित को कई पत्र लिखे, जिसमें अब्दुल्ला को लेकर चिंता जताई गई थी। बकौल  गुहा नेहरू ने अपने पत्र में बहन को लिखा, ‘शेख अब्दुल्ला अब सही व्यवहार नहीं कर रहे हैं। वे कश्मीर मामले पर खराब बर्ताव करने लगे हैं। ऐसा लगता है कि वह हमसे संघर्ष करना चाहते हैं। वह गलत लोगों से घिर गए हैं। अब मुझे शक सा होने लगा है।’

अलग मुल्क का ख्वाब देखने लगे थे शेख अब्दुल्ला

नेहरू का यह शक तब सच में बदल गया, जब शेख अब्दुल्ला ने सितंबर 1950 में अमेरिकी राजदूत लॉय हेंडरसन से मुलाकात की और आजाद कश्मीर के अपने ख्वाब का इजहार किया। अब्दुल्ला भी  हरि सिंह की तरह कश्मीर को स्विटजरलैंड जैसा अलग मुल्क बनाने का सपना देखने लगे थे। उन्होंने अक्टूबर 1951 में अपने एक भाषण में इस मंशा को साफ तौर पर जाहिर कर दिया। 

इधर, भारत सरकार चौकन्ना हो चुकी थी। सरदार पटेल और गोपाल स्वामी अयंगर ने भी अनुच्छेद 370 का विरोध करना शुरू कर दिया था। आखिरकार जुलाई 1952 में भारतीय संवैधानिक ढांचे के तहत राज्य को विशेष दर्जा देने के लिए भारत सरकार और जम्मू-कश्मीर के प्रधानमंत्रियों के बीच दिल्ली समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस समझौते को दिल्ली एग्रीमेंट के नाम से जाना जाता है।  1953 तक आते-आते नेशनल कॉन्फ्रेंस में फूट पड़ गई। कहा जाता है कि यह भारत सरकार के इशारे पर ही हुआ था। पार्टी का एक धड़ा भारत के साथ रहना चाहता था तो दूसरा आजादी चाहता था।

रातों-रात हुई बर्खास्तगी, भेजे गए जेल

अगस्त 1953 में यह अफवाह उड़ी कि ईद के दिन शेख अब्दुल्ला कश्मीर की आजादी का ऐलान कर देंगे और यूएन, जहां उन्होंने भारत की पैरवी की थी, वहीं भारत के खिलाफ कश्मीर के कब्जे से सुरक्षा की मांग करेंगे। दूसरी तरफ अब्दुल्ला के विरोधी गुट ने उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने शुरू किए। तभी 9 अगस्त को प्रधानमंत्री नेहरू ने जम्मू-कश्मीर के सदर-ए-रियासत कर्ण सिंह को पत्र लिखकर रातों रात शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त करवा दिया। जब सुबह हुई तो अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गयाा और 11 साल के लिए जेल में डाल दिया गया।



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