हाइलाइट्स
देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 70 से 80 हजार महिलाएं डायग्नोसिस के बाद ओवेरियन कैंसर से ग्रस्त पाई जाती हैं.
ओवेरियन कैंसर फैमिली हिस्ट्री, मोटापा आदि के कारण हो सकता है.
Ovarian Cancer: महिलाओं में कई तरह के कैंसर होते हैं, जिसमें ब्रेस्ट कैंसर और ओवेरियन कैंसर कॉमन है. ओवेरियन कैंसर को ही यूटरस कैंसर भी कहते हैं. यह एक घातक कैंसर है, जिसका इलाज शुरुआत स्टेज पर ना कराया जाए, तो पीड़ित महिला की मौत भी हो सकती है. ओवेरियन कैंसर होने पर महिलाओं की ओवरी में असामान्य रूप से कोशिकाओं की वृद्धि होने लगती है. ये सेल्स काफी तेजी से विभाजित होकर हेल्दी टिशू पर भी अटैक करना शुरू कर देते हैं. आइए अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 पर जानते हैं फोर्टिस हॉस्पिटल (मुबंई) के एडवांस्ड ऑन्को सर्जरी यूनिट के डायरेक्टर डॉ. अनिल हरूर से महिलाओं में ओवेरियन कैंसर के लक्षण, कारण और रिस्क फैक्टर्स के बारे में विस्तार से.
क्या है ओवेरियन कैंसर?
ओवेरियन कैंसर ओवरी का कैंसर है. यूटरस के साइड में अंडाशय यानी ओवरी होता है, इसमें एग्स प्रोड्यूस होते हैं. इसी अंडाशय में होने वाले कैंसर को ओवेरियन कैंसर कहते हैं. इसके कई प्रकार होते हैं और अलग-अलग उम्र में भिन्न-भिन्न ओवेरियन कैंसर हो सकते हैं. यंग पेशेंट में एक्चुअल एग्स प्रोड्यूस करने वाले जो सेल्स होते हैं, इन सेल्स में जो ट्यूमर होते हैं, वे महिलाओं में अर्ली एज में होते हैं. बाकी के जो सपोर्टिव टिशू होते हैं ओवरी में उसमें होने वाले कैंसर पोस्ट मेनोपॉजल महिलाओं में होता है यानी 50 से 60 वर्ष की उम्र की महिलाओं में अधिक होता है. महिलाओं में होने वाले कैंसर में ओवेरियन कैंसर चौथा कॉमन कैंसर है.
ओवेरियन कैंसर के प्रकार
इसमें एपिथेलियल ओवेरियन कैंसर होता है, जो कॉमन है. इसके अलावा, जर्म सेल ट्यूमर, स्ट्रोमल ट्यूमर भी होते हैं. जर्म सेल ट्यूमर कम उम्र की महिलाओं में अधिक होता है.
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ओवेरियन कैंसर के लक्षण
दरअसल, इसके लक्षण जल्दी सामने नहीं आते हैं. महिलाओं में होने वाला ओवेरियन कैंसर काफी लेट सामने आते है. ऐसे में जब यह बढ़ता है तो अधिक लक्षण प्रोड्यूस नहीं करता है. पेट में पानी भरने लगता है, पेट फूलने लगता है तभी टेस्ट कराने पर पता चलता है कि ये कैंसर हुआ है. इसके अलावा बेहद कॉमन लक्षण होते हैं, जो कई अन्य समस्याओं में नजर आते हैं. आमतौर पर इन लक्षणों को लोग नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे ये कैंसर बढ़ जाते हैं.
-अपच की समस्या
-बार-बार पेशाब जाना
-कब्ज होना
-पेल्विक भाग में दर्द होना
-पेट में सूजन
-वजन कम होना
ओवेरियन कैंसर के कारण
ओवेरियन कैंसर होने की कोई एक वजह नहीं है. आमतौर पर यह शारीरिक गतिविधियों में कमी, खराब जीवनशैली, मोटापा, ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर होने की फैमिली हिस्ट्री हो तो महिलाओं में इसके होने की संभावना बढ़ सकती है.
ओवेरियन कैंसर का निदान और इलाज
इसके डायग्नोसिस में यदि आपको कोई भी ऊपर बताए लक्षण लगातार नजर आते हैं तो डॉक्टर से जरूर दिखा लें. पेट में ब्लोटिंग रहे, लगातार पेट का साइज बढ़ते जा रहा हो तो इसे भूलकर भी इग्नोर ना करें. ऐसे में डॉक्टर परीक्षण करके इन समस्याओं के होने के मुख्य कारणों का पता लगाते हैं. यदि चांज से कुछ भी संदेहजनक लगता है तो डॉक्टर बायोप्सी करवाने की सलाह देते हैं. उसके बाद यदि पता चलता है कि किसी को ओवेरियन कैंसर है तो ही फाइनल इलाज की प्रक्रिया शुरू होगी. इलाज कीमोथेरेपी और सर्जरी के जरिए की जाती है. पूरी ट्रीटमेंट 7-8 महीने तक चलती है और हर तीन महीने पर फॉलो-अप करने के लिए पेशेंट को बुलाते हैं. ब्लड टेस्ट, सिटी स्कैन, पेट की सोनोग्राफी से फॉलो-अप किया जाता है.
इलाज के बाद बचने की कितनी संभावना?
देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 70 से 80 हजार महिलाएं डायग्नोसिस के बाद ओवेरियन कैंसर से ग्रस्त पाई जाती हैं. लास्ट स्टेज पर ओवेरियन कैंसर होने की संभावना का पता चलता है तो बचने की संभावना काफी हद तक कम हो जाती है. हां, शुरुआती स्तर पर यदि ये बीमारी ओवरी तक सीमित है तो बचने की संभावना अधिक होती है. हालांकि, ये आमतौर पर तीसरे या चौथे स्टेज पर ही इसके होने का पता चलता है, ऐसे में बचने की संभावना काफी कम हो जाती है. हालांकि, आजकल एडवांस और टार्गेटेड कीमोथेरेपी आ गई है, जिससे सर्वाइवल के चांसेज बढ़ गए हैं.
बचाव के लिए किन बातों का रखें ख्याल
इलाज सही से हो गया है तो नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं. फॉलो-अप जरूर कराएं. ट्रीटमेंट के बाद लोग आमतौर पर भूल जाते हैं कि उन्हें फॉलो-अप भी कराना है. जहां तक इस कैंसर से बचाव की बात है तो फिजिकल एक्टिविटी जरूरी है. मोटापा से ग्रस्त ना हों. हेल्दी खानपान और जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से बचाव संभव है.
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Tags: Cancer, Health, International Women Day, Lifestyle, Women Health
FIRST PUBLISHED : March 03, 2023, 14:55 IST