
[ad_1]
Last Updated:
Future Obesity: कोई बच्चा जवानी में या इसके बाद मोटा होगा या नहीं, इसका पता पांच साल की उम्र में भी चल सकता है. यह बात एक अध्ययन में सामने आई है.

बच्चों में मोटापा.
Future Obesity: मोटापा साइलेंट किलर बीमारी है. मोटापे की वजह से कई तरह की अन्य बीमारियां होती है. लेकिन कोई बच्चा भविष्य में मोटा होगा या नहीं, यह कैसे पता चलेगा. एक अध्ययन में इस बात से पर्दा उठाया गया है. अध्ययन में यह बताया गया है कि 6 साल की उम्र में ही यह पता लगाया जा सकता है कि कोई बच्चा आगे जाकर मोटा होगा या नहीं. डच वैज्ञानिकों का कहना है कि बच्चे के जीवन के पहले पांच साल उसे खुशहाल और हेल्दी जीवन का अवसर देने के लिए सबसे ज़रूरी होते हैं. 3,500 से अधिक बच्चों के हेल्थ रिकॉर्ड का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि यदि छह साल की उम्र में बीएमआई में सिर्फ एक यूनिट की बढ़ोतरी हुई तो इससे 18 साल की उम्र में मोटापे या अधिक वजन का खतरा दो गुना से ज्यादा हो जाता है. शोधकर्ताओं ने बताया कि यही कारण है कि प्री-स्कूल में ऐसी नीति बननी चाहिए जिससे बच्चों में मोटापा न बढ़े.
6 साल से पहले वजन कम करना जरूरी
डेलीमेल की खबर के मुताबिक ज्यादा वजन के कारण डायबिटीज, हार्ट डिजीज और यहां तक 12 तरह के कैंसर का खतरा भी रहता है. रॉटर्डैम यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर की विहेवियरल साइंस के एक्सपर्ट और अध्ययन की लेखिका प्रोफेसर जैस्मिन डी ग्रूट ने कहा कि हमें समझना होगा कि बच्चे कैसे बढ़ते और विकसित होते हैं, तभी हम आने वाली पीढ़ियों को बेहतर स्वास्थ्य दे सकते हैं. हमारा शोध यह दिखाता है कि यदि एक बच्चा मोटापे का शिकार है, तो वह हमेशा मोटा नहीं रहेगा. लेकिन इसके लिए 5 साल की उम्र तक हस्तक्षेप करना होगा. इसका मतलब हुआ कि यदि 5 साल की उम्र तक भी बच्चे के वजन को कंट्रोल कर लिया जाए तो भविष्य में ज्यादा वजन होने का चांस बहुत कम हो जाता है. अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 3,528 डच बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया और उनके बीएमआई को 2 साल से लेकर 18 साल की उम्र में ट्रैक किया.इसके बाद पाया गया है कि जिस बच्चे का वजन 6 साल की उम्र से पहले कम हो गया, उनमें बाद में वजन बढ़ने का चांस बहुत कम था. शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि यदि किसी बच्चे का बीएमआई छह साल की उम्र तक सामान्य हो जाता है, तो आगे चलकर मोटापे का खतरा नहीं रहता. इस अध्ययन को यूरोपीय कांग्रेस ऑन ऑबेसिटी में पेश किया गया था.
भारत में 1.25 करोड़ बच्चे मोटे
कई अध्ययनों में पाया गया है कि बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है. करीब आधा बच्चे समय से पहले ज्यादा वजन के शिकार हो जाते हैं. यूरोपीय कांग्रेस ऑन ओब्सिटी में प्रस्तुत एक अलग शोध में बताया गया कि पिछले 15 वर्षों में किशोरों में मोटापे की दर 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है.ब्रिस्टल विश्वविद्यालय द्वारा किए गए इस अध्ययन में 12 से 17 साल के किशोरों को ट्रैक किया गया. यह पाया गया कि 2008-2010 में जहां 22 प्रतिशत किशोर अधिक वजन या मोटापे के शिकार थे, वहीं 2021-2023 में यह संख्या बढ़कर 33 प्रतिशत हो गई. ब्रिटेन में लगभग दो में से एक वयस्क मोटापे या अधिक वजन का शिकार है, जिससे यह यूरोप के सबसे मोटे देशों में शामिल हो गया है. पिछले साल एक रिपोर्ट ने चेताया था कि ब्रिटेन में बढ़ता मोटापा टाइप 2 डायबिटीज़ के मामलों में 39 प्रतिशत की वृद्धि के लिए जिम्मेदार है और अब 1.68 लाख ब्रिटिश नागरिक इस बीमारी से पीड़ित हैं. लेंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2022 तक 1.25 करोड़ 19 साल से कम उम्र के बच्चे मोटापे के शिकार है.
अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड सबसे बड़ा विलेन
ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने बताया कि बच्चों में मोटापा के लिए अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स और खराब जीवनशैली सबसे बड़े जिम्मेदार कारक हैं. इसके बाद लंबे समय तक मोबाइल से चिपके रहना और एक्सरसाइज न करना या आउटडोर गेम न खेलना सबसे बड़ा कारण है. अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड में कृत्रिम तत्वों से भरे होते हैं जैसे चिप्स और मिठाइयां में. अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड का मतलब होता वे खाद्य पदार्थ जिनमें प्राकृतिक से ज्यादा कृत्रिम तत्व होते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसी चीजों को डाइट से हटा देना चाहिए.इसका सीधा संबंध हार्ट डिजीज और कैंसर से है. मोटापा खुद भी दिल से जुड़ी बीमारियों, हाई ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं का खतरा बढ़ाता है. पिछले साल ब्रिटिश सरकार ने शाम 9 बजे से पहले जंक फूड के टीवी विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी जो अक्टूबर 2025 से लागू होगा. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इससे अधिक सख्त नीतियां अपनाने की ज़रूरत है.जैसे स्कूलों के पास जंक फूड की दुकानें बंद करना.
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें
Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i… और पढ़ें
[ad_2]
Source link