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ANCIENT STITCHED SHIP: महासागर में भारत की गौरवशाली इतिहास और उसकी समृद्ध परंपरा को नौसेना फिर से आगे बढ़ा रही है. पुरानी कला को जीवित रखना किसी चुनौती से कम नहीं है. भारत आधुनिक दौर में एयरक्राफ्ट कैरियर तक बन…और पढ़ें

दोहरा दिया इतिहास
हाइलाइट्स
- भारतीय नौसेना ने 5वीं सदी के जहाज को पुनर्जीवित किया.
- लकड़ी के जहाज को रस्सी, नारियल फाइबर और मछली के तेल से बनाया गया.
- यह जहाज पुराने समुद्री रूट पर गुजरात से ओमान तक जाएगा.
ANCIENT STITCHED SHIP: समंदर की खोजें हमेशा से ही रोमांचक रही हैं. पुराने समय में लकड़ी के बड़े-बड़े जहाज, हवा की ताकत से समंदर की लहरों पर राज करते थे. अजंता की गुफाओं में 5वीं शताब्दी की एक पेंटिंग में ऐसा ही एक जहाज दिखाया गया था. अब भारतीय नौसेना ने इस प्राचीन जहाज को फिर से जीवित कर दिया है. पुराने समय में महासागर में जाने के लिए जिस तकनीक से जहाज बनाए जाते थे, उसे स्टिच्ड तकनीक कहते हैं. इसी तकनीक से बने इस जहाज को नौसेना में शामिल किया जा रहा है.
आज के दौर में लकड़ी का जहाज
भारत अब शिपबिल्डिंग में पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो चुका है. भारतीय नौसेना में शामिल होने वाले ज्यादातर जहाज देश में ही बनाए गए हैं. नई तकनीक के इन जहाजों ने भारत की ताकत को बढ़ाया है. अब 5वीं सदी के जहाज को ठीक उसी तरह से बनाकर भारत ने एक और कीर्तिमान स्थापित किया है. इस जहाज को पूरी तरह से लकड़ी से बनाया गया है, जिसमें किसी भी धातु का उपयोग नहीं किया गया है. लकड़ियों को जोड़ने के लिए रस्सी, नारियल फाइबर और मछली के तेल का इस्तेमाल किया गया है. हूबहू वैसा ही शिप बनाने के लिए काफी रिसर्च की गई. नेवी ने इसके डिजाइन और निर्माण को हर स्टेज पर मॉनिटर किया.
21 मई को नौसेना में शामिल
यह जहाज बनकर तैयार है और जल्द ही अपनी पहली यात्रा के लिए रवाना होगा. समंदर में इसके सभी ट्रायल पूरे किए जा चुके हैं. भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के मंत्री गजेंद्र शेखावत इसे कारवार नेवल बेस पर आधिकारिक तौर पर नौसेना में शामिल करेंगे. साल 2023 में इसे लेकर एग्रीमेंट किया गया था, जो मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर, इंडियन नेवी और होडी शिपयार्ड गोवा के बीच हुआ था. इसी साल फरवरी में इस जहाज को लॉन्च किया गया था. इसका पहला सफर पुराने समुद्री रूट को फॉलो करेगा, इसके पहले सफर में गुजरात से ओमान तक की तैयारी है. इसके बाद साउथ ईस्ट एशिया के सफर पर जाने का प्लान है. यह पूरा सफर किसी आधुनिक नेविगेशन उपकरणों के बजाए पुराने जमाने की नेविगेशन तकनीक का ही इस्तेमाल से किया जाएगा.
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