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पटना. पीएम मोदी दो दिनों के बिहार दौरे पर पटना पहुंच गए हैं. पहले दिन पीएम मोदी ने पटना के जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल के उद्घाटन और बिहटा हवाई अड्डे की आधारशिला रखने के बाद रोड-शो किया. पटना की सड़कों के दोनों तरफ महिलाओं के हाथ में सिंघोरा और मांग में सिंदूर बता रहा था कि ऑपरेशन सिंदूर बिहार चुनाव में एनडीए का सबसे बड़ा हथियार बनने जा रहा है. पीएम मोदी बीते छह महीने में चौथी बार बिहार दौरे पर आए हैं. इन दौरों का मकसद केवल विकास परियोजनाओं तक सीमित नहीं है. बल्कि कहीं न कहीं बिहार चुनाव भी है. सड़कों पर सैकड़ों महिलाएं मांग में सिंदूर और हाथों में मेहंदी से सजा सिंघोरा (शंख) लिए खड़ी थीं, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का उत्सव मना रही थीं. यह ऑपरेशन, जिसने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में पीओके में नौ आतंकी ठिकानों को नष्ट किया, बिहार में राष्ट्रवाद की नई लहर बन गया था.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी बिहार में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 74 सीटें जीती थीं और 2024 के लोकसभा चुनाव में 12 सीटों के साथ उसने अपनी पकड़ मजबूत की. लेकिन इस बार बीजेपी का लक्ष्य 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में 225 सीटें जीतने का है. पीएम मोदी की रैलियां और रोड शो, खासकर शाहाबाद और मिथिलांचल जैसे क्षेत्रों में जहां बीजेपी का आधार पहले से मजबूत है, इस लक्ष्य को हासिल करने की रणनीति का एक बड़ा हिस्सा है.
पीएम मोदी का बिहार दौरा
पिछले छह महीनों में पीएम मोदी ने बिहार को विशेष महत्व दिया. 13 नवंबर 2024 को दरभंगा में उन्होंने एम्स सहित 12,100 करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात दी. 24 फरवरी 2025 को भागलपुर में पीएम किसान सम्मान निधि की राशि जारी की गई. 24 अप्रैल 2025 को मधुबनी में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर 13,480 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शुरू की गईं. अब, मई 2025 में पटना और बिक्रमगंज में 50,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं बिहार की सियासत को गर्म कर रही हैं. इन दौरों में छह से अधिक रैलियां और रोड शो हुए, जो बीजेपी की रणनीति को दर्शाते हैं.
क्या बिहार चुनाव में ऑपरेशन सिंदूर की होगी गूंज?
पटना के रोड शो में महिलाओं की भागीदारी ने सबका ध्यान खींचा. हिंदू और मुस्लिम महिलाएं एकजुट होकर ‘मोदी-मोदी’ के नारे लगा रही थीं. शिवसागर की रुखसाना बेगम ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर ने हमारे जवानों की ताकत दिखाई. हमारा सिंदूर अब देश की शान है.” यह भावना बिहार की सियासत में नया रंग भर रही थी. विश्लेषक संजीव पांडेय कहते हैं, “महिलाओं का यह उत्साह बीजेपी के लिए गेम-चेंजर हो सकता है. बिहार में जातिगत समीकरण हमेशा हावी रहे, लेकिन राष्ट्रवाद अब इनसे ऊपर निकल रहा है.”
बीजेपी का लक्ष्य क्या है?
बीजेपी का लक्ष्य 243 सीटों वाली विधानसभा में 225 सीटें जीतना है, जैसा कि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने दावा किया. मिथिलांचल और शाहाबाद जैसे क्षेत्रों में, जहां बीजेपी का आधार मजबूत है, मोदी की रैलियां कार्यकर्ताओं में जोश भर रही हैं. मधुबनी में मखाना बोर्ड की घोषणा और बिक्रमगंज में 29,947 करोड़ रुपये की सुपर थर्मल पावर प्लांट की आधारशिला इस रणनीति का हिस्सा है. बीजेपी ने ‘सिंदूर अभियान’ की घोषणा की, जिसमें महिलाओं को सिंदूर भेंट कर ऑपरेशन की सफलता को प्रचारित किया जाएगा.
विपक्ष, खासकर आरजेडी, इसे ‘चुनावी नौटंकी’ बता रहा है. तेजस्वी यादव ने कहा, “सिंदूर की बात करते हैं, लेकिन बिहार में बेरोजगारी और बाढ़ का क्या?” फिर भी, महिलाओं का उत्साह और राष्ट्रवाद की लहर बीजेपी के लिए बड़ा हथियार बन रही है. क्या यह लहर बिहार में बीजेपी को पहली बार अपने दम पर सत्ता दिलाएगी? या नीतीश कुमार के साथ गठबंधन फिर हावी होगा? क्या मोदी की ये यात्राएं बीजेपी को बिहार में पहली बार अकेले सत्ता दिला पाएंगी? या गठबंधन की मजबूरी उन्हें नीतीश के साथ समझौता करने को मजबूर करेगी? बिहार की सियासी पिच पर यह मुकाबला दिलचस्प होने वाला है.
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